कलीमुल्ला खान साम्प्रदायिक या अन्य किसी भी प्रकार के आपसी दंगों के संबंध में जब कभी भी किसी सकारात्मक साम्यवादी चिंतक से बात हुई, उन्होंने
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अशरफ व पसमंदा के बीच की खाई को पाटे बिना भारतीय मुसलमानों का विकास असंभव
हसन जमालपुरी हम इसे नकार नहीं सकते कि भारतीय मुस्लिम समुदाय में जातिवाद एक सामाजिक सच्चाई है, जिसे हाल ही में प्रकाशित साहित्य में उजागर