गौतम चौधरी
जब किसी विशेष वर्ग की समृद्धि और ऊपर की ओर गतिशीलता को मापा जाता है तो शिक्षा उसकी प्राथमिकता में शामिल होता है। भारत, एक ऐसा राष्ट्र जो अपनी समृद्ध विविध परंपरा एवं बहुआयामी संस्कृति के लिए जाना जाता है। वास्तविकता तो यह है कि फिलहाल भारत अपने जनसांख्यिकीय संसाधन के विदोहन से लाभ कमाने की स्थिति में है क्योंकि इसकी युवा आबादी लगातार बढ़ रही है और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता भी प्राप्त कर रही है। अभी तक सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए ढेरों अवसरों और प्रोत्साहनों के बावजूद, मुस्लिम समुदाय का एक खास हिस्सा इस क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने में विफल रहता है, खासकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में।
कई स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों में बताया गया है कि उच्च स्तर की शिक्षा वाली आबादी आर्थिक विकास में वृद्धि, गरीबी दर करने में कमी और बेहतर स्वास्थ्य परिणामों से जुड़ी है। उच्च शिक्षा सामाजिक गतिशीलता को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह व्यक्तियों को समाज पर सार्थक प्रभाव डालने के लिए आवश्यक ज्ञान कौशल और महत्वपूर्ण सोच क्षमताओं के साथ सशक्त बनाती है। यह सुनिश्चित करके कि सभी युवाओं को, उनकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच मिले, भारत अपनी विविध आबादी की विशाल क्षमता का दोहन कर सकता है और एक ऐसा समाज बना सकता है, जो सभी के लिए अधिक समावेशी और समृद्ध हो।
विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारक, जैसे गरीबी, सीमित जागरूकता और लैंगिक असमानताएं, इस मुद्दे को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मुस्लिम युवाओं की शिक्षा में निवेश केवल समानता को बढ़ावा देने वाला एक कार्य नहीं है, यह भारत के भविष्य के कार्यबल में एक सार्थक निवेश है। सरकार विभिन्न माध्यमों से छात्रवृत्ति योजनाओं और कई प्रकार के प्रयासों से यह सुनिश्चित किया है कि मुस्लिम युवाओं के लिए उच्च शिक्षा का मार्ग आसान और सुगम है। अब गेंद उन युवाओं के पल्ले है, जो इस दिशा में बढना चाहते हैं। वे ऐसे अवसरों और प्रोत्साहनों का अपने सर्वाेत्तम लाभ के लिए उपयोग करे। उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) के आंकड़े प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर मुस्लिम छात्रों की वास्तविकता को रेखांकित करता है। मुस्लिम युवा यूपीएससी और विभिन्न राज्य पीएससी परीक्षाओं में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, जो समाज की सकारात्मकता को दर्शाता है। ऐसा अन्य क्षेत्र में भी जरूरी है। भारतीय मुसलमानों की शैक्षणिक पृष्टभूमि मजबूत रही है। तकनीकी और शोध के क्षेत्र में भी इस समाज के युवकों को आगे आना चाहिए। इससे देश को भी मजबूती मिलेगी।
उच्च शिक्षा के मार्ग को सुव्यवस्थित करने के लिए सरकार, शैक्षणिक संस्थानों और नागरिक समाज को एक साथ आना होगा और सहयोगात्मक रवैया अपनाना होगा। इसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसरों का विस्तार करना, वित्तीय सहायता प्रदान करना और केंद्रित जागरूकता पहल शुरू करना शामिल है। इसके अलावा, एक सहायक शिक्षण वातावरण के विचार को विकसित करना महत्वपूर्ण है। अब समय आ गया है कि बाधाओं को दूर किया जाए और एक ऐसा वातावरण स्थापित किया जाए, जहां प्रत्येक युवा भारतीय मुस्लिम अपनी अधिकतम क्षमता का उपयोग कर देश को आगे बढ़ाए तथा एक समावेशी राष्ट्र निमार्ण को प्रोत्साहित करे।