प्रो. महेश चंद गुप्ता
एक जमाने में देश के हर हिस्से में असुरक्षा और दहशत का माहौल था। देश में आतंकी हमले होना आम बात थी। आतंकियों का जब जी चाहता, सीमा पार करके आते और देश के विभिन्न शहरों में मासूम लोगों को मौत के घाट उतार देते। शहर-दर-शहर बम विस्फोट रोजमर्रा की बात हो गए थे। पाकिस्तान जहां सीमाओं पर गोलीबारी बरकरार रखता, वहीं हमारे देश के भीतर भी आतंकवाद को खाद-पानी दिए रखता।
वैसे तो देश का कोई कोना नहीं था, जहां आतंकियों ने कहर न बरपाया हो लेकिन मुम्बई तो आतंकियों का पसंदीदा लक्ष्य रहा। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 12 मार्च 1993 को बम विस्फोटों से समूची मुम्बई को दहला दिया गया। 26 नवम्बर 2008 को मुम्बई पर कसाब और उसके साथियों ने जो हमला किया, उससे पूरी दुनिया सन्न रह गई। 11 जुलाई 2006 में लोकल ट्रेनों में हुए विस्फोट से हुई 209 लोगों की मौत को कौन भुला सकता है। 14 मार्च 2003 को मुम्बई के मुलुंड में एक ट्रेन में बम फटने से 10 लोगों की मौत, 25 अगस्त 2003 को झवेरी बाजार और गेटवे ऑफ इंडिया के पास कारों में रखे दो बमों के फटने से 50 लोगों का मारा जाना हमें आज तक कुरेदता है।
मोदी सरकार से पहले देश की राजधानी दिल्ली भी हमेशा आतंकियों के निशाने पर रही। 13 दिसम्बर 2001 को संसद पर हुआ हमला देश की संप्रभुता पर हमला था। नई दिल्ली में 29 अक्टूबर 2005 को दिवाली से एक दिन पहले आतंकियों ने तीन विस्फोट किए, जिसमें 70 से अधिक लोग मारे गए और कम से कम 250 अन्य लोग घायल हो गए। मैं पिछले 55 सालों से दिल्ली में रह रहा हूं। मैंने दिल्ली की शांति देखी है तो दुर्भाग्य से अशांत दिनों का साक्षी भी बनना पड़ा है। पिछले करीब चार दशकों में दिल्ली ने न जाने कितने आतंकी हमले झेले हैं। आए दिन बम विस्फोटों से दिल्ली का दहल जाना आज भी हिला देता है। केवल दिल्ली और मुम्बई ही क्यों, जयपुर, अजमेर, मालेगांव, श्रीनगर, अहमदाबाद, बेंगलुरू, रामपुर, हैदराबाद, कोयंबटूर, वाराणसी समेत देश के तमाम राज्यों के बड़े शहरों में आतंकियों के नापाक मंसूबे कामयाब होते रहे।
दुर्भाग्य है कि देश में जब-जब आतंकी हमले हुए, हमारी सरकारों की प्रतिक्रिया हमेशा ‘कड़ी निंदा’ तक सीमित रही लेकिन 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद जहां भारत में घुसने की कोशिश करने वाले आतंकियों को सीमा पर ही ढेर करने की नीति पर व्यापक काम शुरू हुआ, वहीं देश में घुसे आतंकियों का भी काम तमाम किया जाने लगा। हालांकि बौखलाए आतंकियों ने कश्मीर में पुलवामा व उड़ी तथा पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हमले का दुस्साहस किया लेकिन जिस प्रकार मोदी सरकार ने आतंकियों को पाकिस्तान में घुसकर मारा, उससे आतंकियों और उनके सरपरस्त पाकिस्तान के हौसले पस्त हो गए।
जाहिर है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के मुताबिक केन्द्र सरकार सभी पहलुओं को मजबूत कर राष्ट्र की सीमाओं पर और आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध रही है। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से भारत को बड़े आतंकवादी हमले नहीं झेलने पड़े हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दावा एकदम सही है कि मोदी के नेतृत्व में देश की आंतरिक सुरक्षा की स्थिति मजबूत हुई है और कश्मीर में आतंकवाद को पूर्ण रूप से काबू करने में सफलता मिली है। मोदी काल में देश की आंतरिक सुरक्षा की स्थिति में बहुत बदलाव आया है। पिछले दस सालों में देश की सामरिक शक्ति तुलना में कई गुना बढ़ी है। सीमाएं पहले से अधिक सुरक्षित हुई है। हमारी सेनाएं पहले की अपेक्षा रक्षा साजो सामान से पूरी तरह लैस हैं तथा युद्ध के लिए हर तरह से और हर समय तैयार हैं। हमारी सेनाओं का मनोबल बहुत ऊंचा है। मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई रक्षा क्षेत्र में सुधारों की प्रक्रिया के बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं।
धारा 370 हटाने के बाद कश्मीर में आतंकवाद को पूर्ण रूप से काबू करने में सफलता मिली है और मृत्यु तथा अन्य हिंसक घटनाओं की संख्या में 72 प्रतिशत की गिरावट आयी है। पूर्वाेत्तर क्षेत्र में भी हिंसक घटनाओं में 65 प्रतिशत की कमी आयी है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी स्थिति में बहुत बड़ा बदलाव हम देख रहे हैं।
मोदी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति पूरी तरह गंभीर रही है। पिछले साल नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुआ राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन प्रधानमंत्री मोदी के विजन को पूरा करने में अहम कड़ी रहा है। इस सम्मेलन में इस विषय पर व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया गया है कि देश के हर पहलू की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित संभव हो सके। इसके उपरांत गांव से लेकर जिले तक, जिले से लेकर प्रदेश तक और प्रदेश से लेकर देश की सीमाओं तक हर जगह सुरक्षा का एक अचूक कवच देने पर काम किया जा रहा है।
देश के दुश्मनों के खिलाफ जब-जब मोदी सरकार ने हुंकार भरी है, कांग्रेस और तमाम विपक्षी दलों ने उनकी आलोचना की है। कई बार तो विपक्षी दल राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर पाकिस्तान का पक्ष लेते नजर आए हैं मगर मोदी सरकार राष्ट्र और राष्ट्रवासियों को सर्वाेच्च मानकर काम कर रही है। मोदी सरकार देश की सीमाओं पर और देश के भीतर ऐसा अभेद्य ढांचा खड़ा करने में सफल रही है, जिससे हर देशवासी अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रहा है। जीवन के 70 वसंत देख चुके मुझ जैसे दिल्ली वासी 2014 से पहले सहमे हुए एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और बस टर्मिनल जाते थे। वहां किया जा रहा यह एनाउंसमेंट कि किसी लावारिस वस्तु को न छुएं, वह बम हो सकता है, सुनकर डर और बढ़ जाता था। मगर अब हालात बदल गए हैं। हर देशवासी न केवल दिल्ली बल्कि देश के हर शहर में निर्भय और आश्वस्त हो कर घर से निकलता है बल्कि शाम को सही सलामत अपने घर भी लौटता है। अब हमें किसी आतंकी का डर नहीं सताता। सीमाएं सुरक्षित होने और आंतरिक सुरक्षा के कारण ही देश प्रगति के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। मोदी है तो मुमकिन है।
(लेखक जाने-माने शिक्षा विद हैं। कई वर्षों तक दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे हैं। आलेख में व्यक्त विचार आपके निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई सरोकार नहीं है।)