गौतम चौधरी
पृथ्वी पर समुद्र से जमीन का उभरना एक जटिल और लंबी भूवैज्ञानिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जो अरबों वर्षों में संपन्न हुई है। इसे समझने के लिए हमें पृथ्वी के निर्माण और टेक्टोनिक गतिविधियों के इतिहास को देखना होगा। बता दें कि हमारी पृथ्वी का निर्माण सूर्य से ही हुआ है, जिसकी हमारी पृथ्वी परिक्रमा करती है। जानकारों का मानना है कि जब सूर्य से पृथ्वी का निर्माण हुआ तो यह धधकता हुआ आग का गोला था। इसे ठडा होने में करोड़ों वर्ष लग गए। जब पृथ्वी ठंडी हुई तो स्वाभाविक रूप से उभड़-खाबड़ थी। पृथ्वी के ठंडे होने की प्रक्रिया में ही पृथ्वी के वातावरण का निर्माण हुआ। इसके बाद पृथ्वी पर करोड़ों वर्षों तक अम्लीय बारिश होती रही। इसके बाद धीरे-धीरे बारिश की प्रकृया बदली और जलवृष्टि का दौर प्रारंभ हुआ। फिर खाई वाले स्थान पर जल का जमाव हुआ। इसी जल के जमाव के बाद परतदार चट्टानों का निर्माण हुआ। यही परतदार चट्टान पृथ्वी के क्रस्ट का आद्य चट्टान माना जाता है। इन चट्टानों को धारवार सिस्टम की चट्टाने कही जाती है।
आजकल एक बात सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है कि झारखंड की जमीन समुद्र से सबसे पहले उभरी थी। इस बात में कितनी सत्यता है, यह तो नहीं पता लेकिन इस बहाने कुछ भौगोलिक तथ्यों पर विमर्श तो किया ही जा सकता है। कब उभरी थी जमीन? इस प्रश्न का उत्तर सीधे तौर पर नहीं दिया जा सकता है। वैसे, पृथ्वी की उत्पत्ति लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले (लगभग 4600 मिलियन वर्ष) हुई थी। शुरुआती पृथ्वी एक गर्म, पिघला हुआ गोला थी, जिसमें कोई ठोस सतह नहीं थी। जैसे-जैसे पृथ्वी ठंडी हुई, लगभग 4.4 से 4 अरब वर्ष पहले ठोस क्रस्ट (पृथ्वी की बाहरी परत) बनना शुरू हुआ। इस समय, पृथ्वी की सतह पर ज्यादातर पानी (समुद्र) और कुछ प्रारंभिक महाद्वीपीय क्रस्ट के टुकड़े थे। पहली स्थायी जमीन (महाद्वीपीय क्रस्ट) के उभरने का प्रमाण आर्कियन युग (4 अरब से 2.5 अरब वर्ष पहले) में मिलता है। इस दौरान, टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधि और ज्वालामुखीय प्रक्रियाओं ने ग्रेनाइट जैसे हल्के पदार्थों से बने महाद्वीपीय क्रस्ट को बनाया, जो समुद्र से ऊपर उठने लगे। यहां एक बात यह भी बता देना जरूरी होगा कि सबसे पहले जो क्रस्ट समुद्र से उभरा हुआ था उसे पेंजिया कहा गया है। यही नहीं जिस प्रकार पृथ्वी पर भूकंप के झटके आते हैं उसी प्रकार पृथ्वी लंबे समय तक हिलती डुलती रही है। उसे भूगोल की भाषा में भूसंचलन कहा जाता है। ऐसे चार भूसंचलन का प्रमाण मिलता है। इन चारों को कैलिडोनियन, हरसीनियन, अल्पाइन और टर्शियरी के नाम से जाना जाता है। सभी भूसंचलन में कुछ न कुछ बड़े स्थलाकृतियों का निर्माण हुआ है। हिमालय पर्वत का निर्माण टरसियरी युग का बताया जाता है।
