साम्राज्यवादी शक्तियों के पैरोकार और नकारात्मक चिंतन के शिकार जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सहजानंद

गौतम चौधरी  जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सहजानंद सरस्वती के बारे में कई प्रकार के विवाद प्रचलित हैं। दरअसल, इस विवाद पर लिखने की इच्छा तब हुई

भूली-बिसरी प्रेम कहानी/ एक ऐसी मुस्लिम शाहजादी जो बन गयी मंडलोई ब्राह्मणों की कुलदेवी

गौतम चौधरी कथा बहुत पुरानी नहीं है। एक तुर्क मुसलमान की शाहजादी ब्राह्मण सरदार पर आशक्त हो गयी थी। उसने उससे शादी भी कर ली

आधुनिक पूर्वी शैली के जनक महिनदर मिसिर

अनूप नारायण सिंह पटना से वैधा बोलाई द, अँगुरी में डसले बिया नगीनिया. नजरा गईनी गुईयां जैसे कालजयी भोजपुरी गीतों के रचयिता महेंद्र मिश्र की

वामपंथ/ तुर्क, मुगल और फिरंगी हुकूमरानों के दमन के खिलाफ आदिवासी महिलाओं की संघर्ष कथा

सोशल मीडिया से प्राप्त आदिवासी परंपराओं में एक फूलो-झानो मात्र नहीं हैं, उनके जैसी कई पुरखिन औरतें और वर्तमान समय में भी उनका निर्वाह करने

आज़ाद ने मज़दूर और ग़रीबों के जीवन को नज़दीक से देखा था

चन्द्रशेखर आज़ाद के जन्मदिवस (23 जुलाई) के अवसर पर महान युवा क्रान्तिकारी और हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के कमाण्डर चन्द्रशेखर आज़ाद का जीवन अन्याय, ज़ुल्म

इतिहासनामा/ संत कबीर : कहें कबीर एक राम जपहु रे, हिंदू तुरक न कोई

रज़ीउद्दीन अक़ील सामाजिक न्याय और सांप्रदायिक सौहार्द से जुड़े सवालों के सन्दर्भ में देखा जाए तो एक खुदा को मानने वाले (मुवहहिद) संत कबीर (मृत्यु

पटना की वो तवायफ जो मच्छरहट्टा के सतघरवा में रहती थी

अरुण सिंह अगली पुस्तक के लिए पटना की तवायफों पर काम करते हुए बी. छुट्टन नाम की एक बेमिसाल किरदार से सामना हुआ। वह 1875

उत्तराखंड की इस महिला को आप शायद नहीं जानते होंगे, इसने तीन देशों में बनवाए 500 से अधिक धर्मशालाएं

गौतम चौधरी आज से लगभग दो सदी पहले की बात है। उन दिनों पहाड़ में किसी प्रकार का कोई राजनीतिक प्रतिबंध नहीं लगा था। न

भारत दर्शन/पर्यटन/ गुजरात जाएं तो अहमदाबाद के एतिहासिक स्थल को देखना न भूलें

विनोद बब्बर गुजरात में प्रगति और समृद्धि का आगमन चालुक्य (सोलंकी) राजाओं के समय में हुआ। वैसे इस प्रदेश का इतिहास ईसा पूर्व लगभग 2

इतिहास के आईने में बिहार और तिरहुत : सुगांव डायनेस्टी और विद्यापति

संजय ठाकुर पूर्वी चम्पारण जिला के सुगौली प्रखंड के सुगांव को दिल्ली के बादशाह गयासुद्दीन तुगलक (1320से1324) के कालखण्ड में तिरहुत की राजधानी होने का

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