राकेश सैन
कनाडा में जिस तरीके से खालिस्तानी अलगाववादियों व आतंकी तत्वों को खुल कर मनमानी करने का अधिकार मिलता जा रहा है और इस पर वहां की सरकार मौन साधे बैठी है उससे लगने लगा है कि दुनिया में पाकिस्तान के बाद कनाडा ऐसा देश है जो आतंकवाद को आतंकवाद को अपनी स्टेट पॉलिसी में शामिल करता जा रहा है। अपने राजनीतिक स्वार्थों की खातिर कनाडा की ट्रुडो सरकार ‘गुड टेरोरिज्म-बैड टेरोरिज्म’ का भेद करने की गलती कर रही है। कनिष्क विमान जैसी भयंकर आतंकी हमले की तपिश झेल चुके कनाडा को बहुत ही जल्द खालिस्तानी आतंकी भस्मासुर बने नजर आ सकते हैं, क्योंकि पाकिस्तान इसकी उदाहरण है कि दूसरों के घरों चिंगारी फेंकने वालों के खुद के घर में आग कैसे लगती है।
कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं और इससे वहां रह रहा भारतीय समुदाय विशेषकर हिन्दू समाज इससे सर्वाधिक पीड़ित नजर आरहा है। तीन नवम्बर को वहां ब्रैम्पटन के मन्दिर में खालिस्तान के समर्थकों द्वारा हिन्दू मन्दिर में घुसकर लोगों के साथ हिंसा की गई। वहां परिवार सहित आए निहत्थे लोगों पर खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों ने लाठियां बरसाईं और आरोप है कि पुलिस के कुछ जवानों ने भी हिंसक भीड़ का साथ दिया। कनाडा में हिन्दू मंदिरों को निशाना बनाने की यह कोई पहली घटना नहीं है।
इसी वर्ष जुलाई में एडमॉण्टन में स्वामीनारायण मन्दिर में तोडफ़ोड़ की गई थी। मन्दिर के गेट और पीछे की दीवार पर भारत विरोधी और खालिस्तान समर्थक पोस्टर चिपका दिए गए थे। इस पर आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की तस्वीर भी लगी थी। सरी वेंकुवर का लक्ष्मी नारायण मन्दिर ब्रिटिश कोलम्बिया प्रांत का सबसे पुराना और सबसे बड़ा हिन्दू मन्दिर है। यहां भी पिछले साल तोडफ़ोड़ हुई थी। 2023 में विण्डसर में एक हिन्दू मन्दिर को क्षतिग्रस्त किया गया था, जिसकी व्यापक निन्दा हुई और कनाडाई और भारतीय दोनों अधिकारियों ने कार्रवाई की मांग की थी। इसी साल जनवरी में वहां गौरीशंकर मन्दिर में तोडफ़ोड़ की गई। जनवरी में ही भगवान जगन्नाथ मन्दिर में भी तोडफ़ोड़ की गई। मिसिसागा हिन्दू हेरिटेज में मुख्य कार्यालय व दानपेटी में तोडफ़ोड़ की गई।
जुलाई में रिचमण्ड हिल व महात्मा गांधी जी की प्रतिमा में तोडफ़ोड़ की। पिछले साल अक्तूबर में डरहम में तीन हिंदू मंदिरों में तोडफ़ोड़ की गई। दिसम्बर 2023 में वेंकुवर में लक्ष्मी नारायण मन्दिर के प्रधान श्रीशेष के घर पर 14 गोलियां बरसाई गईं। लक्ष्मी नारायण मन्दिर के बाहर रास्ता बन्द कर तनाव पैदा किया गया। पिछले साल ही दिसंबर में किचनर के राम धाम मन्दिर में तोडफ़ोड़ की गई। वेंकुवर में नवरात्रों पर मन्दिर में चल रहे कार्यक्रम में खलल डालने की कोशिश, खालिस्तानियों ने मन्दिर के बाहर नारे लगाए। इस साल जनवरी में ब्रैम्पटन में हिन्दू मन्दिर की दीवार पर भारत विरोधी नारे लिखे गए। फरवरी में ओकविले में श्री वैष्णो देवी मंदिर में तोडफ़ोड़ की गई।
