रांची/ बुधवार सुबह से लोग अपने घरों, कार्यस्थलों, गांव के सार्वजनिक जगहों और औद्योगिक क्षेत्रों मे कालोनियों के सामुदायिक भवनों मे शारीरिक दूरी और स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए काला झंडा और पोस्टर – बैनर लेकर विरोध प्रदर्शन किया। यह विरोध प्रदर्शन केन्द्र सरकार के द्वारा लाए गए उन काले कृषि कानूनों के खिलाफ था जिससे किसानों को गुलाम बनाए जाने का दावा किया जा रहा है।
सीटू नेता प्रकाश विप्लव ने बताया कि आज बहुत से घरों में महिलाओं ने हाथ से पोस्टर लिखा और स्याही उपलब्ध नहीं होने के चलते इस काम में पैरों को रंगने वाले आलता का इस्तेमाल किया। यह इस बात को दर्शाता है कि आम लोगों में वर्तमान स्थिति के प्रति कितना आक्रोश है।
उन्होंने बताया कि यह देशव्यापी काला दिवस, जन विरोधी और किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने, मजदूरों को गुलाम बनाने वाले चार श्रम संहिता रद्द करने, सभी नागरिकों को टीका दिए जाने की गारंटी करने, जो लोग आयकरदाता नहीं है उनके एकाउंट मे अगले 6 माह तक 7500 रुपय ट्रांसफर करने एवं सभी जरूरतमंदों को प्रति व्यक्ति 10 किलो अनाज निःशुल्क दिए जाने जैसी प्रमुख मांगों को लेकर आयोजित किया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा के इस आह्वान का समर्थन ट्रेड यूनियनों, छात्र, युवा, महिला, लेखक और संस्कृति कर्मियों के संगठन के अलावा देश के 12 राजनीतिक पार्टियों ने भी किया। राजधानी रांची मे शहरी और ग्रामीण इलाकों में भी कई स्थानों पर काला दिवस मनाया गया।
विप्लव ने बताया कि सीसीएल और सीएमपीडीआई के आवासीय परिसरों, एचईसी कालोनी, मेकौन के अलावा रांची स्थित ट्रेड यूनियनों के कार्यालयों मे भी काला दिवस आयोजित किया गया। मेन रोड स्थित सीटू और एआईकेएस के राज्य कार्यालय मे काला झंडा लगाकर और काला बैज धारण कर 2 घंटे का धरना देकर विरोध दर्ज किया गया। जिसका नेतृत्व सीटू महासचिव प्रकाश विप्लव, किसान सभा के कोषाध्यक्ष विरेंद्र कुमार और सुमंत कुमार साहु ने किया।
सीटू और किसान सभा के राज्य मुख्यालय को मिली अब तक की सूचना और विभिन्न जिलों मे फोन से बात करने के बाद मिली जानकारी के अनुसार आज काला दिवस का कार्यक्रम पूरे राज्य मे एक लाख से ज्यादा आवासीय परिसरों, घरों, दफ्तरों, और विभिन्न वर्क प्लेस में किया गया और अनुमान है कि इस विरोध कार्यक्रम मे 10 लाख से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया।