मोहन भागवत के समर्थन में उतरे जगतगुरु शंकराचार्य अनंतानंत, नवनिर्माण पार्टी अध्यक्ष ने दी रामभद्राचार्य को चुनौती

मोहन भागवत के समर्थन में उतरे जगतगुरु शंकराचार्य अनंतानंत, नवनिर्माण पार्टी अध्यक्ष ने दी रामभद्राचार्य को चुनौती

गया/ पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत द्वारा दिए गए बयान का समर्थन करते हुए राष्ट्रीय नवनिर्माण पार्टी के अध्यक्ष श्रीकांत त्यागी ने पूज्य संत रामभद्राचार्य जी महाराज को चुनौती दी है। अपने बयान में त्यागी ने पूज्य संत को एक राजनीतिक व्यक्ति बताया और कहा कि यदि वे राजनीति ही करना चाहते हैं तो भगवा वस्त्र त्याग दें और राजनीति में उतरें।

इधर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अनंतानंत सरस्वती जी महाराज ने भी श्रीकांत त्यागी के बयान का समर्थन किया है। अपने गया प्रवास के दौरान पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में पूज्य संत शंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि सचमुच हर मस्जिद में मंदिर खोजना देश की अखंडता और एकता के साथ खिलवाड़ करना है। उन्होंने कहा कि पूज्य सरसंघचालक जी ने जो भी बयान दिया है वह राष्ट्र और समाज हित में है।

उन्होंने पूज्य संत रामभ्रदाचार्य जी महाराज पर भी टिप्पणी की और कहा कि आदरणीय रामभद्राचार्य जी महाराज संत हैं। उनका आदर पूरा सनातन समाज करता है, इसका यह मतलब नहीं है कि वे संपूर्ण समाज के ठेकेदार हों। वे हिंदू धर्म के ठेकेदार नहीं है। संतश्री अनंतानंत जी महाराज ने आगे कहा कि संघ प्रमुख अपने स्थान पर सही हैं लेकिन पूज्य रामभ्रदाचार्य जी महाराज अपनी मर्यादा और दायरे में रहे।

विगत दिनों श्रीकांत त्यागी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया था। पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में त्यागी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान की प्रशंसा की और उनके समर्थन की बात कहते हुए कहा की रामभद्राचार्य जी धर्म छोड़कर, राजनीतिक ज्यादा हो रहे हैं और वे यह भूल जा रहे हैं की धर्म की एक मर्यादा होती है। उसमें हमसब को रहना पड़ता है। किसी भी संत को धर्म की मर्यादा से बाहर जाने का कोई अधिकार नहीं है।

त्यागी ने रामभद्राचार्य जी को नसीहत भी दी। उन्होेंने कहा कि हिन्दू नामक कोई धर्म नहीं है। हमारा धर्म सनातन है। श्रीकांत के इस बयान पर गया प्रवास के दौरान राजगुरु मठ काशी के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अनंतानंद सरस्वती जी जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने भी पूज्य संत रामभद्राचार्य जी को गलत ठहराया और श्रीकांत त्यागी के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ही वस्तुतः धर्म है बाकी तो पंथ की परिभाषा को सिद्ध करते हैं।

उन्होंने कहा कि श्रीकांत जी द्वारा कही गई बात अक्षरसः सत्य है और यह भी सत्य है कि धर्माचार्य को धर्मानुकूल आचरण ही शोभा देता है। जैसे डॉक्टर अगर इंजीनियरिंग करने लगेगा तो पुल ढल जाएगी। वैसे ही डॉक्टर की जगह इंजीनियर इलाज करने लगेगा तो रोगी मर जाएगा। उसी प्रकार धर्माचार्यों को धर्माचार्य का कार्य ही शोभा देगा।

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