पर्यटन/ राजगीर की मनभावन यात्रा, एक बार जरूर जाएं

पर्यटन/ राजगीर की मनभावन यात्रा, एक बार जरूर जाएं

सैंकड़ों वर्षों तक मगध साम्राज्य की राजधानी का ताज पहनने वाला विभिन्न नामों (वसुमति, बृहदपुर, गिरिव्रज, राजगृह इत्यादि) से मशहूर राजगीर आज कई वर्षों से पर्यटकों के मुख्य आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। राजगीर जरासंध, अजातशत्राु और बिंबिसार जैसे राजाओं की राजधानी रहा है। राजगीर के बारे में मजेदार बात यह है कि यह लगभग सभी प्रमुख धर्मों का मुख्य केंद्र रहा है। शायद यही वजह है कि विभिन्न धर्मों का संगम-स्थल राजगीर हर धर्म के लोगांे को लुभाता रहा है। फलतः यहां भारत ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी भारी मात्रा में आते हैं। यदि धार्मिक कारणों को छोड़ दें तो भी राजगीर में अनगिनत दर्शनीय चीजें हैं।

राजगीर जाने के लिए नई दिल्ली, वाराणसी, आगरा, कानपुर, हाथीदह, हावड़ा, इलाहाबाद, बरौनी, पटना इत्यादि प्रमुख स्थानों से रेल सेवाएं उपलब्ध हैं। कोलकाता, गया और पटना से बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं। हालांकि राजगीर में हवाई अड्डा न होने के कारण यहां वायु सेवाएं नहीं हैं पर पटना तथा गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे नजदीक होने के कारण दूर दराज तथा विदेशी पर्यटकों को भी राजगीर की यात्रा करने में ज्यादा परेशानी नहीं होती।

पटना से राजगीर की दूरी करीब 100 किलोमीटर है। पिछले दिनों मैंने राजगीर की यात्रा बस द्वारा की। राजगीर पहुंचते-पहुंचते मैं काफी थक चुका था अतः मैंने सर्वप्रथम गर्म पानी के झरने में स्नान करने का मन बनाया। बस स्टैण्ड से करीब डेढ़ किलोमीटर दक्षिण में पहाड़ से स्वतः निरंतर गिरती हुई जलधाराएं राजगीर का प्रमुख आकर्षण होने के साथ-साथ अपने आप में एक घोर आश्चर्य भी है। इसके अलावा यहां अनेकों गर्म पानी के झरने हैं जिन्हें कुण्ड कहा जाता है। पाली साहित्य में यह तपोदाराम महाबिहार भी कहा जाता है।

राजगीर में कुल मिलाकर 22 गर्म पानी के कुण्ड हैं जिनमें सूर्यकुंड और सप्तधारा प्रमुख हैं। सूर्य कुंड में साबुन लगाकर नहाने पर प्रतिबंध है हालांकि इसका उद्देश्य यही है कि पानी दूषित होने से बचाया जाए पर सच कहें तो इस कंुड में नहाने के लिए साबुन लगाने की आवश्यकता ही नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार इस पानी में गंधक तथा अन्य तत्व मिले होने के कारण इससे स्नान करने से चर्मरोग, गठिया इत्यादि से छुटकारा मिल जाता है।

वास्तविकता चाहे जो भी हो, कम से कम मेरी लंबी यात्रा की थकान गर्म पानी में नहाते ही दूर हो गई थी, अतः नहाने के बाद कुण्ड के आस-पास के मन्दिरों का दर्शन कर मैंने अपना रूख वेणुवन की ओर किया।

वेणुवन :- वेणुवन सूर्यकुण्ड से करीब 100 मीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। मैंने यहां 3 रूपये का टिकट लेकर प्रवेश किया। यहां प्रवेश के लिए बच्चों के लिए 1 रू, बड़ों के लिए 3 रू. तथा विदेशियों के लिए 50 रूपये का टिकट लेना पड़ता है। वेणुवन के तालाब में विभिन्न प्रकार की मछलियां, जापानी मन्दिर और बुद्ध की प्रतिमा विशेष आकर्षण हैं। वन के ठीक बीचों-बीच स्थित तालाब जिसे करन्द निवास कहा जाता है, ने हृदय को आह्लादित कर दिया। कहा जाता है कि इसी तालाब में भगवान बुद्ध स्नान करते थे।

मनियार मठ :- यह सूर्यकुंड से लगभग 100 मीटर दूर है। महाभारत के अनुसार राजगीर मनिनाग का प्रमुख धाम था। यहां खुदाई के बाद काफी संख्या में नाग-नागिनियों की मूर्तियां मिली हैं जिससे पता चलता है कि मनियार मठ इसी स्थान का प्रतीक है। यहां खुदाई से प्राप्त मूर्तियों में मुकुटधारी चतुर्भज विष्णु, शिवलिंग, चट्टान पर बैठे हुए सांपों से लिपटे गणेश, नृत्य मुद्रा में छः भुजाओं वाले शिव इत्यादि प्रमुख हैं। गुप्तकाल में बनी इन मूर्तियों की कलाकारी देखते ही बनती है।

बिम्बिसार जेल :- यह मनियारमठ से करीब 1 कि. मी. दूर है। इसकी लंबाई-चौड़ाई करीब 200 फीट है। कहा जाता है यही वह जेल है जहां बिम्बिसार को अजातशत्रु ने बंदी बनाकर रखा था। यहां कुछ ऐसे अवशेष भी मिले हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं।

जरासंध का अखाड़ा :- यही वह जगह है जहां द्वापर युग में भीम तथा जरासंध के बीच ऐतिहासिक मल्लयुद्ध हुआ था जिसमें जरासंध की मृत्यु हो गई थी। जरासंध के समय यह स्थान मल्लयुद्ध का अखाड़ा था जिसे रणभूमि भी कहा जाता था।

वीरायतन :- यह एक संग्रहालय है जिसमें महावीर की जीवनी को चित्रों तथा शब्दों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। हृदय को छू लेने वाला महावीर की पवित्रा (जीवन्त) गाथाओं का यह संग्रह सूर्यकुण्ड से करीब 1.5 कि. मी. उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यहां प्रवेश करने के लिए बच्चों को 5 रूपये तथा बड़ों को 10 रूपये का टिकट लेना पड़ता है। आंख का प्रसिद्ध अस्पताल ‘वीरायतन‘ इसके ठीक बगल में है।

विश्व शान्ति स्तूप :- यह सूर्यकुण्ड से करीब 2.5 किमी. की दूरी पर स्थित रत्नागिरि पर्वत के शिखर पर स्थित है। इस स्तूप की ऊंचाई 100 फीट से भी अधिक है। स्तूप के शीर्ष पर करीब 10 फीट ऊंचा एक कलश अवस्थित है। स्तूप के भीतर और बाहर बुद्ध की आकर्षक प्रतिमाएं स्थापित हैं जो बरबस ही मन को मोह लेती हैं।

गृहकूट:- यही वह जगह है जहां भगवान बुद्ध उपदेश दिया करते थे। राजगीर की खूबसूरत पंच पहाड़ियों की सबसे ऊंची चोटियों में गृहकूट प्रमुख है चोटी के आसपास कई छोटी-छोटी गुुफाएं हैं जिसमें पहले बौद्ध भिक्षुक रहते थे। ऐसा माना जाता है कि बिम्बिसार अपने कैदखाने से गृहकूट पर बैठै महात्मा बुद्ध को देख सकता था।

इन प्रमुख स्थानों के अलावा वाणगंगा, अजातशत्राु का कोट, साइल्कोपिअनो का दीवार, रथचक्र, शंखलिपि, सोनभंडार गुफाएं, गोरक्षिणी भवनी, अजातशत्राु का गढ़, मर्दकुच्छी, संस्कारण भूमि इत्यादि वहां पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण हैं।

यहां आप ठहर सकते हैं

राजगीर में ठहरने के लिए रेलवे स्टेशन, धर्मशालाएं तथा कई होटल हैं। इनमें राजगीर, अजातशत्राु, कनकविहार, गौतम विहार इत्यादि प्रमुख हैं। यदि आप ‘राजगीर रिजेंसी‘ में ठहरते हैं तो यहां प्रति कमरा एक दिन का 10 से 15 हजार रूपये चार्ज है। यह वीरायतन से लगभग 100 मीटर उत्तर में स्थित है। यहां देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। वहीं होटल कनक विहार जो कि बस स्टेंड के ठीक बगल में है का किराया आम पर्यटक की पहुंच मंे है।

कब जाएं राजगीर?

यूं तो यहां पर साल भर पर्यटक आते रहते हैं, पर यदि आप अक्तूबर से मार्च महीने के बीच आते हैं तो सोने पे सुहागा है।

क्या खरीदें?

यहां काफी संख्या में पर्यटक पत्थर की बनी भगवान महावीर तथा बुद्ध की प्रतिमाएं एवं बांस की टोकरियां खरीदते हैं। दूसरी लोकप्रिय चीज है सिलाव का खाजा जो पूरे भारत वर्ष में मशहूर है।

कैसे जाएं राजगीर :-

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि राजगीर जाने के लिए बस तथा रेल सेवाएं उपलब्ध हैं। यदि आप बहुत दूर क्षेत्रा या विदेश में रहते हैं तो रेलगाड़ी या वायुयान द्वारा पटना या कोलकाता चले आएं। वहां से आपको सीधे राजगीर पहुंचने के लिए बस तथा रेल दोनों सेवाएं उपलब्ध हैं।

(उर्वशी)

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