पटना/ बिहार की राजनीति में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू यादव के जेल से रिहा होने के बाद राजनीतिक तस्वीर बदल सकती है।इसे लेकर राजनीतिक विश्लेषकों के अपने-अपने दावे हैं। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक फिलहाल सरकार पर संकट को नकार रहे हैं।
बिहार की राजनीति को बहुत नजदीक से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार अरुण पाण्डेय ने बातचीत में कहा कि 1990 के दशक से बिहार में राजनीति की धुरी बने हुए है, राजद सुप्रीमो लालू यादव। उन्होंने कहा कि जोड़तोड़ की राजनीति में माहिर नीतीश कुमार फिलहाल उतने मजबूत नजर नहीं आ रहे हैं। वर्तमान सीटों के गणीत को देखे तो जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी की पार्टी के मुखिया को कोई बड़ा पद अगर मिलता है तो पासा पलटते देर नहीं लगेगी।
वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्रा ने कहा कि राजद सुप्रीमो के जमानत पर बाहर आने से फिलहाल बिहार में सत्तारुढ़ नीतीश नीत राजग गठबधन को खतरा तो अभी नहीं दिखता है, लेकिन पश्चिम बंगाल चुनाव परिणाम में ममता बनर्जी की वापसी होती है तो यहां भी उठा-पटक की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बिहार में नीतीश नीत राजग गठबंधन की सरकार बहुत ही लो मेजोरिटी की सरकार है।
इस बाबत वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार की सरकार को कोई खतरा नहीं है और यह सरकार पूरे पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि जो लोग सरकार पर संकट की बात करते हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की हम पार्टी राजद के साथ कभी नहीं जायेगी। उन्होंने कहा कि राजद ने 2020 के चुनाव से पहले ही उन्हें छला है, ऐसे में मेरे ख्याल से तो बिहार में वर्तमान सरकार पर संकट की बात करना बेकार है।
सुशील मोदी ने सोशल मीडिया पर उठाए सवाल
लालू यादव की जमानत के बाद उनके समकालीन और भाजपा से राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने सोशल मीडिया पर लगातार सवाल उठाते नजर आए। सुशील मोदी ने अपने लोगों को दिलासा देते हुए यहां तक कह दिया कि उनके आ जाने से कोई असर नहीं पड़ेगा। सुशील मोदी ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा कि लालू प्रसाद को जमानत मिलना उनके परिवार को सुकून देने वाला है, लेकिन उनके अति उत्साही समर्थक यदि जश्न के बहाने सड़कों पर तेल पिलाई लाठी लेकर निकलेंगे, इस पर राजनीति करेंगे तो उन्हें कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने की छूट नहीं दी जा सकती। राजद को सुनिश्चित करना चाहिए कि पार्टी प्रमुख की रिहाई कानून-व्यवस्था की समस्या न बने। सुशील मोदी ने आगे लिखा कि लालू प्रसाद को 1 लाख के निजी बांड पर हाईकोर्ट ने उनकी सेहत को ध्यान में रखकर जमानत दी। वे कोर्ट की अनुमति के बिना न विदेश जा सकते हैं न मोबाइल नंबर और पता बदल सकते हैं। राजद जमानत मिलने की कानूनी राहत को ऐसे पेश कर रहा है जैसे हाईकोर्ट लालू प्रसाद को 1000 करोड़ के चारा घोटाला के अपराध से दोषमुक्त कर रिहा कर रहा हो।
243 बिहार विधानसभा में दलगत आधार पर का गणित
राजद- 75
कांग्रेस – 19
लेफ्ट – 16
महागठबंधन – 110
भाजपा – 74
जदयू- 45
हम- 4
वीआईपी- 4
निर्दलीय-1
राजग- 128
लालू इफेक्ट चला तो यूं बदलेंगे समीकरण
महागठबंधन+एआईएमआईएम+हम+वीआईपीयानी 110+5+4+4=123 यानी पूर्ण बहुमत। यदि निर्दलीय के एक विधायक को भी लालू यादव अपने पाले में लाते हैं और 12 यादव विधायकों में 4 को भी तोड़ने कामयाब हो जाते हैं तो महागठबंधन की सरकार मजबूती के साथ बन सकती है।