गौतम चौधरी
झारखंड में रहने वाली सबसे बड़ी जनजातीय संताल आदिवासी समूह में कई ऐसी परंपरा है जो आम आदिवासियों से थोड़ा भिन्न है। यह परंपरा इनकी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान भी है। समाज में विवाह को लेकर सदियों पुरानी एक अनोखी परंपरा आज भी बरकरार है।
संताली भाषा में विवाह को बापला कहा जाता है। यहां बता दें कि संथाली समाज में आज भी दहेज जैसी कुप्रथा नहीं पनप पायी है। वैसे किसी आदिवासी समाज में इस प्रकार की कुप्रथा देखने को नहीं मिलती है लेकिन बाहरी प्रभाव के कारण किसी-किसी जनजातीय समाज में इस प्रकार के चलन को देखा जाने लगा है। परंतु संथाली समाज दजेज जैसी कुप्रथा से दूर है। अन्य आधुनिक समाज से उलट इस समाज में लड़की से शादी करने वाले पक्ष को यानी वर पथ को शगुन के तौर पर कुछ पैसे बधु पक्ष को देना पड़ता है। इस परंपरा को संताली भाषा में गोनों पोन कहा जाता है।
इस गोनों पोन एक हिस्सा लड़की के पिता को जाता है। मान्यता ऐसी है कि पिता ही लड़की का असली अभिभावक है। एक हिस्सा मां को जाता है। इसी तरह इस गोनों पोन से एक हिस्सा लड़की की दादी और नानी को भी दिया जाता है। गोनों पोन का एक हिस्सा लड़की की सहेलियों को भी देने की परम्परा है। संथाली समाज में दा बापला से पारम्परिक तरीके से विवाह कार्यक्रम की शुरुआत होती है।
दा बापला यानी विवाह का प्रथम चरण। इसके बाद जब वर पक्ष बारात लेकर वधु पक्ष के गांव की सीमा पर पहुंचते हैं तो बधु पक्ष के लोग उनका स्वागत ढाल-तलवार और लाठी-डंडों से करते हैं। उधर वर पक्ष की बरातियों के पास भी हथियार होता है। इस परंपरा को संताली भाषा में दारामदा कहा जाता है।
जब बराती पक्ष वधु पक्ष के गांव के मुहाने पर पहुंचते हैं तो बाराती और सराती दोनों पक्षों के लोग लाठी, तलवार, ढाल और डंडा लेकर आपस में हमला कर युद्ध जैसा दृश्य उत्पन्न कर देते हैं। लेकिन आमने-सामने होते ही दोनों पक्षों के बीच छद्म युद्ध, युद्ध न होकर नाच-गान के साथ आपसी प्रेम और सौहार्द के खुशनुमा माहौल में तब्दील हो जाता है। दोनों पक्ष के लोग इस मौके पर अपनी अपनी पारम्परिक नृत्य कला प्रस्तुत करते हैं।
इस दौरान दोनों पक्ष के ढोल बजाने वाले ढोलकिया का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। इस दौरान वे सर्वश्रेष्ठ कला का प्रदर्शन करने का प्रयास करते हैं। इसके बाद वधु पक्ष के लोग परम्परागत तरीके से पानी के लौटे से वर का स्वागत करते हुए गांव में लड़की के दरबाजे तक ले जाते हैं। विवाह कार्यक्रम के दौरान वधु पक्ष के प्रत्येक घर की महिलाएं कंधे पर उठा कर गांव में घुमाये जा रहे दूल्हे को गुड़ खिलाकर मुंह मीठा कराती हैं।
कुछ संथाली आदिवासियों में आज भी एक अजीब परंपरा का पालन किया जाता है। संथाली समुदाय में मान्यता है कि बेटी के ऊपर का दांत सबसे पहले निकलने पर उसकी शादी कुत्ता के साथ कराई जाती है। वहीं बेटे के ऊपर का दांत सबसे पहले निकलने पर मादा कुत्ते के साथ आखाईन जातरा के दिन उसकी शादी कराई जाती है। मान्यता है ऐसा करने से दोष निवारण होता है।
संथाल समाज में सगोत्री शादी नहीं होती है। हालांकि ऐसा लगभग सभी हिन्दू जातियों में देखने को मिलता है। कुछ हिन्दू जातियों में इसको लेकर बड़ा आग्रह है तो कुछ में इस नियम को थोड़ा सीथिल कर दिया गया है। इस संबंध में जानकार बताते हैं कि इस परंपरा के पीछे कई कहानियां प्रचलित है। संताल समाज में एक ही गोत्र यानी मरांडी का मरांडी से, मुर्मू का मुर्मू, सोरेन का सोरेन टाइटल वाले लड़के या लड़की से विवाह वर्जित है।
संथाली समाज में मुख्य रूप से शादी की कई परंपराएं प्रचलित है। जिस प्रकार अन्य सनातनी हिन्दुओं में विवाह की कई परंपरा विकसित और मान्यता प्राप्त है उसी प्रकार संथाल समाज में भी देखने को मिलता है। सदाय या रायवर बापला एक सर्वमान्य विवाह प्रयोग है। रायवर वापला में वर-वधु पक्ष के अभिभावक की सहमति से होती है। टुमकि दिपिल बापला में कम खर्च का प्रचलन है। इसमें बारात भोज नहीं होता है।
गरीब संतालों में यही शादी प्रचलित है। अपाडगीर बापला या अंगीर बापला एक प्रकार का प्रेम विवाह है। ओर-आदेर बापला में जब किसी लड़के-लड़की के बीच शादी के पहले संबंध बन जाता है, तो लड़का जबर्दस्ती लड़की को अपने घर लाकर विवाह रचाता है। इरबोलोक बापला में संबंध बनने बाद लड़का यदि शादी से इनकार करता है, तो लड़की जबर्दस्ती लड़के के घर रहने चली आती है। इतुल बापला में लड़का अपनी पसंद की लड़की की मांग में जबरन सिंदूर भर देता है। उपर की दो परंपरा को छोड़ अन्य परंपरा व्यापक मान्यता प्राप्त नहीं है।
संथाल समाज में पत्नी के गर्भवती होने पर पति शिकार पर नहीं जाता है। इस दौरान वो किसी के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं होता है। वहीं समाज में तलाक की भी परंपरा है। एक संथाल व्यक्ति अपनी पत्नी को उस स्थिति में तलाक दे सकता़ जब वो उसकी आज्ञा का पालन न करे। वहीं महिलाएं अपनी देखभाल सही ढंग से न होने या फिर किसी अन्य पुरुष से शादी करने की इच्छा के आधार पर तालाक दे सकती है। यह समाज द्वारा मान्यता प्राप्त है।