पटना/ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता दरबार के बाद पत्रकारों से बातचीत में विपक्षी दल राजद पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि हमें खुद ही जातीय जनगणना करा लेनी चाहिए, ये ठीक नहीं है। निर्णय केंद्र सरकार को लेना है। इस मुद्दे पर बताचीत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा गया है। वे जब बुलाएंगे, तब इस पर बातचीत कर ली जाएगी।
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि 13 तारीख को पीएम के यहां से एक पत्र आया है उसमें लिखा था कि आपका पत्र मिला। ऐसा नहीं है कि उन्होंने स्वीकार नहीं किया है जब उनके यहां से बुलावा आयेगा तब जायेंगे, पीएम के पास बहुत तरह के काम होते हैं।
सीएम नीतीश ने राज्य सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराने के बारे में कहा कि केंद्र को पत्र लिखा गया है।इतना जल्दी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना ठीक नहीं है। जातीय जनगणना होनी चहिये। जातीय जनगणना से नई पीढ़ी को हर विषय की जानकारी होगी। कई राज्यों ने पहले खुद ही जातीय जनगणना कराई है, लेकिन हम आपस में बात करके ही किसी निर्णय तक पहुंचेंगे।
उन्होंने कहा कि 2011 में हुई जनगणना अलग से कराई थी, उसकी रिपोर्ट ठीक नहीं थी। नीतीश ने कहा कि अगल-अलग जातियों की जानकारी से उनके संरक्षण के लिए बेहतर कार्य हो सकेंगे।आंकड़ा आने से सबका विकास हो सकेगा। बिहार में जातीय जनगणना को लेकर सियासत हावी है। इसको लेकर विपक्ष खासकर राजद केंद्र के साथ राज्य सरकार को भी कटघरे में घेर रही है।
साथ ही राजद राज्य सरकार से मांग कर रही है कि यदि केंद्र द्वारा जातीय जनगणना नहीं कराई जा रही है तो राज्य सरकार को स्वयं के पैसे से करावने की बात कह रही है। सीएम नीतीश केंद्र सरकार के फैसले का इंतजार कर रही है।वहीं जातीय जनगणना को लेकर बिहार के उप मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रेणु ने स्पष्ट कह दिया कि केंद्र नहीं करवाएगी जातीय जनगणना, राज्य सरकार जातीय जनगणना करवाने के लिए स्वतंत्र है।
जातीय जनगणना को लेकर भाजपा का स्पष्ट रूख है कि देश में अनुसूचित जाति और जनजाति को छोड़कर पूरे देश का एक ही जनगणना होगी, न कि किसी जाति की जनगणना होगी। इसके लिए केंद्र राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में स्पष्ट किया था कि देश में जातीय जनगणना करवाने की कोई जरूरत नहीं है।