राकेश सैन राकेश सैन उफनी भीड़ इबादतगाह से, भाईचारे के पत्थर बरसे।सहमा समाज अन्तरू में दुबका, कानूनों के कपाल बिखरे।सडकों के वो हुए शहंशाह, शासन
राकेश सैन राकेश सैन उफनी भीड़ इबादतगाह से, भाईचारे के पत्थर बरसे।सहमा समाज अन्तरू में दुबका, कानूनों के कपाल बिखरे।सडकों के वो हुए शहंशाह, शासन