नयी दिल्ली/ अब कांग्रेस पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन की सरकार पर भाषा से संबंधित आरोप लगाया है। कांग्रेस ने मंगलवार को एक खबर का हवाला देते हुए दावा किया कि सरकार शास्त्रीय भाषा वर्गीकरण के मानदंड में बदलाव कर सकती है।
पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि क्या यह मराठी को एक भाषा के रूप में मान्यता देने से रोकने का प्रयास है? रमेश ने अंग्रेजी दैनिक ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट ‘एक्स’ पर साझा की, जिसमें दावा किया गया है कि केंद्र सरकार ने शास्त्रीय भाषा टैग देने के मानदंडों में बदलाव करने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, दस वर्षों से कांग्रेस मांग कर रही है कि मराठी को शास्त्रीय भाषा घोषित किया जाए। महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने 11 जुलाई 2014 को इस विषय पर ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री के तत्कालीन संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्रीपाद नाइक को पत्र लिखा था। उसी साल 13 मई को मैंने पृथ्वीराज चव्हाण की मांग दोहराई थी।
रमेश ने आगे कहा, मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते तमिल, संस्कृत, कन्नड़, तेलुगु, मलयालम और उड़िया को शास्त्रीय भाषाएं घोषित किया गया था। राज्यसभा सदस्य रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार में किसी भारतीय भाषा को यह दर्जा नहीं मिला।
रमेश ने दावा किया, सरकार द्वारा अब शास्त्रीय भाषा वर्गीकरण के मानदंड को बदले जाने की संभावना है। नये नियम क्या हैं और मानदंड में बदलाव के बाद शास्त्रीय भाषा की स्थिति के लिए आवेदन करने की नई प्रक्रिया क्या होगी, इस पर फिलहाल कोई स्पष्टता नहीं है।
इस हिसाब से तो मैथिली को सबसे पहले शास्त्रीय भाषा घोषित किया जाना चाहिए ।