सोशल मैसेंजर संचार माध्यमों के उपयोग पर सतर्कता जरूरी

सोशल मैसेंजर संचार माध्यमों के उपयोग पर सतर्कता जरूरी

रजनी राणा
व्हाट्सएप ने हाल ही में उपयोगकर्ता के डेटा का प्रबंधन करने के तरीके में कुछ बदलाव किए हैं। इस बदलाव के तहत व्हाट्सएप, अगर कोई व्यक्ति नई गोपनीयता नीति को स्वीकार करता है तो उसके डेटा के एक हिस्से को फेसबुक के साथ साझा किया जायेगा। व्हाट्सएप की घोषणा के बाद से दुनिया भर में इस नीति का विरोध प्रारंभ हो गया है। सोशल मीडिया पर गंभीर नाराजगी के बीच, कई उपयोगकर्ता व्हाट्सएप को छोड़ने का फैसला कर टेलीग्राम, सिग्नल और बीआईपी सहित अन्य वैकल्पिक मैसेजिंग एप्प का उपयोग करने लगे हैं। आपको बता दें कि वे सभी वैकल्पिक मैसेजिंग एप्प समान सुविधाएं और कार्यक्षमता प्रदान करते हैं लेकिन इस मामले में कुछ सतर्कता भी जरूरी है।

इंटरनेट की स्वतंत्रता और वैश्विक विस्तार ने हमारे समाने संचार के कई विकल्प खोल दिए हैं। इन विकल्पों का उपयोग कर हम दुनिया भर की सूचनाओं का आनंद ले रहे हैं। इस संचार मीडिया ने हमें नए तरीके से जीवन जीना सिखा रहा है। वर्तमान दौर में यह वैश्विक प्रगति का एक मापदंड बनता गया है। ऐसे दौर में जहां हमें कई प्रकार की सुविधा सुलभता से प्राप्त हो रही है वहीं कुछ सतर्कता भी जरूरी है।

इंटरनेट की तेज गतिशीलता को अपने व्यापारिक हितों में उपयोग करने के लिए संचार माध्यम की दुनिया में काम करने वाले विश्व के कई काॅरपोरेट घरानों ने सोशल मीडिया नेटवर्क स्थापित किए हैं। इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है कि यह मंच, राजनीतिक सीमाओं को नहीं मानता है लेकिन सोशल मीडिया कंपनी के मालिक की जो राष्ट्रीयता होती है या फिर जहां उसका मुख्यालय होता है उस देश के राष्ट्रीय हितों का वह पूरा ध्यान रखता है। ऐसे में हम इन सोशल साइटों के उपभोक्ताओं को भी अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखने की जरूरत है। साथ ही यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि इसके उपयोग के क्रम में व्यक्तिगत हानि न पहुंच पाए। आज हम चर्चा इन्हीं ऐप्पों में से एक बीआईपी पर करने वाले हैं।
बीआईपी एप्प एक ऐसा एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर है जो अपने दोस्तों और परिवार को संदेशों को भेजने और सक्रिय कॉल करने में मदद करता है। आज हम बीआईपी ऐप के बारे में ही बात करने वाले हैं। यह ऐप भारत जैसे देश के नागरिकों को या तो उपयोग नहीं करना चाहिए या फिर बेहद सतर्कता के साथ इसका उपयोग करना चाहिए। बीआईपी ऐप खुद को एक सुरक्षित और आसानी से उपलब्ध संचार मंच के रूप में पेश करता है। दरअसल, बीआईपी एप्लीकेशन, तुर्की एक प्रमुख मोबाइल ऑपरेटर द्वारा निर्मित एक संदेश मंच है। बीआईपी मैसेजिंग ऐप का तुर्की में उत्पत्ति के कारण इस ऐप ने मुसलमानों के बीच व्यापक लोकप्रियता हासिल की है।

बीआईपी ऐप हर गुजरते दिन के साथ अपना यूजर बेस बढ़ा रहा है। तुर्की के राष्ट्रपति और रक्षा मंत्रालय सहित तुर्की के शीर्ष संस्थानों ने अपने व्हाट्सएप समूहों को बीआईपी में स्थानांतरित कर दिया है। गूगल प्ले स्टोर में बीआईपी अब बांग्लादेश, बहरीन, पाकिस्तान, कतर, ओमान और सऊदी अरब आदि जैसे मुस्लिम देशों में पहले स्थान पर है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे कुल 65 मिलियन बार डाउनलोड किया गया है।

किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले हमें बीआईपी के दो पहलुओं का विश्लेषण करना चाहिए। पहला और महत्वपूर्ण बिंदु ऐप पर एक अग्रणी तुर्की मोबाइल ऑपरेटर का नियंत्रण है तथा दूसरा राष्ट्रपति सहित तुर्की प्रशासन का व्हाट्सएप से बीआईपी की ओर सामूहिक प्रवास। ऐप के बारे में उपलब्ध सूक्ष्म विवरण से पता चलता है कि तुर्की सरकार ऐप के कामकाज पर पिछले दरवाजे से नियंत्रण रखता है। यह प्रत्येक भारतीय, विशेष रूप से मुसलमानों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। अन्य कोई संचार संदेश ऐप पर किसी देश के सरकार का प्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण नहीं है लेकिन तुर्की के इस संचार संदेश ऐप पर तुर्की सरकार का अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण खुल कर सामने आयी है।

