डॉ. सुधाकर कुमार मिश्रा
राजनीति संभावनाओं का खेल है। हरियाणा में सभी जनमत सर्वेक्षण कांग्रेस की सत्ता में वापसी का संकेत कर रहे थे जबकि जनमत सर्वेक्षण के नतीजे के विपरीत भारतीय जनता पार्टी( भाजपा) ने शासन सत्ता को प्राप्त किया है। भारतीय जनता पार्टी के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है और भाजपा ने लगातार तीसरी बार जनता का आशीर्वाद प्राप्त किया है। हरियाणा के लोगों ने भाजपा को 40ः वोट देकर तीसरी बार जन सेवा का आशीर्वाद दिया हैं। जम्मू – कश्मीर में भाजपा का चुनावी प्रदर्शन पहले से बेहतर रहा है लेकिन लोकतंत्र में पराजय होना शासकीय नीतियों का जमीनी स्तर पर पहुंचाना नहीं है। जम्मू – कश्मीर में लोगों ने जनादेश नहीं दिया है। संवैधानिक शब्दों में नीति, संगठन और विचारधारा में आंशिक विश्वास प्रकट किया है।
हरियाणा विधानसभा के चुनाव की बात करें तो ऐसा राजनीतिक विमर्श (बड़बोले और अगंभीर नेताओं के द्वारा) था कि कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता प्राप्त कर रही है। जब वातानुकूलित शीशमहल से 10 चापलूसों और चाटुकारों के साथ विचार- विमर्श करके टेलीविजन पर फोटो खिंचवाने के साथ बोलने से जनादेश थोड़े प्राप्त होता है। सत्ता प्राप्ति के लिए जमीनी और मेहनतकश कार्यकर्ताओं का प्रबल समर्थन, जनता की नब्ज़ और विद्वानों का साथ होना आवश्यक है। दुर्भाग्य से कांग्रेस से विद्वान एकदम दूरी बना चुके हैं। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं द्वारा मोदी जी को किसानों, महिला पहलवानों (बृजभूषण जी को लेकर), युवाओं को अग्नि वीर योजना साधते हुए विरोधी प्रचारित किया गया जबकि 2014 के पश्चात शासकीय नीतियों के आंकड़ों में इन्हीं वर्गों का सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और राजनीतिक उन्नयन और सहभागिता बड़ी है। आंकड़ों और राजनीतिक पंडितों के विश्लेषण से स्पष्ट हुआ है कि महिला पहलवानों और किसानों का आंदोलन राजनीतिक था। इसी वातावरण को देखते हुए कहा जा सकता है कि राजनीति गन्दा खेल है जो प्रचार और प्रलोभन का साधन बनाकर सत्ता के लिए साध्य बनता है।
भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं को संगठन के व्यवहार, नेताओं की भौकाली संस्कृति और नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच दलालों के राजनीतिक प्रवेश से आक्रोश था लेकिन अपनी सरकार होना अस्मिता का संकेत है, इसलिए भाजपा कार्यकर्ताओं ने पूरे जोश और ऊर्जा के साथ चुनाव में लगे और विजय पाने तक संघर्ष किया। भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस ने भी दोनों राज्यों के चुनाव में कुशल संगठनात्मक क्षमता के साथ काम किया है। वर्तमान में भाजपा की जीत के लिए समकालीन संघ पुरोधाओं का विशेष योगदान है क्योंकि उनकी सादगी, विश्राम की आयु में लगातार प्रवास और एकपठिक शारीरिक भाषा कार्यकर्ताओं, संगठन और वोटरों के लिए वोट प्रतिशत बढ़ाने में संजीवनी का काम करता है।
राजनीति में लोकप्रियता और चुनावी जीत के लिए व्यक्तित्व ,विचारधारा, नेतृत्व और आंदोलन का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। स्टार प्रचारकों का व्यक्तित्व बहुत मायने रखता है। नेताओं के व्यक्तित्व, रहन-सहन, वेशभूषा और बातचीत का मतदाताओं के मत व्यवहार पर गहरा प्रभाव पड़ता है जिसको लोगों में बनाए रखना मतदान धर्म है। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ,सुभाष चंद्र बोस , सरदार वल्लभभाई पटेल, समकालीन में मोदी जी और संघ के नेताओं में वह चमत्कारिक व्यक्तित्व है जिनके कारण स्वतः स्फूर्त अनुसरण करता है। राष्ट्रीय स्तर के व्यक्तित्व में कथनी और करनी एक होते हैं तो उसके प्रति अगाध श्रद्धा और विश्वास उत्पन्न होता है। कार्य के प्रति जुनून होता है, त्याग के प्रति आत्मा दबाव बनाती है। दुर्भाग्यवश ऐसे व्यक्तित्व की संख्या शून्य होती जा रही है जो व्यक्तित्व के प्रति आकर्षण को निस्तेज कर रहे हैं। सत्ता में हो या विपक्ष में, गृहस्थ हो या गृहत्यागी,नेता में एक विचारधारा होनी चाहिए।
