नयी दिल्ली/ तकनीक के बढ़ते कदम ने जितनी सहुलियतें उपलब्ध कराई है, उतनी ही परेशानियां खड़ी कर दी है। दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाली साइबर विंग ने रविवार को एक अहम एडवाइजरी जारी की। साइबर विंग ने कहा है कि किसी भी सरकारी दफ्तर से ईमेल पर कोई संदिग्ध ई-नोटिस मिलने पर लोगों को उस ईमेल में दिए गए नाम को इंटरनेट की मदद से चेक करना चाहिए। साथ ही संबंधित विभाग साइबर अपराध यूनिट में फोन करके आधिकारिक नाम के बारे में पूछताछ करनी चाहिए।
वहीं, भारतीय साइबर अपराध कोर्डिनेशन सेंटर ने एक सार्वजनिक विज्ञापन में कहा कि लोगों को सरकारी ई-नोटिस के आड़ में फर्जी ईमेल से सतर्क रहना होगा। विज्ञापन में आगे कहा गया है कि यह एक तरह का धोखा हो सकता है। ऐसे में यह लोगों को साइबर धोखाधड़ी का शिकार बन सकती है।
भारतीय साइबर अपराध कोर्डिनेशन सेंटर ने लोगों को ऐसे ईमेल पर क्लिक करने से पहले कुछ सुझाव दिए हैं। जैसे लोगों को यह चेक करना है कि क्या ईमेल किसी आधिकारिक सरकारी वेबसाइट से आया है, जो gov.in पर वेबसाइट का यूआरएल यानी लिंक समाप्त हो रहा है। किसी भी सरकारी ईमेल में दिए गए अधिकारी के नाम को वेरिफाई करें और संबंधित विभाग में फोन करके इसकी पुष्टि करें।
आगे बताया गया है कि किसी भी ऐसे ईमेल का जवाब नहीं देना है, जिसमें कुछ भी संदिग्ध लगें। ऐसे मामलों की सूचना तुरंत पास के पुलिस स्टेशन या साइबर पुलिस स्टेशन को दी जानी चाहिए। साइबर अपराध से निपटने के लिए मंत्रालय की साइबर विंग ने बीते साल अगस्त में भी एक एडवाइजरी जारी की थी। इस दौरान लोगों को सरकारी वेबसाइट की आड़ में नकली ईमेल के प्रति सतर्क किया था।
नकली ईमेल में जानबूझकर आई4सी, इंटेलीजेंस ब्यूरो और दिल्ली पुलिस के लोगो का गलत इस्तेमाल किया गया है, ताकि लोगों को आसानी से गुमराह किया जा सकें। बीते हफ्ते केंद्रीय सचिवालय के कई अधिकारियों को फर्जी ईमेल भेजे गए थे, जिसमें कहा गया था कि एमईए की मैसेजिंग टीम की तरफ से जारी किए गए थे। संदिग्ध ईमेल और साइबर अपराध के किसी भी मामले की शिकायत www.cybercrime.gov.in पर या फिर साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दी जा सकती है।