रांची/ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने आज भाजपा प्रदेश मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि फिजूल खर्ची की बात करने वाले राज्य सरकार ने सिर्फ फोटो वॉर में करोड़ों रुपयों का बंटाधार कर दिया।
उन्होंने कहा, झारखंड मुक्ति मोर्चा को भाजपा के केंद्रीय नेताओं के दौरे पर आना फिजूल खर्ची लगता है। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा पूर्णता फंड किए जाने वाले मोबाइल वेटरिनरी क्लिनिक वैन योजना सिर्फ फोटो वॉर के कारण बर्बादी के कगार पर है।प्रतुल ने कहा इस योजना के अंतर्गत सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बीमार पड़े जानवरों का पशुपालकों के घर पर जाकर ही इलाज करने की योजना थी।राज्य के सभी 236 ब्लॉकों में इस तरह के मोबाइल वैन को देने की योजना थी।
शाहदेव ने कहा, प्रथम खेप में 70 वैन मिल भी गए थे।10 अगस्त, 2023 को राज्य सरकार ने इन वैनों के संचालन के लिए एमओयू भी कर दिया। परंतु 1 वर्ष से भी ज्यादा समय से यह वैन खड़ी है। इनमें अभी भी पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और पूर्व कृषि मंत्री बादल पत्र लेख की तस्वीर लगी है।
उन्होंने कहा, इन वैनों की खरीद में राज्य सरकार का कोई पैसा नहीं लगा है और पूर्णता केंद्र सरकार का पैसा लगा हुआ है। यह एक और उदाहरण है कि किस तरीके से राज्य सरकार केंद्र की योजनाओं को लटकाना और अटकाना चाहती है।
प्रतुल ने कहा कि इसी तरह गरीबों को राशन उपलब्ध कराने के लिए 66 लाख थैलें बनवाए गए थे जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की तस्वीर लगी हुई थी।थैलों में योजनाओं का भी जिक्र था। इनमें से सिर्फ 22 लाख थैली बांटे गए। जबकि 44 लाख थैली को नहीं बांटा गया।
प्रतुल ने कहा यह विशुद्ध रूप से सरकारी खजाने का दुरुपयोग है क्योंकि पिछले 5 महीना से थैली को नहीं बांटना यह दिखा रहा है की हेमंत सोरेन सिर्फ खुद का चेहरा चमकाने में विश्वास रखते हैं।इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के तस्वीर वाली बाकी बची हुई थैली को बांटने नहीं दिया।
शाहदेव ने बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले में भी सरकार को घेरा और कहा, सरकार के दबाव में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के मुद्दे पर गलत शपथ पत्र दाखिल कर रहे हैं कनीय अधिकारी’
प्रतुल शाह देव ने प्रवेश वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश के बावजूद भी राज्य सरकार बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियो के मुद्दे पर न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा, उच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि सीमावर्ती 6 जिलों के उपायुक्त ही शपथ पत्र के जरिए घुसपैठ की जानकारी देंगे और उनको निकालने के कदम भी बताएंगे।प्रतुल ने कहा कि लेकिन राज्य सरकार के दबाव में जानबूझकर एलआरडीसी, एसी और एसडीओ जैसे कनीय अधिकारियों ने एफिडेविट करके गलत जानकारी दी कि कोई बांग्लादेशी घुसपैठिया इन 6 जिलों में नहीं है।
प्रतुल ने कहा कि राज्य सरकार के ही स्पेशल ब्रांच ने 2 जून, 2023 को सभी उपायुक्तों को पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा था कि बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को संताल के मदरसों में ठहराया जाता है। उनके पहचान पत्र भी बनाए जाते हैं।
प्रतुल ने कहा कि उच्च न्यायालय में गलत जानकारी देने वाले अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज हो।प्रतुल ने कहा आंकड़ों पर प्रश्न उठाने वालों को याद रखना चाहिए की 1951 की जनगणना और 2011 की जनगणना से ही स्पष्ट है कि संताल में 16 % आदिवासी कम हुए हैं और 13 % मुस्लिम बढ़े हैं।इस कालखंड में सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी अधिकांश समय कांग्रेस की सरकारों के पास थी।यह स्पष्ट दिखाता है कि कांग्रेस की सरकार के समय जमकर घुसपैठ हुआ था। आज की प्रेस वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता अविनेश कुमार और तारीक इमरान भी उपस्थित थे।