लखनऊ/ महाकुंभ के कार्य- यापार से अल्पसंख्यकों को दूर रखने के राजनैतिक लाभ का आंकलन करने के बाद भाजपा, संघ परिवार और उसके सिपहसालारों ने संविधान और सौहार्द पर हमले तेज कर दिये हैं। यहाँ तक कि सौहार्द और मेल- मिलाप के त्यौहार ‘होली’ को भी नफरत और अल्पसंख्यक समुदाय पर हमलों के त्यौहार में तब्दील कर दिया है। इसका सर्वाधिक चिंताजनक पहलू यह है कि नफरत का यह खेल ‘सनातन’ की आड़ में खेला जा रहा है। यदि इस खेल को रोका न गया तो देश और उसकी एकता अखंडता पर मंडरा रहे खतरों को टाल पाना असंभव नहीं तो बेहद कठिन जरूर हो जाएगा।
सुस्पष्टतः भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के प्रति प्रतिबद्ध है, फिर भी भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने की खुलेआम लाबीइंग की जा रही है। अन्य अनेकों के अतिरिक्त संघ प्रायोजित एक कथावाचक खुले आम हिन्दू राष्ट्र बनाने का अभियान चला रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा उसके कथित दरबार में हाजिरी लगाने के बाद उसने अपने इस अभियान को और भी मुखर रूप दे दिया है। बिहार चुनाव में लाभ उठाने को ध्रुवीकरण को सान्द्र करने के उद्देश्य से उसने बिहार के अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में डेरा डाला हुआ है। यह हमारे संविधान को खुली चुनौती है- और स्पष्टतः यह कृत्य राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है। मगर उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही नदारद है।
इसी तरह ध्रुवीकरण को धार देने के उद्देश्य से आपसी मेलमिलाप के परंपरागत त्यौहार होली को ‘संघ गिरोह’ नफरत फैलाने के नायाब अवसर के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। ‘सेवा कोड’ को ताक पर रख कर सरकारी अफसर मुसलमानों को नमाज न पढ़ने की खुली चेतावनियाँ दे रहे हैं। संविधान की रक्षा की शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री उस बयान की पुष्टि कर रहे हैं। मस्जिदों को ढका जा रहा है। मुस्लिमों को खुले आम पाकिस्तानी बताया जा रहा है। नफरती और विवादास्पद बयानों की आंधी पैदा कर दी गयी है। क्रिकेट में हुयी जीत को मिल कर मनाने के अवसर को भी फसाद में बदलने की साजिश रची गयी। संविधान व सौहार्द को चुनौती देने वाले ये सभी कृत्य सनातन की आड़ में आड़ में अंजाम दिये जा रहे हैं।
धर्म आधारित राष्ट्र बनाने के पक्ष में पाकिस्तान का उदाहरण दिया जा रहा है। जबकि धर्म- आधारित राज्य पाकिस्तान का आज क्या हाल है, किसी से भी छिपा नहीं है। सत्तारूढ़ लोग अपने राजनैतिक स्वार्थों के लिये संविधान और देश की एकता को खतरा पैदा कर रहे हैं। देश की जनता का विशाल बहुमत इस खेल को समझ रहा है, पर अफसोस है कि वह मौन है। उसे अपना मौन तोड़ना होगा और राष्ट्र और संविधान को चुनौती दे रहे तत्वों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही कराने के लिये आवाज उठानी होगी। होली और जुमे की नमाज शान्ति और भाईचारे के साथ मनाई जाये, इसके लिये अथक प्रयास करने होंगे। हम सभी शांतिप्रिय नागरिकों से अपील करते हैं कि सौहार्द कायम रखें और रखवाएं। हम चेतावनी देते हैं कि शासन- प्रशासन में बैठे लोगों को भी मर्यादानुकूल आचरण करना चाहिये।