बिहार के वित्तमंत्री का दावा खोखता, आर्थिक मोर्चो पर  बेहद कमजोर है प्रदेश

बिहार के वित्तमंत्री का दावा खोखता, आर्थिक मोर्चो पर बेहद कमजोर है प्रदेश

पटना/ बिहार के वित्तमंत्री विजय कुमार चैधरी ने दावा किया है कि राज्य देश में सबसे तेज गति से विकास कर रहा है। यही नहीं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने भी विजय चैधरी के दावे को दोहराते हुए बिहार के विकास दर को देश में सबसे अधिक बताया। जबकि बिहार के विकास की यह हकीकत नहीं है। दरअसल केंद्रीय सांख्यिकी संगठन की ओर से जारी विकास दर के आंकड़ों के हवाले किए जा रहे दावों में पूरी सच्चाई सामने नहीं आ रही है।

केंद्रीय सांख्यिकी संगठन की राज्य सकल घरेलू उत्पाद और विकास दर की ताजा सूची में देश के 11 राज्यों के आंकड़े शामिल नहीं है। इनमें गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, पुडुचेरी, गोवा और चंडीगढ़ जैसे राज्य हैं। इनमें से अधिकतर की विकास दर लगभग हर साल बिहार से अधिक होती है। इनके आंकड़ों के शामिल होने पर विकास दर की रैंकिंग में बिहार की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।

देश में बिहार के विकास को सबसे तेज बताते हुए इस तथ्य को भी नजरअंदाज कर किया गया है किताजा आंकड़े केवल क्विक एस्टीमेट यानी त्वरित अनुमान पर आधारित हैं। दो साल बाद 2025 में इनके वास्तविक आंकड़े आएंगे। पिछले अनुभव यही बताते हैं कि अमूमन विकास दर के वास्तविक आंकड़े त्वरित अनुमान के काफी कम हो जाते हैं।

2017-18 में विकास दर के मामले में बिहार देश में 14वें नंबर पर 2018-19 में चैथे नंबर पर, 2019-20 में 13वें नंबर पर, 2020-21 में 28वें नंबर पर और 2021-22 में 20वें नंबर पर रहा।

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विकास दर के पिछले आंकड़े बयां कर रहे हकीकत

साल क्विक प्रोविजनल एक्चुअल राज्यों में रैंक

2017-18 11.3 10.5 7.91 14

2018-19 10.5 9.3 10.9 4

2019-20 10.5 7.4 4.44 13

2020-21 2.5 -3.2 -7.43 28

2021-22 11.0 8.46 – 20

नोट : स्थिर मूल्य पर विकास दर के ये आंकड़े प्रतिशत में हैं।
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क्यों होती है जीएसडीपी आंकड़ों पर ऐसी उलटफेर

राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का मतलब एक वित्तीय वर्ष में वस्तुओं और सेवाओं का कुल उत्पादन होता है। इसमें मशीनों की घिसाई जैसे कुछ और अवमूल्यन को घटा दिया जाता है। स्थिर मूल्य पर इसी को राज्य की अर्थव्यवस्था का वास्तविक आकार माना जाता है। इसी में सालाना वृद्धि को राज्य का विकास दर माना जाता जाता है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने के कुछ ही महीनों बाद केंद्रीय सांख्यिकी संगठन जीएसडीपी और विकास दर का राज्यवार त्वरित अनुमान जारी करता है।

2022-23 का जीएसडीपी अभी जारी किया गया है। त्वरित अनुमान के लिए आंकड़े राज्यों के सांख्यिकी निदेशालय और दूसरी एजेंसियों की ओर से भेजे जाते हैं। अलग-अलग आर्थिक गतिविधियों की पूरी गणना उस समय तक नहीं होने के कारण राज्यों की ओर से इसे केवल अनुमान के आधार पर भेज दिया जाता है। साल भर में जीएसडीपी से जुड़े सेक्टर के आंकड़े काफी कुछ आ जाते हैं। इस आधार पर अगले साल प्रोविजनल डाटा जारी होता है। फिर एजी और दूसरी नियामक संस्थाओं की ओर से औपचारिक वित्तीय लेखे-जोखे के सत्यापन के बाद वास्तविक आंकड़े आते हैं। 2022-23 की जीएसडीपी के वास्तविक आंकड़े 2025 में आएंगे।
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देश की तुलना में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय में भी काफी कम वृद्धि हो रही

साल प्रति व्यक्ति आय वृद्धि देश में रैंक

2017-18 4.97ः 20

2018-19 8.88ः 5

2019-20 2.43ः 16

2020-21 -9.99ः 29

2021-22 6.93ः 26

2022-23 के त्वरित अनुमान में यह वृद्धि 9.07 फीसदी दिखाई गई है।
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आबादी की तुलना में देश की अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी भी कम देश की अर्थव्यवस्था में बिहार की हिस्सेदारी आबादी की तुलना में काफी कम है। 2011 की जनगणना के मुताबिक देश की 8.6 फीसदी आबादी बिहार में निवास करती है। 2036 तक इसके 14.5 फीसदी हो जाने का अनुमान है। इस हिसाब से देखे तो 2021-22 में जीएसडीपी में बिहार की हिस्सेदारी केवल 2.63 प्रतिशत रही। 2019-20 में 2.76 फीसदी के बाद से यह लगातार घट रही है।
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विदेशी निवेश: देश में 1000 रुपए तो इसमें बिहार की हिस्सेदारी 1 रुपए मात्र केंद्रीय औद्योगिक नीति संवर्धन विभाग के आंकड़ों की मानें तो अक्टूबर 2019 से जून 2023 तक बिहार में केवल 1639 करोड़ का विदेशी निवेश हुआ है। जो इस अवधि में देश में हुए कुल निवेश का केवल 0.1 फीसदी यानी एक हजार रुपये के निवेश में केवल एक रुपया बिहार के हिस्से में आ रहा है।
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शॉर्टकट में जानें.. चार प्रमुख कारण

1/ गुजरात, महाराष्ट्र, केरल समेत 11 राज्यों के आंकड़े सूची में शामिल नहीं हैं, इनकी विकास दर हमसे ज्यादा

2/ क्विक एस्टीमेट 2022-23 में हमारी विकास दर 10.64 प्रतिशत रही, वास्तविक आंकड़े दो साल बाद आएंगे

3/ वास्तविक विकास दर, क्विक एस्टीमेट के आंकड़ों में दर्शाई गई दर से काफी कम हो जाती है

4/ जैसे 2017-18 के बाद हमारी विकास दर देश में क्रमशः 14वें, चैथे, 13वें, 28वें और 20वें नंबर पर रही

झारखंडनामा ब्लाॅग से साभार

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