राज सक्सेना
आजादी के बाद से ही देश छोडकर अपनी मांग और सपनों के अनुरूप इस्लामिक राष्ट्र के रूप में नवोदित देश पाकिस्तान गये मुस्लिमों की सम्पत्ति के स्वामित्व को लटका कर उसे पाकिस्तान से आकर बेचने और अन्य तरीकों आदि से उसके स्वामित्व को वक्फ करने आदि की आड़ लेकर उसे खुर्द बुर्द करने का समय देकर तत्कालीन सरकारों ने खरबों रूपये की सम्पत्तियों से देश को वंचित किया था। यहाँ तक कि बड़ी देर से उन्हें शत्रु सम्पत्ति घोषित करने के बाद भी उसके कानून में इस तरह की पेचीदगियां छोड़ी गयीं कि बरसों तक उन्हें न्यायालयों में लटका कर रखा जा सके। इन परिस्थितियों के चलते ही और खरबों रुपयों की और सम्पत्तियों से देश वंचित हुआ तथा केस लड़ने में सरकारों के करोड़ों रूपये और समय जो लगा, वह अलग था। वर्तमान सरकार ने सत्ता सम्भालते ही इस ओर ध्यान दिया और सारे रिकार्ड को जितना सम्भव हो सकता था, उतना अद्यावधिक कराया। मुकदमों की सख्त पैरवी की और जितनी अनधिकृत चंगुल से निकल सकती थीं, उन शत्रु सम्पत्तियों को कब्जा मुक्त कराकर अपने कब्जे में लिया। यह सब करने के बाद उनके निष्पादन की प्रक्रिया पिछले वर्ष के सितम्बर माह से सार्वजनिक नीलामी के माध्यम से प्रारम्भ की गयी।
अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनिमी प्रॉपर्टी (शत्रु सम्पत्ति) के नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पूरे देश में ऐसी 12,611 संपत्तियां हैं जिनकी कीमत एक लाख करोड़ रुपए से अधिक आंकी गई है। शत्रु संपत्तियां भारत के लिए शत्रु संपत्ति के संरक्षक (कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रोपर्टीज फार इण्डिया, सीईपीआई) में निहित है। सरकार ने अब तक शत्रु संपत्तियों में ज्यादातर चल संपत्ति जैसे शेयर और सोना के निपटान से 3,400 करोड़ रुपये से अधिक अर्जित किए हैं। एनिमी प्रॉपर्टी के निपटान के लिए दिशा निर्देशों में संपत्तियों की बिक्री से पहले संबंधित जिला मजिस्ट्रेट या उपायुक्त की मदद से शत्रु संपत्तियों को बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू करने की आवश्यकता होती है। कुल 9,400 संपत्तियों में से 6,289 शत्रु संपत्तियों की पहचान कर ली गई है और बाकी की 2,991 संपत्तियों का सर्वे अभी चल रहा है। गृहमंत्री को इस बात की जानकारी दे दी गई है। उन्होंने आदेश दिया था कि ऐसी जिन संपत्तियों पर अभी कोई बसा नहीं है. उन्हें कब्जे में लेकर उनकी नीलामी करवाई जाए।
कांग्रेस ने 60 सालों तक देश पर शासन किया लेकिन उसने देश के सामने मौजूद समस्याओं का समाधान करने की जगह उसे उलझाए ही रखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसीलिए कहा था कि कांग्रेस की संस्कृति अटकाने, लटकाने और भटकाने की रही। 2014 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से इन सभी समस्याओं, गड़बड़ी और गलतियों को क्रमवार तरीके से ठीक किया जा रहा है। इसी तरह 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम बना दिया गया लेकिन इन संपत्तियों का निपटारा नहीं किया गया। अब मोदी सरकार ने शत्रु संपत्तियों की पारदर्शी तरीके से नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
रक्षा संपदा महानिदेशालय के माध्यम से गृह मंत्रालय ने 2018 में पूरे देश के स्तर पर 20 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में शत्रु संपत्तियों का देशव्यापी सर्वेक्षण शुरू किया था। इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य इन संपत्तियों की पहचान करना, उनका पता लगाना और फिर उन्हें मुद्रीकृत करना था। सीईपीआई से मुख्य रूप से इस सर्वेक्षण में इन संपत्तियों की पहचान करेगा और डीजीडीई इन संपत्तियों की कीमतों का मूल्यांकन करने के लिए वर्तमान स्थिति का आकलन करेगा। पाकिस्तान की नागरिकता लेने वालों की कुल संपत्तियां देश में बहुत अधिक है। एनिमी प्रॉपर्टी की सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश (6,255 संपत्तियां) हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल (4,088 संपत्तियां), दिल्ली (659), गोवा (295), महाराष्ट्र (208), तेलंगाना (158), गुजरात (151), त्रिपुरा (105), बिहार (94), मध्य प्रदेश (94), छत्तीसगढ़ (78) और हरियाणा (71) आते हैं। कुल 126 संपत्ति ऐसी हैं जिनके मालिक चीन की नागरिकता लेकर वहां बस चुके हैं। ऐसी सबसे अधिक संपत्तियां मेघालय में है। मेघालय में कुल 57 तो पश्चिम बंगाल में 29 और असम में 7 संपत्तियां हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत ही शत्रु संपत्तियों की नीलामी कर रहा है। पाकिस्तान में भी जो संपत्तियां भारतीयों की थी, उसे बेचा जा चुका है। इन्हे बेचकर सरकार को बड़ी राशि मिलेगी।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक शत्रु संपत्तियों के निस्तारण के नियमों में बदलाव किया गया है। इन नियमों के अनुसार किसी भी संपत्ति को बेचने से पहले अब जिम्मेदार जिलाधिकारी या उपायुक्त की मदद से शत्रुतापूर्ण संपत्तियों को बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए। सीईपीआई 100 करोड़ रुपये से कम और 1 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की किसी भी शत्रु संपत्ति का निपटान ई-नीलामी या केंद्र सरकार द्वारा परिभाषित किसी अन्य तरीके से और शत्रु संपत्ति निपटान समिति द्वारा निर्धारित मूल्य पर करेगा।
एनिमी प्रॉपर्टी का मतलब किसी भी व्यक्ति या संस्थाओं के स्वामित्व वाली संपत्ति से है जिसे राज्य का ‘दुश्मन’ माना जाता है। इसमें आम तौर पर ऐसे व्यक्ति या संस्थाएं शामिल होती हैं जो उन देशों के निवासी हैं जो भारत के साथ घोषित या अघोषित युद्ध में हैं या जिन्हें भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा माना जाता है। शत्रु संपत्ति में रियल एस्टेट, भवन, भूमि, बैंक खाते, शेयर और अन्य संपत्ति शामिल हो सकती है। 1968 के शत्रु संपत्ति अधिनियम (2017 में संशोधित) के अनुसार भारत में शत्रु संपत्ति के संरक्षक (सीईपीआई) के पास भारत में शत्रु संपत्तियों के संबंध में कुछ अधिकार हैं।
भारत में एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट पहली बार 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के तुरंत बाद 1968 में लागू किया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य भारत के लिए शत्रु संपत्ति के अभिरक्षक में शत्रु संपत्ति निहित करने का प्रावधान करना था। कस्टोडियन सरकार की ओर से शत्रु संपत्ति के प्रबंधन और प्रशासन के लिए जिम्मेदार होता है। शत्रु संपत्ति अधिनियम में पिछले कुछ वर्षों में कई संशोधन हुए हैं। इनमें सबसे अहम 2017 में किया गया संशोधन था। इस संशोधन ने कानूनी उत्तराधिकारियों को शत्रु संपत्ति पर उनके अधिकार से वंचित कर दिया गया। इस संशोधन ने अधिनियम के दायरे का भी विस्तार किया जिसमें न केवल उन व्यक्तियों की संपत्ति शामिल की गई जो शत्रु राज्यों से हैं, बल्कि उनके वंशजों या उत्तराधिकारियों की संपत्ति भी शामिल है जो भारत के नागरिक हैं। इस संशोधन ने सरकार को शत्रु संपत्ति बेचने की भी अनुमति दी, जो पहले प्रतिबंधित थी।
एक करोड़ रुपये से कम मूल्य की एनिमी प्रॉपर्टी के मामले में संरक्षक पहले कब्जा करने वाले को खरीदने की पेशकश करेगा और यदि इसे अस्वीकार कर दिया जाता है तो शत्रु संपत्ति का निपटान गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाएगा। 1 करोड़ रुपये और 100 करोड़ रुपये से कम मूल्य की शत्रु संपत्तियों का निपटान ई-नीलामी के जरिए किया जाएगा। सार्वजनिक उद्यम के ई-नीलामी प्लेटफॉर्म, मेटल स्क्रैप ट्रेड कॉर्पोरेशन लिमिटेड का उपयोग किया जाएगा।
अब तक दिनांक 08 सितम्बर, 23 को 31, 17 अक्तूबर, 23 को 37, 22 नवम्बर, 23 को 35, 27 दिसम्बर, 23 को 55, 31 जनवरी, 24 को 59 और 57 शत्रु संपत्तियों की छठी ई नीलामी तथा 57 शत्रु संपत्तियों की 7वीं नीलामी 7 मार्च, 24 को प्रारम्भ की जा चुकी है। मोदी सरकार का यह कदम देर से ही सही पर सही दिशा में उठाया गया कदम कहा जाएगा।
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