नारी सौंदर्य की पहचान हैं स्तन

नारी सौंदर्य की पहचान हैं स्तन

नारी की पहचान, मातृत्व की मूल रचना में ईश्वर ने वक्ष स्थल बनाए। ये मूलतः नव जन्मे शिशु को स्तनपान कराने के लिए प्रकृति ने बनाए हैं परन्तु नारी की पहचान वक्षस्थल से है। इनका विकास शरीर के हारमोन्ज के कारण होता है। 13 वर्ष तक इनका उभार बन जाता है लेकिन मासिक स्राव के बाद एस्ट्रोजन हारमोन और प्रोगैस्ट्रोन के कारण इनका विकास बढ़ जाता है। नारी सौंदर्य में वृद्धि करते हैं उन्नत, पुष्ट, सुडौल, उरोज या वक्ष। यह उसके स्वस्थ होने का प्रतीक है। चेहरे के सौंदर्य के बाद नारी वक्ष सौंदर्य के प्रति ध्यान देती है।

इनका विकास प्राकृतिक है परन्तु इनके कम विकसित होने से नारी में हीन भावना भर जाती है। पौष्टिक आहार की कमी, खेलकूद की कमी, संतुलित आहार न लेना भी इनके कारण हो सकते हैं। अनीमिया या वंश जीन के प्रभाव के कारण भी ये अविकसित रह जाते हैं। ये कम विकसित हों तो हारमोन ट्रीटमेंट द्वारा बढ़ाए जा सकते हैं। यदि ज्यादा बढ़ जाएं तो प्लास्टिक सर्जरी से कम भी किए जा सकते हैं।

गर्भावस्था में इनका विकास बढ़ जाता है। हारमोन्ज के बढ़ जाने से ये बढ़ जाते हैं। भू्रण के बढ़ने से एस्ट्रोजन की वृद्धि हो जाती है। प्लेसेन्टा से भी लैक्टोजन हार्माेन निकलते हैं जो स्तन वृद्धि में सहायक होते हैं। मां की पहचान स्तन हैं क्योंकि मानव स्तनधारी है। शिशु जन्म के 24 घण्टे बाद स्तनों में स्वतः दुग्धस्राव होने लगता है। इसे लेक्टेशन कहते हैं। मां का दूध पीकर बच्चे का भार 30 ग्राम प्रतिदिन और एक किलो मास में बढ़ जाता है। स्तन स्त्री शरीर का अनिवार्य अंग हैं। इससे स्त्री मां है। यदि यह छोटे भी हों तो गर्भकाल के बाद बढ़ जाते हैं। बाद में इनका आकार स्थिर हो जाता है। जो माएं बच्चों को दुग्धपान नहीं कराती, उन्हें कैंसर का खतरा रहता है। स्तन कैंसर के कारण स्तनों को काट कर शरीर से अलग कर देना होता है।

स्तन एक पसीना ग्रन्थि ही है जो बढ़ जाती है। स्तनों का आकार समुचित हो, इसके लिए कुछ उपाय हैं-
सदा प्रसन्न रहें, घर का कार्य प्रतिदिन करें। नृत्य करें। रस्सी कूदा करें।
प्रातःभ्रमण करें। शुद्ध हवा में गहरे सांस लें। संतुलित भोजन करें।
दिन में समुचित ब्रा पहनें। रात्रि को उतार दें। तनावयुक्त वातावरण से दूर रहें।
प्रोटीनयुक्त भोजन करें। स्नान से पूर्व जैतून का तेल मलें। नित्य व्यायाम करें।

स्तनपान कराने वाली महिलाएं लेट कर बच्चे को दुग्धपान न कराएं। इससे स्तन खिंच कर ढलक जाते हैं। बैठकर स्तन को सहारा देकर दूध बच्चे को पिलाएं। मैनोपॉज या मासिक स्राव बंद होने पर 45 वर्ष की उम्र में यदि इनका आकार कम होने लगे तो घबराएं नहीं। यह प्राकृतिक प्रक्रिया है।

(उर्वशी)

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