गिरीश मालवीय
प्राइवेट ट्रेन चलाने की मोदी सरकार की मंशा को कड़ा झटका लगा है, कल खबर आई है कि पूरे देश में 12 क्लस्टर्स में प्राइवेट पैसेंजर ट्रेनें चलाने के लिए बोली मांगी थी। उसमंे से सिर्फ 3 क्लस्टर ( मुंबई 2, दिल्ली 1और दिल्ली 2 ) के लिए ही प्राइवेट कंपनियों ने बोली लगाई है सबसे बड़ी बात यह है कि रुचि दिखाने वाली 16 कंपनियों में से बस दो ने ही फाइनल बोली लगाई है।
दरअसल जुलाई 2020 में भारतीय रेलवे ने 109 रूटों पर ट्रेन चलाने के लिए निजी कंपनियों से ‘रिक्वेस्ट फार क्वालिफिकेशन’ यानी आरएफक्यू आमंत्रित किया था. इसे देश मंे रेलवे के प्राइवेटाइजेशन की बड़े पैमाने पर शुरुआत माना गया क्योंकि सरकार कह रही थी कि देश में 109 रूट्स पर चलने वाली ये प्राइवेट ट्रेनें मार्च 2023 से चालू हो जाएगी।
लेकिन अब सरकार कह रही है कि प्राइवेट यात्राी चलाई जाने की पूरी प्रक्रिया का ही फिर से मूल्यांकन किया जाएगा और इन मांगी गई बोलियों को दोबारा मूल्यांकन के पूरा हो जाने के बाद रद्द भी किया जा सकता है। सरकार की प्राइवेट ट्रेन चलाने की परियोजना पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। ऐसा हम क्यांे कह रहे हैं यह वजह भी जान लीजिए। दरअसल देश की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस यात्राी न मिलने से पहले भी तीन बार बंद हो चुकी है। चार अगस्त, 2019 को पहली बार यह ट्रेन शुरू हुई थी। इसके बाद कोरोना की वजह से 19 मार्च, 20 को पहली बार ट्रेन बंद हुई। ट्रेन पांच महीने बाद चली, पर 23 नवंबर 20 को यात्राी न मिलने से बंद हो गई। इसके बाद चार अप्रैल 21 को तीसरी बार ट्रेन बंद हुई थी।
पिछले दो बार यह ट्रेन सिर्फ इसलिए रद्द हुई है क्योंकि प्राइवेट कंपनी अपनी आपरेटिंग कास्ट भी नहीं निकाल पा रही हैं। पिछले साल भर से दिल्ली-लखनऊ रूट पर औसतन 25 फीसद यात्राी भी सफर नहीं कर रहे थे ओर मुंबई-अहमदाबाद रूट पर ट्रेन औसतन 35 फीसद ही भर पा रही थी. जबकि जरूरी खर्चे निकालने के लिए ट्रेन की 70 फीसद सीटें भरी होना चाहिए जो इन ट्रेन के महंगे किराए से संभव नहीं है।
लेकिन यदि आप सोच रहे हैं कि मोदी सरकार इन असफलताओं से डरकर रेलवे के प्राइवेटाइजेशन का विचार छोड़ देगी तो आप बिलकुल गलत सोच रहे हैं। सरकार इसके बजाय एक ओर तेजस ट्रेन चलाने जा रही है। रेलवे वाराणसी से लखनऊ होकर उज्जैन जाने वाली काशी महाकाल एक्सप्रेस ट्रेन को भी फिर से शुरू करने की तैयारी कर रही है यह भी पूरी तरह से निजी ट्रेन है।
ऐसा ही इन बोलियों का हाल होना है। सरकार प्राइवेट कंपनियों के लिए अपनी शर्तों को और सरल करेगी ताकि उन्हें वास्तविक रूप में लाभ पहुंचाया जा सके , सरकार अब प्राइवेट कंपनियों पर मेहरबान होकर अपने ‘हालेज चार्ज’.में कटौती करेगी , जब रेलवे की पटरियों, स्टेशन और दूसरी सुविधाओं का इस्तेमाल कोई दूसरी पार्टी करती है तो उसके एवज में रेलवे प्राइवेट पार्टी से ‘हालेज चार्ज’ वसूल करती है। यह चार्ज कम करके रेलवे खुद नुकसान उठाएगा और प्राइवेट कंपनियों को फायदा दिलाएगा।
(अदिति)