गौतम चौधरी
चीन के सर्च इंजन बायडू पर उइगर मुसलमानों को बेचने का एक मामला सामने आया है। आधुनिक युग में ऑनलाइन मानव तस्करी का यह पहला सार्वजनिक मामला बन गया है। किसी जमाने में यूरोपीय व्यापारी एशियाई या फिर अफ्रीकी गुलामों को अमेरिका व यूरोप के बाजारों में बेचते थे। चोरी छुपे मानव तस्करी का मामला दुनिया भर में आज भी जारी है लेकिन ऑनलाइन सार्वजनिक रूप से चीनी सरकार के संरक्षण में यह पहला मामला सामने आया है। विगत दिनों ब्रितानी संसद में यह मामला उठा। ब्रितानी सांसद नुसरत गनी ने संसद में कहा कि चीन की सरकार उइगर मुसलमानों के साथ गुलाम जैसा व्यवहार कर रही है। हालांकि इस पर चीनी स्थानीय प्रशासन ने सफाई दी है लेकिन इस आॅन लाइन उइगरों को बेचने की बात दुनिया के सामने आ गयी है।
यही नहीं विगत दिनों बीबीसी के द्वारा उइगर मुसलमान महिलाओं पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गयी थी। उस रिपोर्ट में उइगर महिलाओं ने बीबीसी के साथ अपने दर्द साझा किए। चीनी अधिकारी किस प्रकार उइगर महिलाओं के साथ अमानवीय यौन व्यवहार करते हैं महिलाओं ने बीबीसी के रिपोर्टर को बताया। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं का हाथ-पैर बांध कर चीनी अधिकारी बलात्कार करते हैं। बावजूद इसके पूरी इस्लामी दुनिया चीन के अन्याय और अत्याचार के खिलाफ चुप बैठा है। कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।
1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना के बाद चीन ने शिनजियांग पर अवैध रूप से कब्जा जमा लिया। उसी समय से पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना शिनजियांग के संसाधन का विदोहन कर रहा है। शिनजियांग राजनीतिक स्वायत्त क्षेत्र पर अधिक राजनीतिक अधिकार हासिल करने के लिए चीनी सेना उइगरों की धार्मिक स्वतंत्रता को कम करने और उन्हें दबाने के लिए कई नीतियों को क्रियान्वित कर रखी है। चीन ने असंतोष की किसी भी आवाज को कुचलने के उद्देश्य से शिनजियांग में हान चीनी को बसा कर क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तन लागू किए हैं। केवल अपनी राजनीतिक सीमाओं के भीतर असंतोष को कुचलना ही चीन का मकसद नहीं है। ऐसी रिपोर्ट सामने आई हैं जिनमें पाकिस्तानी मुसलमान, जो या तो व्यापार, व्यवसाय के लिए शिनजियांग की यात्रा करते हैं या जिनके उइगर लोगों के साथ पारिवारिक संबंध हैं, सुरक्षा के नाम पर दोनों देशों के अधिकारियों द्वारा उनका अनुचित शोषण भी किया जा रहा है, जिसमें बिना किसी कारण के हिरासत में रखना, परिवारों को विभाजित करना इत्यादि शामिल है। इस पर भी बीबीसी ने रिपोर्ट प्रकाशित की है।
चीन ने पाकिस्तान पर अपना कूटनीतिक दबाव बनाए रखा है ताकि वह उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न के मुद्दे पर चुप रहे। दूसरी ओर पाकिस्तान अपनी राजनीतिक वास्तविकताओं से निपटने के लिए चीन का इस्तेमाल कर रहा है चाहे वो कोविद -19 टीकों की आवश्यकता हो या भारत से मुकाबला करने की बात हो। चीन, पाकिस्तान को दसियों अरब डॉलर का कर्ज और सैन्य सहयोग दे रखा है। पाकिस्तान, चीन के हथियारों के निर्यात का लगभग 40 प्रतिशत खरीदता है। पाकिस्तान, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बेल्ट एंड रोड ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण का प्रमुख पक्षकार बनकर सामने आया है। इस योजना के तहत काशगर से अरब सागर तक सड़कों और रेलवे के 2,000 मील चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा शामिल है।
