नयी दिल्ली/ अमेरिका और चीन के बीच कूटनीतिक रिश्ते और खराब होने के आसार दिख रहे हैं। दोनों देशों के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच चीन ने यह साफ कर दिया गया है कि जिस तरह अमेरिका ने रूस के खिलाफ मिलिट्री अलायंस नाटो का गठन किया है, अगर कुछ ऐसा ही वो चीन के खिलाफ करने का प्रयास करता है तो दुनिया में खूनी खेल शुरू हो सकता है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि बीजिंग सैन्य गठबंधनों के अनियंत्रित विस्तार को खारिज करता है।
चीन की तरफ से कहा गया कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नाटो की तर्ज पर अगर उसके खिलाफ कोई मिलिट्री अलायंस बनाने का प्रयास किया जाता है तो ये केवल रक्तपात को बढाएगा। वांग ने मंगलवार को बीजिंग में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘‘चीन सैन्य गठबंधनों के अनियंत्रित विस्तार और अन्य देशों के सुरक्षा क्षेत्र को घेरने का विरोध करेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बीजिंग किसी भी मामले में संबंधित राष्ट्रों को चिन्हित किए बिना बातचीत और परामर्श के माध्यम से देशों के बीच मतभेदों और विवादों को हल करना चाहेगा।’’
बता दें कि ड्रैगन के प्रतीक वाला देश चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना अधिकार होने का दावा करता है। तमाम पड़ोसी देश चीन की विस्तारवादी नीति से परेशान हैं। यही वजह है कि बीते एक दशक में दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी सेना की पकड़ मजबूत हुई है। अमेरिका की कोशिश चीन की पकड़ को ढीला करने के लिए हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में मिलिट्री अलायंस बनाया जाए।
वांग ने यह पुष्टि करने से भी इनकार कर दिया कि क्या चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आने वाले दिनों में पहले से तय अमेरिका की यात्रा के दौरान अपने समकक्ष जो बिडेन से मुलाकात करेंगे या नहीं। इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि एपीएमसी समिट के इतर दोनों नेताओं की 14 से 16 नवंबर के बीच सैन फ्रांसिस्को में मुलाकात हो सकती है।