लखविंदर
पंजाब सरकार द्वारा पिछले दिनों पंजाब-भर में बड़ी संख्या में राशन कार्ड रद्द करके गरीबों पर बड़ा हमला किया है। पंजाबी ट्रिब्यून में 5 मार्च 2023 को छपी रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में कुल 40.68 लाख राशन कार्डों में से 92.89 फीसदी (37.79 लाख कार्डों) की जाँच में 3.30 लाख राशन कार्ड अयोग्य घोषित किए हैं। इसके बाद यह संख्या और बढ़ गई होगी। लोगों से बातचीत के दौरान मिली जानकारी के अनुसार, बहुत से परिवार ऐसे हैं, जिनके वैसे तो राशन कार्ड रद्द नहीं किए गए हैं, लेकिन अलग-अलग परिवारों के अनेकों मैंबरों के नाम राशन कार्डों से काट दिए गए हैं। इसके अलावा सरकार ने इस बार 30 फीसदी कम गेहूँ राशन डिपुओं को जारी किया है और इससे पिछली बार 11 फीसदी कम गेहूँ जारी किया गया था।
बहुत से गरीब परिवारों को राशन कार्ड होने के बावजूद भी भ्रष्ट राशन डिपो मालिकों ने सरकारी सरपरस्ती होने के कारण एक भी दाना गेहूँ नहीं दिया। बहुत सारे ऐसे गरीब परिवार हैं, जिन्हें कम राशन मिला है। राशन डिपो मालिक सरकारी तंत्र की सरपरस्ती होने के कारण गरीब राशन कार्डधारकों को राशन देने में पहले भी बड़े स्तर पर धाँधली करते रहे हैं, लेकिन इस कमर तोड़ महँगाई के दौरान सरकार द्वारा ही राशन पर भारी कटौती करने और राशन कार्ड रद्द करने के चलते गरीब परिवारों पर आर्थिक बोझ बहुत बढ़ गया है। आने वाले दिनों में हजारों की संख्या में और भी राशन कार्ड रद्द होने की आशंका है।
पंजाब की आम आदमी की सरकार द्वारा चाहे गैर-जरूरतमंद परिवारों के राशन कार्ड रद्द करने के लिए की गई जाँच-पड़ताल के नाम पर राशन कार्ड काटे गए हैं, लेकिन असलीयत यह है कि जिनके राशन कार्ड काटे गए हैं, उनमें से बहुत छोटी संख्या को छोड़कर बाकी सभी बहुत गरीब परिवार हैं। असल सच्चाई यह है कि सरकार गरीबों को मिलने वाली सुविधाओं को सरकारी खजाने पर बोझ मानती है और इसको किसी-ना-किसी बहाने कम करना चाहती है। इसलिए हजारों गरीब परिवारों के राशन कार्ड रद्द कर दिए गए हैं और जिनके पास राशन कार्ड हैं, उन्हें राशन कम दिया जा रहा या किसी-ना-किसी बहाने बिल्कुल नहीं दिया जा रहा।
कारखाना मजदूर यूनियन और टेक्सटाइल-हौजरी कामगार यूनियन द्वारा 4 अगस्त 2021 को लुधियाणा के डी.सी. दफ्तर पर रोष प्रदर्शन करके राशन कार्ड बनाने के लिए माँग पत्र दिया गया था और सैकड़ों परिवारों के आवेदन दिए गए थे। लेकिन लगभग दो साल बीत जाने के बाद भी अब तक राशन कार्ड नहीं बनाए गए। राशन कार्डों के मसले पर 12 अप्रैल 2023 को भी रोष प्रदर्शन किया गया है, लेकिन सरकार के बहरे कानों को कुछ सुनाई नहीं दे रहा। मजदूरों समेत सारी मेहनतकश आबादी के लिए सरकारी राशन की सुविधाओं पर खर्च कम-से-कम रखने की नीयत और नीति के कारण ही लुधियाणा समेत पूरे पंजाब में लाखों मजदूरों-मेहनतकशों के राशन कार्ड बनाए ही नहीं गए। लाखों परिवार राशन कार्ड बनवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे है। लोगों के आवेदन फूड सप्लाई विभाग में सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं। बार-बार आवेदन और माँग-पत्र सौंपे जाने के बावजूद भी राशन कार्ड नहीं बनाए जा रहे हैं। असल में सरकारों द्वारा राशन कार्ड बनाने के लिए कोई उचित व्यवस्था ही नहीं बनाई गई है। जो व्यवस्था है, उसमें ना तो आवेदन की सुनवाई का कोई समय निश्चित है, ना अफसरों की जि़म्मेदारी-जवाबदेही तय है। लोगों के राशन कार्ड ना बनाने की बदनीयत से हुक्मरानों द्वारा जानबूझकर अस्त-व्यस्त व्यवस्था बनाई गई है।
बहुत से लोगों को भ्रम था कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से गरीबों का जीवन बेहतर हो जाएगा, कि सारे मजदूरों-मेहनतकशों के राशन कार्ड बना दिए जाएँगे, गेहूँ, चावल, तेल, दालों समेत राशन की सारी चीजें सरकार द्वारा राशन डिपुओं पर उपलब्ध होंगी और अन्य सारे माँग-मसले हल हो जाएँगे। लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार की नीतियों ने इसकी नीयत और किरदार पूरी तरह नंगा कर दिया है कि यह भी पूँजीपतियों की ही एक पार्टी है, कि अमीरों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुँचाना, उनके आगे मुनाफे के अंबार लगाना, सरकारी खजाने को उन पर लुटाना ही इसका भी एकमात्र मकसद है। इसके लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा लूटना और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में कटौती करना जरूरी है। केंद्र की मोदी सरकार की नीति भी सरकारी राशन की सुविधाओं पर कटौती करना ही है। पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार केंद्र की मोदी सरकार के साथ मिलकर पंजाब के लोगों का कचूमर निकाल रही है।
जब लोग अपनी एकजुट ताकत पर भरोसा नहीं करते, अपनी समस्याओं, माँग-मसलों को हल कराने के लिए आगे नहीं आते, किसी पूँजीवादी पार्टीध्नेता, सरकार, सरकारी अफसरों पर भरोसा करते हैं, ऐसी हालत में जो पहले से हासिल अधिकार और सुविधाएँ एक हद तक उन्हें मिल रही होती हैं, वे भी उनसे छीन ली जाती हैं और लोगों को गरीबी-बदहाली के गड्डे में और गहरा धकेल दिया जाता है। लोगों में एकजुट संघर्ष की कमी होने के कारण ही आज यह हालत बन गई हैं कि सरकार इतनी बेशर्मी से सरकारी राशन की सुविधाएँ छीन रही हैं। इसलिए राशन की सरकारी सुविधा पर इस हमले के खलिाफ लोगों को सड़कों पर निकलना पड़ेगा।
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे जनलेख प्रबंधन का कोई लेनादेना नहीं है।)