पाकिस्तानी रणनीतिकार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। यही नहीं इस्लाम के नाम पर दुनिया के मुसलमानों को एक करने का नारा देने वाले और फिर से खिलाफत आन्दोलन को जन्म देने की कोशिश में लगे तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान भी चीनी दमन को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। इधर ईरान, सऊदी अरब के खिलाफ तो मोर्चा खोल रखा और हूदी आतंकियों को मदद कर रहा है लेकिन उइगरों का दर्द इन्हें नहीं दिख रहा है। हालांकि भारत, मानवता के नाते उइगरों के समर्थन में विश्व मंच पर आवाज उठाता रहा है। भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान के लिए भविष्य में उइगर एक बड़ी समस्या बन कर उभर सकते हैं। हालांकि इससे चीन को भी खतरा है लेकिन उस खतरे के लिए चीन खुद जिम्मेदार होगा। चीन तो इस क्षेत्र को गुलाम बना रखा है लेकिन अन्य सीमावर्ती देश तो नहक में उइगरों में जड़ जमा रहे नए प्रकार के पृथ्क्तावाद का शिकार होगें। अफगानिस्तान इसका उदाहरण है। अफगानिस्तान में तालिबानी उभार से न केवल अफगानिस्तान प्रभावित हुआ अतिपु पाकिस्तान, भारत और ईरान पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
डर इस बात की है कि उइगरों की सहायता के लिए इस्लामिक कट्टरपंथी समूह भविष्य में आगे आ सकते हैं। इसके प्रमाण दिखने लगे हैं। उइगर अलगाववादियों और आतंकवादियों को सहयोग करने के लिए पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान में अपना ठिकाना बनाना प्रारंभ कर दिया है। इस आतंकवादी समूह को यहां बढ़िया खाद-पानी मिलने लगा है। यदि उइगर की स्थिति बिगड़ती है, तो क्षेत्रीय उग्रवादी समूहों को बढ़ने में देर नहीं लगेगा। पश्चिमी शक्तियां इसी फिराक में हैं। जिस प्रकार पूरा पश्चिम चीन के खिलाफ हो रखा है उससे चीन के खिलाफ उइगरों का इस्तेमाल अमेरिका और नाटो कर सकता है। तब शिनजियांग एक नया अफगानिस्तान बनकर उभरेगा।
पश्चिम के साथ चीन के बढ़ते तनाव को अक्सर अगले शीत युद्ध के रूप में देखा जा रहा है।
चीनी अधिनायकवाद और पश्चिमी लोकलुभावन लोकतांत्रिक राजनीति के बीच शीत युद्ध तय है। इस शीत युद्ध में शिनजियांग केन्द्र बनता दिख रहा है। कर्ज और सुविधाओं के बल पर चीन फिलहाल पाकिस्तानी नेतृत्व को अपनी ओर किए हुए है लेकिन पाकिस्तान की जनता चीन के खिलाफ लामबंद होने लगी है। इसका फायदा कट्टरपंथी उठाएंगे। उन कट्टरपंथियों को पश्चिमी शक्तियों का सहयोग तय है। इससे भविष्य में पाकिस्तान अस्थिर होगा। कट्टरपंथी इस्लामवादी समूह शिनजियांग और पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में अपना ठिकाना मजबूत करेंगे। ये भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए तो खतरनाक है ही साथ ही ईरान और अफगानिस्तान के लिए भी खतरनाक है। यही नहीं समय रहते पाकिस्तान को भी सतर्क हो जाना चाहिए। नहीं तो इसकी बड़ी कीमत पाकिस्तान को चुकानी पड़ेगी।