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सारण जिला मुख्यालय छपरा से महज 11 किलोमीटर की दूरी पर चिरांद नामक स्थान है। यह स्थान महाराजा मोरध्वज से भी जुड़ा बताया जाता है। छपरा के दक्षिण-पूर्व में डोरीगंज नामक स्थान है। इसके आसपास गांगा में तीन नदिया आकर मिलती है। नारायणी, सोन और घाघरा के संगम पर ही चिरांद अवस्थित है। चिरांद गंगा नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित एक महत्वपूर्ण पुरातातात्विक स्थल है। यह भारत के उन दुर्लभ स्थानों में से एक है जहाँ नवपाषाण कालीन अवशेष मिले हैं। यही नहीं यहां की एक सबसे खास विशेषता यह है कि यह स्थान नवपाषाण काल से लेकर अबतक अविरल मानवीय बसावट का प्रमाण प्रस्तुत करता है।
चिरांद की खुदाई में नवपाषाण काल (लगभग 2500-1345 ई.पू.) पेड़ों से बनी गोलाकार झोपड़ियाँ, चावल-गेहूं खेती, पत्थर और हड्डी के औजार, मृदा-मोती आदि प्राप्त हुए हैं। यहां ताम्रपाषाण कालीन तांबे के औजार, मृद्भट्ठी इकाइयाँ और उन्नत बर्तन-शिल्प मिले हैं जो लगभग 2000 ई.पू. के बताए जाते हैं।
चिरांद में लौह युग और शहरीकरण के लगभग 30 ई.पू. तक के अवशेष भी मिले हैं। लोहे के औजार के साथ ही कई वर्तन भी मिले हैं। इस स्थान पर कुषाण कालीन यानी प्रथम शताब्दी से लेकर तीसरी शताब्दी के अवशेष भी मिले हैं। इस स्थान पर मठ और 88 सोने के सिक्कों का संग्रह, ब्राह्मी लिपि वाली मूर्तियाँ प्राप्त हुई है।
यह स्थान भगवान बुद्ध से भी जुड़ा है। बताया जाता है कि भगवान एक बार यहां वर्षावास यानी चातुर्मास भी किए थे। उनके साथ आनंद भी थे और क्षद्म वेश में उन दोनों से मगध सम्राट अजादशत्रु तथा उनके महामात्य वस्सकार मिलने आए थे।
भौगोलिक दृष्टि से भी यदि देखें तो यह स्थान बेहद महत्वपूर्ण है। चार नदियों के संगम पर बसा यह भूभाग आज भी बेहद प्रभावशाली दिखता है। गंगा, घाघरा, सोन और गंडक का समीपस्थ संगम इलाके को बेहद आकर्षक बना देता है। यहां जाने के बाद समय कैप्सूल जैसी अनुभूति होती है। इस साइट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां मानव सभ्यता की निरंतरता दिखती है। आप चार हजार वर्ष पीछे चले जाते हैं।
आप यहां जाना चाहते हैं तो छपरा से इसकी दूरी 11 किलोमीटर होती है। यह स्थान डोरीगंज नामक बाजार के पास है। यहां पहुंचने के लिए छपरा-हाजीपुर मुख्य रेल मार्ग के गोल्डिंगंज रेलवे स्टेशन पर आपको उतरना होगा। कई गाड़ियां यहां रुकती है लेकिन कई एक्प्रेश गाड़ियां यहां नहीं भी रुकती है। उक्त रेलवे स्टेशन से लगभग 3.4 किमी, पटना एयरपोर्ट से 57 किमी, सड़क मार्ग से राष्ट्रीय उच्च मार्ग 19 से दो किलोमीटर पर यह स्थान अवस्थित है।
अक्टूबर से मार्च का मौसम यहां घुमने वाला होता है। यह मौसम सुहावना और नदी स्तर स्थिर रहता है। यहां देखने के लिए नीली मिट्टी की टीलियाँ, खुदाई से उजागर संरचनाएँ, मिट्टी-बर्तन, हड्डी के औजार, घाटों का दृश्य आदि आपको मिलेगा।