गिरीश मालवीय
आखिर के. के. शैलजा की गलती क्या थी जो केरल के मुख्यमंत्राी विजयन ने उन्हें वापस स्वास्थ्य मंत्राी नहीं बनाया?
केरल में अभी कोरोना के रिकार्ड मामले दर्ज किए जा रहे पूरे देश में कुल जितने मामले रोजाना निकल रहे हैं उसमें आधे से भी अधिक मामले केरल से ही हैं। कोरोना की पहली लहर के दौरान केरल की स्वास्थ्य मंत्राी के. के. शैलजा कोविड के खिलाफ लड़ाई में तमाम राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के लिए रोल माडल बनकर उभरी थी। कोविड मैनेजमेंट को लेकर हर तरफ उनकी तारीफ होती थी।
के.के. शैलजा की लोकप्रियता को उनकी चुनावी जीत से भी समझा जा सकता है। केरल के विधानसभा चुनाव में के.के. शैलजा ने सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। उन्हें कन्नूर जिले की मत्तनूर विधानसभा सीट से 60,000 वोटों से जीत मिली यह इस विधानसभा चुनाव का रिकार्ड नम्बर था लेकिन उसके बावजूद नई सरकार में शैलजा को विजयन द्वारा कैबिनेट में भर्ती न करना और स्वास्थ्य मंत्राी नहीं बनाना हर किसी लिए चैंकाने वाली खबर बन गई। उनकी जगह वीना जार्ज को स्वास्थ्य मंत्राी बनाया गया।
महामारी की पहली लहर केरल में दूसरे राज्यों की तरह केस नहीं आए और संक्रमण भी कंट्रोल में रहा इसे शैलजा का ही कमाल माना गया था लेकिन शायद उन्होंने एक बड़ी गलती की। दरअसल शैलजा ने दूसरी बीमारी से हुई मौतों को कोरोना के खाते में डालने से इंकार कर दिया था और यही बात मुख्यमंत्राी विजयन को शायद अखर गई।
पिछले साल जब इस बारे में सवाल उठे थे तो केरल की सरकार द्वारा गठित एक एक्सपर्ट पैनल ने प्रशासन से कहा है कि केरल में कोरोना से होने वाली मौतों की गणना कम हो रही है क्योंकि 20 जुलाई 2020 को मौत दर्ज करने के पैमाने में बदलाव किया गया था। स्वास्थ्य मंत्राी ने तब कोमार्बिडिटिज (गंभीर बीमारियों से ग्रसित) से मरने वाले कोरोना मरीजों की मौत को सरकारी आंकड़े में शामिल न करने के लिए कहा था और यह बिलकुल ठीक डिसिजन था आज भी आप देखेंगे तो अन्य प्रदेशों की तुलना में केरल में कोरोना से हुईं मौतों का आंकड़ा बहुत कम है।
जैसे ही केरल में चुनाव की घोषणा हुई और 12 मार्च 2021 को अधिसूचना जारी हुईं आप देखिए कि उसके बाद से लगातार केरल में कोरोना मामले भी बढ़े और मौतें भी, कमाल की बात तो यह भी है कि वैक्सीनेशन में पूरे देश में केरल टाप पर है और उसके बावजूद वहाँ मामले बढ़ रहे हैं…..जबकि आसपास के लगे हुए प्रदेशों में नए मामले न के बराबर है। डाक्टर भी वही हैं, अस्पताल भी वही है, स्वास्थ्य अधिकारी भी वही हैं तो ऐसा कैसे हो रहा है।
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे जनलेख प्रबंधन का कोई लेना-देना नहीं है।)
(अदिति)