सबसे पुराने चट्टानी प्रमाण, जैसे कि कनाडा के नुव्वागिट्टुक ग्रीनस्टोन बेल्ट (लगभग 4.28 अरब वर्ष पुराना) और ऑस्ट्रेलिया के जैक हिल्स में मिले जिरकॉन क्रिस्टल (4.4 अरब वर्ष पुराने), यह दर्शाते हैं कि उस समय कुछ जमीन समुद्र से ऊपर थी। यह कहना मुश्किल है कि ठीक किस स्थान पर सबसे पहले जमीन उभरी, क्योंकि उस समय की टेक्टोनिक प्लेटें आज की तरह नहीं थीं। हालांकि, भूवैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर कुछ क्षेत्रों को प्रारंभिक महाद्वीपों के हिस्से के रूप में पहचाना गया है। क्रेटॉन्स, ये प्राचीन महाद्वीपीय क्रस्ट के स्थिर हिस्से हैं, जो आज भी मौजूद हैं। उदाहरण के लिए-कनाडाई शील्ड (उत्तरी अमेरिका), यहां कुछ सबसे पुरानी चट्टानें मिलती हैं। पिलबारा क्रेटॉन (पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया), यह प्राचीन जमीन का हिस्सा था। कापवाल क्रेटॉन (दक्षिण अफ्रीका), यह भी आर्कियन युग का हिस्सा है। प्रोटो-महाद्वीप, शुरुआती जमीन छोटे-छोटे प्रोटो-महाद्वीपों के रूप में उभरी, जो ज्वालामुखीय गतिविधियों और टेक्टोनिक प्रक्रियाओं के कारण समुद्र से ऊपर उठे। ये बाद में टकराकर बड़े महाद्वीप बनाए, जैसे कि लॉरेशिया और गोंडवाना। इससे पहले पेंजिया था जिसे बाद में तेठिस सागर ने दो भागों में विभाजित कर दिया। जहां टरसियरी युग से पहले टेठिस सागर था वहीं आज हिमालय की पर्वत श्रेणियां खड़ी है।
पृथ्वी का ठंडा होना, पृथ्वी की सतह के ठंडे होने से बेसाल्टिक क्रस्ट बनी, जो समुद्री क्रस्ट का आधार है। ज्वालामुखीय गतिविधि, ज्वालामुखी विस्फोटों ने हल्के पदार्थ (जैसे ग्रेनाइट) बनाए, जो समुद्र से ऊपर उठे। प्लेट टेक्टोनिक्स, टेक्टोनिक प्लेटों की गति ने क्रस्ट को संकुचित और ऊपर उठाया, जिससे महाद्वीप बने। क्षरण और तलछट, समय के साथ, क्षरण और तलछट के जमाव ने जमीन को और स्थिर किया।
आधुनिक संदर्भ में आज के महाद्वीप उस प्राचीन क्रस्ट के वंशज हैं, जो लाखों वर्षों की टेक्टोनिक गतिविधियों, समुद्री स्तर में बदलाव और भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के कारण अपने वर्तमान रूप में हैं। समुद्र से जमीन का उभरना एक सतत प्रक्रिया है, जो आज भी ज्वालामुखीय द्वीपों (जैसे हवाई) और टेक्टोनिक उथल-पुथल (जैसे हिमालय) के माध्यम से जारी है। संक्षेप में कहें तो लगभग 4.4 से 4 अरब वर्ष पहले, आर्कियन युग से यह प्रक्रिया प्रारंभ है। आज भी क्रस्ट के बनने और बिगड़ने की प्रक्रिया चल रही है। पृथ्वी का क्रस्ट कई टेक्टोनिक प्लेटों से बना है। यह आपस में गतिशील हैं। इनकी गतिशीलता ही पृथ्वी के सतह पर कई प्रकार के उद्वेग पैदा करते हैं। पृथ्वी का आंतरिक और वह शक्तियां ही पृथ्वी के सतह पर स्थलाकृतियों के निर्माण के लिए जिम्मेदार है।