अगर कोई विदेशी सरकार किसी विशेष ऐप को चलाने में शामिल है तो हमें सतर्क हो जाना चाहिए। यह उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है कि तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान खुद को मुसलमानों के सर्वोत्तम नेता के रूप में प्रस्तुत करते हैं और इस्लामिक खलीफा को वापस लाने की बात करने लगे हैं। हमें ये भूलना नहीं चाहिए की आतंकवादी समूह आईएसआईएस द्वारा इस्लामिक स्टेट की स्थापना भी खिलाफत को फिर से बहाली का ही आन्दोलन था। इस आन्दोलन ने दुनिया के मुसलमानों को कितनी हानि पहुंचाई है इसकी क्षतिपूर्ति कभी नहीं की जा सकती है। आईएसआईएस के स्वयंभू खलीफा के आदेश पर करोड़ों बेगुनाहों की बिनामतलब हत्या की गयी जिसमें अधिकतर मुसलमान ही थे। मुस्लिम समाज इस त्रासदि की मार को भी भी झेलने के लिए विवश है।

राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान दुनिया के मुसलमानों को एक कर खुल को इस्लाम का खलीफा घोषित करने की योजना पर काम कर रहे हैं। यह ऐप उस योजना हिस्सा हो सकता है। ऐसा ऐप जिसकी गोपनीयता और स्वामित्व पर वैश्विक विवरणों को स्पष्ट किया जाना अभी बाकी है, निश्चित रूप से हमें इसके इस्तेमाल पर सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए क्योकि ऐप के विकास के पीछे कई निहित स्वार्थ हो सकते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एप्लिकेशन के स्वामी अपने स्वयं के लाभ के लिए उपयोगकर्ताओं का इस्तेमा कर सकते हैं। परिणाम भले कुछ भी हो परन्तु तत्काल उपयोगकर्ता परेशानी में फंस सकता है। यह केवल व्यापारिक हो तो नजरअंदाज किया जा सकता है लेकिन जब इसके उपयोग से किसी राष्ट्र की सुरक्षा पर खतरे के बादल मंडराने लगेंगे तो स्वाभाविक रूप से परेशाली खड़ी होगी। अन्य इस्लामिक राष्ट्रों की राजनीतिक सीमा को मिटाने की बात कर एक खलीफा की परिकल्पना बेहद खतरनाक चिंतन है। इससे दुनिया में एक बार फिर से मार-काट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

तुर्की राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान इसी योजना पर काम कर रहे हैं। ऐसे में भारतीय मुस्लिमों को बीआईपी ऐप के संजाल से बचना चाहिए या फिर बेहद सतर्कता से इसका उपयोग करना चाहिए। हालांकि यह अन्य मुस्लिम देश के नागरिकों को भी समझना होगा लेकिन भारत जैसे बहुसांस्कृतिक देश के लिए तो यह बेहद जरूरी है। भारतीय मुस्लिम उपयोगकर्ताओं के डेटा को कभी भी आम किया जा सकता है, जो उन्हें भारी परेशानी में डाल सकता है। ऐसी संभावनाएं हैं कि उनके डेटा का उपयोग चरमपंथी संगठन द्वारा किया जा सकता है जो अंततः उन्हें भारतीय खुफिया एजेंसियों या फिर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के रडार पर डाल सकता है तथा आगे चलकर बैंक गतिविधियों, अपराधियों द्वारा जबरन वसूली और धोखाधड़ी का शिकार बन सकता हैं। क्योंकि इसकी विश्वसनीयता पर अभी दुनिया की इंटरनेट निगरानी वाली एजेंसियों का मुहर नहीं लग पाया है। इसलिए बीआईपी ऐस से सतर्क रहने की जरूरत है। यहां एक बात और बता दें कि हमारी केन्द्रीय सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया नीति तय कर उसपर सुरक्षात्मक निगरानी बिठा दिया है। हालांकि कुछ सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने इसका विरोध किया है लेकिन राष्ट्रहित और समाज हित के लिए यह बेहद जरूर है। इस देश के नागरिक होने के नाते हमारी जिम्मेबारी भी है।

राष्ट्रीय और सामाजिक सुरक्षा के लिए हम भी उतने ही जिम्मेबार हैं, जितनी हमारी सरकार और सुरक्षा एजेंसियां। हम किसी भी सोशल नेटवर्क का उपयोग करने से पहले उसकी प्रतिबद्धता पर जरूर विचार करें। खासकर वैसे सोशल नेटवर्कों का उपयोग न करें जो हमारे सामाजिक ताना-बाना को क्षति पहुंचाए और देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करे। अन्य मैसेंजर साइट की अपनी राष्ट्रीय प्रतिद्धता तो है लेकिन उसका कुछ व्यापारिक वसूल भी है। फिर वह अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के साथ ही साथ भारत की सुरक्षा एजेंसियों के प्रति भी वह उत्तरदायी है लेकिन बीआईपी के बारे में अभी बहुत कुछ रहस्य और गुप्त है। ऐसे में इस मैसेंजर के उपयोग से पहले हमें कई बार सोचना चाहिए।

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