कुमार गौरव की खास रपट
गोवा/ बीते 24 नवंबर 2025 को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया के वेब्स फिल्म बाजार आखिरी दिन कई फिल्म मेकर और प्रोड्यूसर ने बिहार में फिल्म निर्माण करने की इच्छा जताई। बिहार पेवेलियन में बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम के प्रबंध निदेशक-सह- कला संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव प्रणव कुमार भी फिल्मकारों से मिले और बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीति के बारे में फिल्मी जगत से जुड़े लोगों को जानकारी देने के साथ ही उनका फीडबैक लिया, जिसे आने वाले समय में फिल्म नीति में जोड़ा जा सकता है।
उन्होंने बांग्ला फिल्म मेकर संगीता दत्ता को फिल्म नीति और बिहार की कानून व्यवस्था की जानकारी देते हुए कहा कि बिहार में 29 फिल्मों की शूटिंग की अनुमति मिली है और जिन प्रोड्यूसर ने यहां शूटिंग की है उन्हें प्रशासन का पूरा सहयोग मिला है। उन्होंने कहा कि फिल्म निगम और बिहार सरकार फिल्ममेकर को हर संभव मदद देने को तैयार है। संगीता अपनी फीचर फिल्म शरणार्थी- द रिफ्यूजी की आगे की शूटिंग बिहार के विहारों और बुद्ध से जुड़ी लोकेशन पर करेंगी।
इस मौके पर पंचायत, गुल्लक, कोटा फैक्ट्री, एस्पेरेंट, परमानेंट रूममेट जैसी लोकप्रिय वेबसीरीज को प्रोड्यूस करने वाली कंपनी द वायरल फीवर(टीवीएफ) के प्रतिनिधियों ने बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीतियों के तहत प्रोड्यूसर को मिलने वाली सुविधाओं और सब्सिडी की जानकारी ली। टीवीएफ के प्रतिनिधि अमृतांश वाजपेयी ने कहा कि हमने पंचायत जैसी कई वेबसीरीज बनाई है और अब बहुत जल्द बिहार की कहानियां थियेटर और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह बिहार सरकार और फिल्म निगम के साथ मिलकर बिहार में शूटिंग करने की संभावनाओं को तलाश रहे हैं। उन्होंने कहा कि टीवीएफ जिस तरह की कहानी पर काम कर रही है उसके लिए बिहार एक बेहतर लोकेशन हो सकता है।
अभिनेता विकास कुमार ने कहा कि बहुत अच्छी नीति बनी है और हम सबको अपना योगदान देना चाहिए, जिस हैसियत से भी दे सकते हैं। उन्होंने कहा, “मैं एक एक्टर हूं और इसके अलावा भी दो-तीन काम करता हूं, मैं एक डायलॉग कोच हूं, इंडिपेंडेट प्रोड्यूसर हूं , और मेरा एक ऑडियो प्लेटफॉर्म वेलेवेट भी है। बतौर एक्टर कोई भी फिल्म वहां शूट हो रही होगी उसका हिस्सा बनने का मौका मिले तो मैं पूरी कोशिश करूंगा की अपने-आप को अवलेबल करवाऊं, पैसे की इसमें कोई बात नहीं है, अगर काम अच्छा हुआ तो उसका जरूर हिस्सा बनना चाहेंगे। एक फिल्म बन रही है, मेरे ही जिले में शूट होगी उसके लिए मैंने हां कह दिया है। यह हुआ बतौर एक्टर, बतौर डायलॉग कोच बिहार में ऐसी फिल्में शूट होंगी जिसमें हो सकता है कि गैर बिहारी कलाकार हों, तो उन्हें बिहार के किसी भी डायलेक्ट को सिखाने के लिए मैं यह काम कर सकता हूं, मेरी एक डायलॉग कोचिंग कंपनी है, वह मदद कर सकती है। कई बार ऐसा होता है कि बिहारी एक्टर हैं, लेकिन उनको नॉन बिहारी प्ले करना है, ऐसे में उनके उच्चारण को न्यूट्रलाइज करने के लिए काम कर सकते हैं। बतौर प्रोड्यूसर सबकी एक इच्छा होती है कि अनुदान मिले, और अब बिहार में फिल्म की शूटिंग करने पर अनुदान मिलने लगा है, तो हमारी पूरी कोशिश है कि हमलोग अगले ही साल एक अच्छी कहानी लेकर व्यवस्था के पास पहुंचे और मौके का फायदा लें। बिहार में बहुत सारी कहानियां हैं, हमसब चाहेंगे कि अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाएं। मैं और जो भी बिहार से जुड़े हुए हैं उन सभी को अपनी ओर से प्रयास करना चाहिए, सरकार ने अच्छी पहल की है, हम सब एक दूसरे का सहयोग करके बिहार में फिल्म निर्माण में तेजी लाएं, और यहां की संस्कृति और जगहों के बारे में देश-दुनिया को पता चले।”
