गौतम चौधरी
विज्ञान और तकनीक बड़ी तेजी से अपना स्वरूप बदल रहा है। इसके सकारात्मक उपयोग पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। आधुनिक भारत ने भी बड़ी तेज गति से अपने प्रबंधन और प्रशासन में प्रगतिशीलता का समावेश किया है। इसके कारण कई मामलों में फायदा देखने को मिल रहा है। यही नहीं इससे भारत में भ्रष्टाचार पर भी नियंत्रण होता दिख रहा है। नयी तकनीक के प्रयोग से प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है। इसे सकारात्मक लिया जाना चाहिए। भारत के जनसंख्या का एक बड़ा भाग मुसलमानों का है। उनके कल्याण के लिए कई संस्थाएं काम कर रही है। उसमें से एक संस्था वक्फ बोर्ड है। यदि इस बोर्ड में नयी तकनीक का समावेश हो तो समाज के विकास में गति आएगी और पादर्शिता में बढ़ोतरी से भ्रष्टाचार पर नियंत्रण प्राप्त हो सकेगा। इसलिए वक्फ प्रबंधन में डिजिटलीकरण एक जरूरी प्रक्रिया है।
वक्फ, एक प्राचीन इस्लामी दानवित्त संस्था है। यह समाज में धार्मिक और शैक्षिक गतिविधियों को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। इस संस्था के पास बड़ी मात्रा में परिसंपत्ति तो है ही साथ ही इसको सरकार और निजी संस्थाओं के द्वारा समय समय पर वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है। इस संस्था के द्वारा कई लोककल्याण के कार्य किए जा रहे हैं। जानकारी में रहे कि इस संस्था के द्वारा चलाए जा रहे सेवा के कार्य को केवल मुसलमानों तक ही सीमित नहीं रखा गया है। इनके द्वारा चलाए जा रहे विद्यालयों में आम गरीब बच्चे भी बड़ी संख्या में पढ़ रहे हैं। इस संस्था के द्वारा कई अस्पताल भी चलाए जा रहे हैं, जिसमें गरीब और धनहीन, सस्ते में अपना इलाज करा सकते हैं। इस दृष्टि से यह केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं इस देश के प्रत्येक नागरिकों के लिए लोक कल्याणकारी संस्था है।
आए दिन वक्फ बोर्ड पर कई प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं। इस संस्था को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए कोई खास तंत्र विकसित नहीं किया गया है। सरकार इसलिए इसके मामले में हस्तक्षेप नहीं करती है कि यह अल्पसंख्यकों की संस्था है और सरकारी हस्तक्षेप के बाद सरकार पर पूर्वाग्रही रवैया अपनाने का आरोप लगने लगता है। इसलिए इसके अधिकारियों पर कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं हो पाता है। अल्पसंख्यकों की इस महत्वपूर्ण संस्था को भ्रष्टाचार से बचाने का कोई मजबूत उपाय अभी तक नहीं किया गया है। यदि ऐसा कर दिया जाए तो इसके द्वारा मुस्लिम समाज की सारी भौतिक समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। भ्रष्टाचार ने इसके उद्देश्यों को कमजोर कर दिया है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, वक्फ प्रबंधन में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया को नयी दिशा देगा। यही नहीं इस संस्था को जवाबदेह भी बनाएगा।
राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक ‘द हिन्दू’ की रिपोर्ट के अनुसार, तेलंगाना स्टेट वक्फ बोर्ड, जिसे राज्य भर में 33,929 संपत्तियों के देखभाल की जिम्मेबारी है, कई कठिनाइयों का सामना कर रहा है। जैसे, सैंकड़ों मामलों का विवाद, कर्मचारियों की समस्या, संपत्ति का अतिक्रमण और संपत्ति खंडों का उपयोग आदि शामिल है। वक्फ भूमि खंडों के उपयोग में कई कमियां देखने को मिल रही है। उसी रिपोर्ट में बताया गया है कि हज हाउस के पास स्थित सात