जब मोहम्मद और अल्लाह बुलंद है तो विमर्श से क्यों डरते हैं मुसलमान?

राकेश सैन राकेश सैन उफनी भीड़ इबादतगाह से, भाईचारे के पत्थर बरसे।सहमा समाज अन्तरू में दुबका, कानूनों के कपाल बिखरे।सडकों के वो हुए शहंशाह, शासन

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