पटना/ बिहार विधानसभा के पटल पर जाति आधारित गणना रिपोर्ट पेश किया गया। इस रपट में बिहार की 34 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन वसर कर रही है। बिहार सरकार के द्वारा एकत्र करवाए गए इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सामान्य जातियों में भूमिहार सबसे गरीब है, जबकि पिछड़ी जाति का सबसे गरीब तबका यादवों का है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यादव जाति के लोग सबसे ज्यादा संख्या में सरकारी नौकरी कर रहे हैं।
जारी रपट में बताया गया है कि यादव जाति में सरकरी नौकरी करने वालों की संख्या 2 लाख 89 हजार 538 है, जो बिहार की किसी भी जाति की तुलना में सबसे अधिक है। यह किसी भी जाति वर्ग में एक जाति का सर्वाधिक सरकारी नौकरी करने का आंकड़ा है। दरअसल, बिहार में सामान्य वर्ग के 6 लाख 41 हजार 281 व्यक्ति को सरकारी नौकरी है। इसमें भूमिहार जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 1 लाख 87 हजार 256 है जो कुल नौकरी के अनुपात में 4.99 फीसदी है।
बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को विधानसभा के पटल पर जाति आधारिक गणना की आर्थिक रिपोर्ट पेश की गयी। इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की करीब एक तिहाई आबादी गरीब है। बिहार के 34.13 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय महज छह हजार रुपये है। सरकार ने इन्हें गरीबी की श्रेणी में डाला है। भूमिहार और यादव ऐसी जातियां हैं जो अपने-अपने श्रेणी में सबसे गरीब है।
सामान्य श्रेणी में भूमिहार समाज के करीब 27 फीसदी परिवार गरीब हैं। ब्राह्मण में 25.3 फीसदी, राजपूत के 24.89 फीसदी और कायस्थ में 13.83 फीसदी गरीब परिवार है। सामान्य वर्ग में मुस्लिम वर्ग से शेख में 25.84 फीसदी गरीब परिवार हैं, जबकि पठान (खान) में 22.20 फीसदी परिवार गरीब हैं और सैयद में 17.61 फीसदी गरीब परिवार हैं। रिपोर्ट में कुल मिलाकर सामान्य वर्ग में 25.9 फीसदी परिवार गरीब हैं।
पिछड़ा वर्ग में आर्थिक रूप से गरीब परिवार में सबसे ज्यादा यादव जाति के लोग गरीब हैं। यादव में 35.87 फीसदी परिवार गरीब हैं। इसी वर्ग में 34.32 फीसदी कुशवाहा परिवार गरीब हैं। कुर्मी में 29.90 फीसदी परिवार गरीब हैं जबकि बनिया में 24 .62 फीसदी परिवार गरीब हैं। पिछड़ा वर्ग में ही सूर्यापुरी मुस्लिम 29.33 फीसदी परिवार गरीब हैं जबकि सुनार में 26.58 फीसदी परिवार गरीब हैं।
बिहार में आबादी की शैक्षणिक स्थिति की जो रिपोर्ट आई है उसके अनुसार बिहार की 22.67 आबादी के एक से पांचवीं तक की शिक्षा ग्रहण कर पाई है। वर्ग 6 से 8 तक की शिक्षा 14.33 प्रतिशत आबादी के पास है। वर्ग 9 से 10 तक की शिक्षा 14.71 प्रतिशत आबादी ग्रहण कर पाई है। वर्ग 11 से 12 तक की शिक्षा 9.19 प्रतिशत आबादी को नसीब हो पाया है। ग्रेजुएट की शिक्षा मात्र सात प्रतिशत लोगों को मिली है। समझा जाता है कि यह रिपोर्ट समाज के साथ राजनीतिक समीकरण को भी प्रभावित करेगी। पिछड़ों एवं अति पिछड़ों को संख्या के अनुसार आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग पहले से चल रही है।
सामान्य वर्ग में 10 से 20 हजार मासिक आय 19 प्रतिशत आबादी है। 20 से 50 हजार मासिक आय 16 प्रतिशत आबादी है। 50 हजार से ज्यादा मासिक आय वाले 9 प्रतिशत हैं। छह हजार मासिक आय वाले 25 प्रतिशत हैं।
सामान्य वर्ग के पास 6 लाख 41 हजार 281 लोगों को नौकरी, जो कुल 3.19 प्रतिशत है। भूमिहार जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 01 लाख 87 हजार 256, जो 4.99 प्रतिशत है। ब्राह्मण जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 01 लाख 72 हजार 259, जो 3.60 प्रतिशत है। राजपूत जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 01 लाख 71 हजार 933, जो 3.81 प्रतिशत है। कायस्थ जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 52 हजार 490, जो 6.68 प्रतिशत है। मुस्लिम आबादी में शेख जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 39 हजार 595, जो .79 प्रतिशत है। पठान जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 10 हजार 517, जो 1.07 प्रतिशत, सैयद जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 7 हजार 231, जो 2.42 प्रतिशत है।
पिछड़ा वर्ग में सरकारी नौकरी की स्थिति में यादव 2 लाख 89 हजार 538 यानी 1.55 फीसदी के साथ पहले नंबर पर है। कुशवाहा का 1 लाख 12 हजार 106 यानी 2.04 फीसदी है. कुर्मी का 1 लाख 17 हजार 171 यानी 3.11 फीसदी, बनिया का 59 हजार 286, 1.96 फीसदी, सुरजापुरी मुस्लिम में 15 हजार 359 यानी 0.63 फीसदी, भांट में 5 हजार 114 यानी 4.21 फीसदी और मलिक मुस्लिम में 1 हजार 552 यानी 1.39 फीसदी सरकारी नौकरी में हैं। कुल पिछड़ी जातियों में 6 लाख 21 हजार 481 यानी 1.75 फीसदी सरकारी नौकरी में हैं।
अत्यंत पिछड़ी जातियों में सरकारी नौकरी की स्थिति रू तेली: 53 हजार 56, 1.44 फीसदी, मल्लाह: 14 हजार 100, 0.41 फीसदी, कानू: 34 हजार 404, 1.19 फीसदी, धानुक: 33 हजार 337, 1.19 फीसदी, नोनिया: 14 हजार 226, 0.57 फीसदी, चंद्रवंशी: 31 हजार 200, 1.45 फीसदी, नाई: 28 हजार 756, 1.38 फीसदी, बढ़ई: 20 हजार 279, 1.07 फीसदी, हलवाई: 9 हजार 574, 1.20 फीसदी.
अनुसूचित जाति में सरकारी नौकरी की स्थिति: दुसाध: 99 हजार 230, 1.44 फीसदी, चमार: 82 हजार 290, 1.20 फीसदी, मुसहर: 10 हजार 615, 0.26 फीसदी, पासी: 25 हजार 754, 2 फीसदी, धोबी: 34 हजार 372, 3.14 फीसदी, डोम: 3 हजार 274, 1.24 फीसदी, कुल 2 लाख 91 हजार 4 लोग, 1.13 फीसदी।