मंजिला वक्फ गार्डन व्यू मॉल, जिसमें बोर्ड का कार्यालय भी है, वह एक व्यापारिक कार्य के लिए उपयोग करने की कोशिश की गयी। वक्फ कानून के अनुसार ऐसा नहीं किया जा सकता है। इसका उपयोग लोक कल्याण के लिए ही करना है लेकिन वक्फ प्रबंधन में शामिल पदाधिकारी अपनी मनमानी चला रहे हैं। इस कारण यह बिल्डिंग लगभग दस साल से खाली पड़ा है। खैरताबाद क्षेत्र में एक और अविकसित भूमि खंड इसी प्रकार के विवाद में फंसा है। इसका भी कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। नवम्बर 2017 में राजस्व विभाग के अधिकारी ने इसके रिकॉर्ड रूम को बंद कर दिया था। जिसके बाद बोर्ड को पांच साल से अधिक का समय हो गया है। तेलंगाना वक्फ बोर्ड स्रोतों के मुताबिक, मुस्लिम दान वित्त कई प्रकार के कानूनी दांव पेंच में फंसा है। इसके लगभग 4,000 मामले लंबित हैं। स्रोतों के अनुसार, सरकार बहुत सारे इस प्रकार के मामलों में शामिल है। प्रदेश वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शाहनवाज कासिम ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर यह मांग की कि इस प्रकार के मामलों के समाधान के लिए ऑनलाइन गेटवे विकसित की जाए। वह भी लंबित है। बता दें कि वक्फ एक्ट के अनुसार बोर्ड की संपत्तियों के संबंधित समस्याओं का निर्णय करने का अधिकार बोर्ड के पास ही है। अब बोर्ड ट्रिब्यूनल के पास इलेक्ट्रॉनिक कोर्ट सिस्टम ही नहीं है। ऐसे में समाधान कैसे होगा?
इन तमाम समस्याओं के समाधान के लिए वक्फ रिकॉर्ड को डिजिटल करना और एक केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार करना जरूरी है। ऐतिहासिक दस्तावेजों के संरक्षण के लिए भी आधुनिक तकनीक का सहारा लेना जरूरी हो जाता है। इस प्रकार के काम में नुकसान या जोखिम कम होता है। इससे वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा। ऐसा करने से हिस्सेदार, संपत्तियों, राजस्व उत्पादन और धन का आवंटन के बारे में जानकारी को एक्सेस कर सकते हैं, जिससे जन विश्वास को मजबूत किया जा सकता है। इससे वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा। वक्फ प्रशासन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म शासकीय अक्षमता को कम करने में मदद साबित होगा। वक्फ पंजीकरण, आवेदन समिशन और मॉनिटरिंग के लिए ऑनलाइन पोर्टल्स लागू करने से लाभार्थियों को द्रुत गति से सेवा उपलब्ध कराया जा सकता है।
कुल मिलाकर वक्फ एक कल्याणकारी संस्था है। इससे न केवल मुसलमानों को फायदा होता है अपितु हर वर्ग इससे लाभ प्राप्त कर रहे हैं। इधर के दिनों में इसमें भ्रष्टाचार के कई मामले देखे जा रहे हैं। यही नहीं कई मामले न्यायालय में भी लंबित हैं। कई मामले वक्फ बोर्ड के ट्रिब्यूनल में लंबित है। ऐसे में इस संस्था को नयी तकनीक से आबद्ध करना जरूरी है। इससे इस संस्था में पारदर्शिता आएगी और लाभार्थियों को जल्द से जल्द लाभ पहुंचाया जा सकेगा। यह समय की मांग भी है। वक्फ बोर्ड में ऐसे कई दस्तावेज हैं, जिसका डिजिटलीकरण जरूरी है। इससे उसकी आयु बढ़ जाएगी। उदाहरण के लिए पटना का खुदावख्श पुस्तकालय को लिया जा सकता है। यह पुस्तकालय मुगल काल का सबसे बड़ा दस्तावेज संग्रह केन्द्र है। इसका पूर्ण रूप से डीजिटलीकरण किया जा चुका है। अब इसे अपने दस्तावेजों को सुरक्षित रखने में कोई परेशानी नहीं हो रही है। इसलिए वक्फ बोर्ड को भी इसी प्रकार अपने को ढ़ालना चाहिए। इसके पास जो ऐतिहासिक दस्तावेज हैं उसकी सुरक्षा भी जरूरी है। इसके लिए भी डिजिटलीकरण जरूरी है।