वर्तमान में कांग्रेस की विचारधारा के राजनीतिक संस्कृति में पलटूराम संस्कृति की है जो सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी विचारधारा के साथ मिलने को तैयार है। दुर्भाग्य से इसका प्रभाव विवेकी कार्यकर्ताओं पर पड़ता है जो खिचड़ी विचारधारा को आत्मसात नहीं कर पाते और अपने को ठगा और अवसाद में पाते है। नेतृत्व का राजनीति में महत्वपूर्ण एवं प्रासंगिक स्थान है। कुशल नेतृत्व सकारात्मक, ऊर्जावान, कार्य सक्षम और कार्य संस्कृति देता है। कार्यकर्ताओं में आपसी गुटबाजी को दूर कर बंधुतामय वातावरण देता है जिससे नेतृत्व के साथ के लिए प्रत्यास्पर्धा उत्पन्न होती है। कांग्रेस नेतृत्व के साथ अधिकतर चापलूसों की संख्या है जो राजनीतिक संस्कृति में नकारात्मक कार्य संस्कृति और गुटबाजी को प्रदान करता है, जिससे अन्य कार्यकर्ता इस महनीय उपादेयता से खिन्न होते हैं।
लोकसभा चुनाव ,2024 में फैजाबाद से भारतीय जनता पार्टी की पराजय और सपा के विजय को इस प्रकार प्रचारित किया गया था कि भारतीय राजनीति में सपा उभरती राजनीतिक संस्कृति का पर्याय हो चुकी है। सपा की विजय सनातन धर्म समर्थकों, राम मंदिर समर्थकों और हिंदुत्व की विचारधारा को वैचारिक स्तर पर उबालने की कोशिश थी जो इन समर्थकों को घाव पर घाव दिए गए। भाजपा और संघ समर्थकों को इस घाव पर राजनीतिक मरहम के लिए हरियाणा चुनाव ने जगह दे दी। राहुल गांधी ने सड़क से संसद तक प्रचारित किया कि हमने अयोध्या की विचारधारा को हरा दिया हैं। संसद में राहुल गांधी ने जोर देकर कहा था कि हिंदू-हिंदू कहने वाले हिंसा करते हैं। राहुल गांधी का यह कहना मुस्लिम प्रेम को दर्शाता है और अमेरिका में सिखों को लेकर ऐसी बातें बोली जो विभाजनकारी थी और इसका हरियाणा की राजनीति पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
हरियाणा और जम्मू – कश्मीर के जनादेश से सबक मिले हैं। भाजपा और कांग्रेस के लिए जनादेश का संकेत है कि अपने चुनावी घोषणा पत्र पर अटल रहे और संगठन और चुनावी दंगल में निष्ठावान एवं जमीनी कार्यकर्ताओं को तरजीह दे।
राजनीतिक दल, संगठन और सरकार अपने समर्थकों, विचारधारा समर्थकों और नेतृत्व समर्थक निष्ठावान व्यक्तियों से नियमित और आत्मीय संवाद करें और उनके सामने स्थाई व्यक्तित्व बनाने का प्रयास करें। संगठन कार्यकर्ताओं के वैध (उचित) मांग को पूरा करने के लिए पूरी तरह तत्पर रहे।
संगठन और सरकार के बीच चापलूसों, दलालों, बड़बोले और अल्पज्ञो से उचित दूरी बनाने का प्रयास करें क्योंकि उनके पास वैज्ञानिक अनुभव का अभाव होता है जो संगठन के लिए विष के समान है। नेतृत्व के स्तर पर सबको सम्मान मिले लेकिन विशेषज्ञों को उचित और न्याय संगत सम्मान मिले और संवाद का माध्यम प्रत्यक्ष हो, विशेषज्ञता को तरजीह दी जाए।
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई सरोकार नहीं है।)
जम्मू और कश्मीर में कम से कम एक हिंदु को उप मुख्यमंत्री अवश्य बनाना चाहिए। हिन्दुओं पर अमानवीय अत्याचार बंद होने चाहिए और हिन्दुओं की वापसी होनी चाहिए।