गौतम चौधरी वर्ण और जाति, पारंपरिक भारतीय समाज की नींव है। इसे यदि सांस्कृतिक नींव भी कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। लंबे इतिहास और
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धर्म या पंथ बदलने से जाति नहीं बदलती, पसमांदा मुसलमानों को सशक्त बनाना समावेशी राष्ट्र की जरूरतों में से एक
गौतम चौधरी भारतीय समाज की कुछ विशेषता है। उन विशेषताओं में से जाति, वर्ण और क्षेत्र भारतीय समाज के हर व्यक्ति के साथ जुड़ा हुआ
सामोहिक शक्ति का जागरण चाहती है तो सांस्कृतिक नहीं समावेशी राष्ट्रवाद के चिंतन को आत्मसात करे भाजपा
गौतम चौधरी हर विधानसभा स्तर पर मानदेय युक्त यानी वेतनभोगी पूर्णकालिक कार्यकर्ता। पन्ना प्रमुख स्तर तक सांगठनिक नेटवर्क। राष्ट्रीय से लेकर मंडल स्तर तक कार्यसमिति
एक माफिया का महिमामंडन भारत के समावेशी राष्ट्रवाद के लिए खतरनाक
राजेश कुमार पासी मुख्तार अंसारी की मौत के बाद जिस तरह से विपक्ष के कई नेताओं ने उसका गुणगान किया है और उसको एक मसीहा
सीमा पर्यटन : संभव है उत्तर प्रदेश और बिहार का समावेशी विकास
कमलेश पांडेय यदि आप उत्तर प्रदेश और बिहार का समग्र विकास चाहते हैं तो सीमा पर्यटन की पुख्ता तैयारी सुनिश्चित करनी होगी। क्योंकि कभी बीमारू
Two Muslim students of Kerala presented an example of India’s inclusive culture
By Khushbu Khan The story of two Kerala Muslim youth becoming victorious at the state level Ramayana quiz conducted by DC Books to mark the
समावेशी राष्ट्रवाद का प्रतीक इस्लामिया विवि महिलाओं को बना रहा सशक्तिकरण
गौतम चौधरी दिल्ली स्थित जामिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने समावेशी राष्ट्रवाद के आधारभूत संरचना में अपनी भूमिका निभा रहा है। इन दिनों यह विश्वविद्यालय महिला सशक्तिकरण
भारत में तालिबान का समर्थन बहुसंख्यकवादी व समावेशी राष्ट्रवाद पर हमला
गौतम चौधरी एक प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्र ने हाल ही में असम के दर्जनों मुसलमानों को सोशल मीडिया पर तालिबान समर्थक पोस्ट करने के लिए