बैंगलुरु/ कर्नाटक सरकार ने सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को चार प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। भाजपा ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है और इस फैसले को देश के लिए घातक बताया है। सिद्दरमैया सरकार के फैसले का विरोध करते हुए भाजपा ने इसे बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान की भावना के खिलाफ बताया।
कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया, जिसके तहत सार्वजनिक ठेकों में मुस्लिम समुदाय के लिए चार प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है। कानून और संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल द्वारा कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया गया।
शुक्रवार को कैबिनेट ने कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी। इसके तहत दो करोड़ रुपये तक के सिविल कार्यों और एक करोड़ रुपये तक के वस्तु/सेवा ठेकों में मुस्लिमों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई। मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने इस प्रस्ताव की घोषणा सात मार्च को पेश किए गए 2025-26 के बजट में की थी।
वर्तमान में कर्नाटक में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए सिविल कार्य ठेकों में 24 प्रतिशत, ओबीसी-श्रेणी 1 के लिए चार प्रतिशत और ओबीसी-श्रेणी 2ए के लिए 15 प्रतिशत आरक्षण है। मुस्लिमों को ओबीसी की श्रेणी 2बी में चार प्रतिशत आरक्षण के तहत शामिल करने की मांग की गई थी। भाजपा ने इस कदम को असंवैधानिक करार दिया है और इसे अदालत में चुनौती देने की बात कही है।
विधेयक का उद्देश्य पिछड़े वर्गों में बेरोजगारी को कम करना और सरकारी निर्माण परियोजनाओं में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। विधेयक में अनुसूचित जातियों, जनजातियों और पिछड़े वर्गों के लिए वस्तु और सेवा की खरीद में आरक्षण की भी व्यवस्था है, जिसमें अनुसूचित जाति के लिए 17.5 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 6.95 प्रतिशत, ओबीसी की श्रेणी-1 के लिए चार प्रतिशत, श्रेणी 2ए के लिए 15 प्रतिशत और श्रेणी 2बी (मुस्लिम) के लिए चार प्रतिशत आरक्षण शामिल है।
इस मामले में राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ठेकेदार संघ ने मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को एक याचिका दी है जिसमें सरकारी ठेकों में मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत कोटा को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। संघ ने कहा है कि चूंकि यह मामला राजनीतिक रूप ले चुका है, इसलिए उन्हें डर है कि इसका असर एससी और एसटी ठेकेदारों को प्रदान किए गए आरक्षण पर पड़ सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और सुनिश्चित करें कि एससी और एसटी ठेकेदारों के आरक्षण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकसभा सांसद बासवराज बोम्मई ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह अल्पसंख्यकों को आरक्षण देकर संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन कर रही है। भाजपा नेता ने कहा कि यह कदम सामाजिक अशांति पैदा करने और वोट बैंक को मजबूत करने के लिए उठाया गया है।
नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत में बोम्मई ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्दरमैया की अगुवाई वाली कर्नाटक सरकार पिछड़े वर्गों को धोखा दे रही है। अल्पसंख्यकों को चार प्रतिशत आरक्षण देना असंवैधानिक है। हमने इस निर्णय को पलट दिया था और यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। इसके बावजूद, कांग्रेस सरकार लोगों को गुमराह कर रही है। बोम्मई ने कहा कि संविधान निर्माता बीआर आंबेडकर ने स्पष्ट किया था कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी आंबेडकर के सिद्धांतों का उल्लंघन कर रही है।