लेखक, निर्देशक और प्रोड्यूसर देव्यांशु चौधरी ने बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीति की जानकारी लेने के बाद कहा कि बिहार में अनुदान की वजह से स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं को फिल्म बनाने में काफी मदद मिलेगी। देव्यांशु चौधरी ने फिल्म अमेजन प्राइम के लिए फिल्म अड्डा बनाई थी। उन्होंने कहा कि वह बिहार की कहानी को विश्वस्तर पर ले जाना चाहते हैं। वह जल्द ही अपनी नई फिल्म की शूटिंग बिहार में शुरू करेंगे।
वेब्स बाजार में कई फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स ने भी बिहार में बनने वाली फिल्मों के वितरण में मदद करने की बात कही है। टॉप एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर शैलेश पाठक ने कहा कि उनकी जड़ें बिहार से जुड़ी हैं, इसलिए बिहार में बनने वाली फिल्मों को सिनेमाहॉल और ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर रिलीज करने में उन्हें खुशी होगी।
तमिलनाडु से फिल्म बाजार पहुंचे डॉक्यूमेंट्री मेकर रामालिंगम गोथम ने कहा कि बिहार सरकार के द्वारा डॉक्यूमेंट्री मेकर के लिए 40 लाख तक की सब्सिडी मिल रही है, इससे भव्य डॉक्यूमेंट्री बनाई जा सकती है, लेकिन फिलहाल वह बिहार और तमिलनाडु की साझी संस्कृति पर कम बजट वाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं।
फिल्म कलाकार और फिल्ममेकर सुहास सिंह ने कहा कि वह अपनी नई फिल्म के लिए बिहार को एक्सप्लोर करना चाहते हैं। बिहार की फिल्म प्रोत्साहन नीति से शूटिंग परमिशन ऑनलाइन हो गई है और अनुदान भी मिल रहा है, ऐसे में वह अपनी स्पेंस थ्रिलर फिल्म के लिए बिहार के लोकेशन की स्टडी कर रहे हैं।
बिहार के युवा फ़िल्मकार रविराज पटेल ने कहा कि भारत के अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव, गोवा में इस वर्ष स्थापित बिहार पवेलियन राज्य के लिए एक सुखद और महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने बताया कि पिछले चार दिनों तक बिहार ने फ़िल्म बाजार में अपनी नई फ़िल्म नीति, बेहतर होती राज्य की छवि, विविध लोकेशनों और फ़िल्मकारों के लिए खुलते अवसरों को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया है।
पटेल ने कहा कि यह मंच न केवल बिहार में फ़िल्म निर्माण की संभावनाओं को बढ़ाता है, बल्कि राज्य को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म जगत में नई पहचान भी देता है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रगतिशील प्रयास बिहार की रचनात्मक ऊर्जा को आगे बढ़ाने में सहायक होंगे।
उन्होंने कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव प्रणव कुमार और उनकी पूरी टीम की सराहना करते हुए कहा कि उनकी दूरदर्शिता और प्रयास इस सकारात्मक बदलाव के मुख्य आधार हैं। बिहार पवेलियन ने युवा फ़िल्मकारों में नई उम्मीद जगाई है।
गोवा से लौटकर गौरव ने जो बताया उसी पर यह रपट आधारित है।
