प्रेम रावत जी
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य अपनी समस्याओं के कारण भूलने लगता है कि उसका जीवन कितना कीमती है। इसका मतलब है कि वह मनुष्य अपने आपको नहीं जानता। समस्याएं तो आती-जाती रहेंगी, पर आप नहीं। आपको जो यह अमूल्य जीवन मिला है, यह बहुत कीमती है और यह ज्यादा मायने रखता है, बजाय आपकी समस्याओं के।
आप उन समस्याओं से दूर भी जा सकते हैं, क्योंकि आपके अंदर मनुष्य होने का बल है। उस बल का इस्तेमाल कीजिए! वह बल है, अपने आपको पहचानने और अपने आपको जानने का। और जो अपने आपको जान लेता है, वह यह जान लेता है कि ये समस्याएं कुछ नहीं हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि समस्या चली जाएगी, परंतु उस बल का इस्तेमाल करके मनुष्य उन समस्याओं से बाहर आ सकता है।
एक कहानी है। एक बार एक राजा ने अपने माली को बुलाया और कहा, “पहाड़ी पर जो हमारा महल है, वहां एक बहुत सुंदर बगीचा होना चाहिए।“ राजा का आदेश मानकर माली बगीचे की तैयारी में लग गया। नदी पहाड़ी के नीचे था। माली दो बड़े-बड़े मटकों को लेकर हर रोज नीचे जाता था, पानी से भरता था, फिर धीरे-धीरे करके वह ऊपर पहुँचता था और अपने बगीचे में पानी देता था।
एक दिन जो पीछे वाला मटका था, उसमें किसी चीज से ठोकर लगने के कारण छेद हो गया। वह माली पहाड़ी के नीचे जाए, दोनों मटकों को पानी से भरे और जबतक वह ऊपर तक आये तो आगे वाले मटके में तो पूरा पानी भरा रहता था, परन्तु पीछे वाला मटका खाली हो जाता था।
एक दिन आगे वाले मटके ने पीछे वाले मटके से कहा, “तुम तो किसी काम के नहीं हो। तुम्हारे में तो छेद हो गया है। मेरी वजह से राजा का बगीचा इतना हरा-भरा रहता है, क्योंकि मैं ही यहां तक पानी लाता हूं। जबतक तुम यहाँ पहुँचते हो, तुम्हारे में तो एक बूंद भी पानी नहीं बचता है। अब तुम किसी काम के नहीं हो।“
पीछे वाले मटके ने जब यह सुना तो बड़ा उदास हुआ। दूसरे दिन माली आया तो उसने देखा कि पीछे वाला मटका बड़ा उदास है। उसने मटके से पूछा, “क्या बात है ? तुम उदास क्यों है ?“तब उस मटके ने कहा, “आगे वाले मटके ने मुझसे कहा है कि मैं किसी काम का नहीं हूं। जब सवेरे-सवेरे पानी लेने के लिए आप जाते हैं, फिर जबतक आप बाग में पहुंचते हैं तो आगे वाले मटके में तो पानी रहता है, परन्तु मेरे अंदर छेद होने की वजह से एक बूंद भी पानी नहीं बचता है। आगे वाले मटके का यह कहना है कि जो बाग हरा-भरा है, वह उसकी वजह से है, मेरी वजह से नहीं है।“
माली ने हँसते हुए कहा, “तुम जानते नहीं हो। तुम्हारे भीतर छेद होने के बावजूद भी मैंने तुम्हें फेंका नहीं है। मैं तुम्हें हर रोज नीचे ले जाता हूं, तुम्हारे अंदर पानी भरता हूं और तुम्हें ऊपर तक लाता हूं। हाँ, यह सही बात है कि इस बाग में जो कुछ भी हरियाली है, हरा-भरा है, वह इस आगे वाले मटके की वजह से है, परन्तु क्या तुमने देखा नहीं कि उस नदी से लेकर ऊपर इस बाग तक जो फूल उग रहे हैं, वे सब तुम्हारी वजह से उग रहे हैं ? यह तो एक ही बाग है, पर तुम्हारी वजह से वह सारा का सारा रास्ता, उस नदी से लेकर इस बाग तक हरा-भरा है, क्योंकि उनको तुमसे पानी मिलता है।“
यह सुनकर मटका काफी खुश हो गया। उसको मालूम हुआ कि ‘‘वह अभी भी काम का है! वह राजा का बाग नहीं बना पाया, परंतु उसने एक ऐसा बाग बनाया है, जिस रास्ते पर सभी आने-जाने वाले सफर करते हैं और फूलों का आनंद लेते हैं।’’
अपने आपको कभी छोटा समझने की जरूरत नहीं है, चाहे आप कैसे भी परिस्थिति में हों! सबसे बड़ी बात है कि जीवन में चाहे कितनी ही मुश्किलें क्यों न आएं, लेकिन अपनी काबिलियत को पहचानकर जो लोग आगे बढ़ते हैं, उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता जरूर मिलती है। ऐसे लोग मुश्किल समय में भी निराश नहीं होते हैं।
जब मनुष्य ऐसी हालत में पहुंच जाता है जब वह किसी आशा को नहीं देख रहा है तो उसके लिए सारी आशा, निराशा में बदल जाती है। परंतु अगर ‘निराशा’ से ‘नि’ को हटा दें अपने जीवन में तो आपके जीवन में सिर्फ आशा ही आशा है! तो अपने जीवन में हमेशा आशा को अपनाएं और कभी निराश न हों।
(प्रेम रावत जी मानवता एवं शांति के विषय पर चर्चा करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय वक्ता हैं। उनके संदेश के संबंध में अधिक जानकारी www.premrawat.com द्वारा प्राप्त की जा सकती है।)