कनाडा के हिन्दुओं पर खालिस्तानियों के इस हमले की पूरी दुनिया में निंदा हो रही है। कनाडा में भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने इस हमले को लेकर कहा है कि अब खालिस्तानियों ने हद पार कर दी है। वहीं, कनाडा के बीसी में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। हिन्दू समुदाय के लोग सडक़ों पर आए और कनाडा सरकार व खालिस्तानियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। बीसी की पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों का टकराव भी हुआ, रोचक बात है कि खालिस्तानी हमलावरों का साथ देने वाली कनाडा पुलिस ने यहां पर कई हिन्दुओं को घसीटकर न केवल पीटा बल्कि उठाकर गाडिय़ों में ले गए।
भारत सरकार ने ब्रैम्पटन में खालिस्तानी झंडे लेकर आये प्रदर्शनकारियों की ओर से एक हिन्दू मन्दिर में लोगों के साथ की गई हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम ब्रैम्पटन, ओंटारियो में हिन्दू सभा मन्दिर में चरमपंथियों और अलगाववादियों की ओर से की गई हिंसा की निंदा करते हैं। इस बीच ओटावा स्थित भारतीय उच्यायोग ने भी एक कड़ा बयान जारी कर हिन्दू सभा मन्दिर पर भारत विरोधी तत्वों की ओर से किए गए हमले की निंदा की।
कनाडा में भारत विरोध में जो कुछ हो रहा है उसकी पृष्ठभूमि तो दशकों पहले से तैयार हो रही थी, इस बात का पता कैप्टन अमरेन्द्र सिंह जो पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री हैं, उनके ब्यान से होता है। कै. अमरेन्द्र सिंह लिखते हैं ‘कुछ वर्ष पूर्व जब मैं पंजाब का मुख्यमंत्री था, मैं उस देश में सिख उग्रवाद के प्रति कनाडा के दृष्टिकोण से अवगत था जो तेजी से बढ़ रहा था परन्तु जिस पर टू्रडो ने न केवल आंखें मूंद लीं बल्कि अपना राजनीतिक आधार बढ़ाने के लिए ऐसे लोगों को संरक्षण दिया। उन्होंने अपने रक्षामंत्री, एक सिख को पंजाब भेजा पर मैंने उससे मिलने से इनकार कर दिया क्योंकि वह खुद विश्व सिख संगठन का सक्रिय सदस्य था, जो उस समय खालिस्तानी आंदोलन की मूल संस्था थी और जिसकी अध्यक्षता उसके पिता ने की थी। कुछ महीने बाद टू्रडो भारत आए थे और उन्होंने मुझसे मिलने से इनकार कर दिया था। तब तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्रुडो से बड़े ही स्पष्ट शब्दों में कहा था कि जब तक आप मुख्यमंत्री से नहीं मिलेंगे, तब तक आप पंजाब का दौरा नहीं कर सकते। हम अमृतसर में मिले, उनके रक्षामंत्री सज्जन सिंह के साथ। मैंने उन्हें कनाडा से पंजाब की समस्याओं के बारे में खुलकर बताया कि कनाडा खालिस्तानी अलगाववादी आंदोलन का स्वर्ग बन गया, साथ ही वहां बंदूकों, ड्रग्स व गैंगस्टरों का बोलबाला हो गया है। परन्तु वहां की सरकार ने इन बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया।
कनाडा में हिंदुओं पर हमले की घटना को लेकर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अपने ही देश में घिर गए हैं। पीपुल्स पार्टी आफ कनाडा के नेता मैक्सिम बर्नियर ने प्रधानमंत्री ट्रूडो और विपक्षी नेताओं जगमीत सिंह व पियरे पोलीवरे की।
प्रतिक्रिया की आलोचना की और आरोप लगाया कि इन नताओं ने हमलावरों को खालिस्तान समर्थकों के रूप में पहचानने से परहेज किया, क्योंकि उन्हें अपने वोट बैंक की चिंता है। बर्नियर ने इन नेताओं को कायर करार दिया है। बर्नियर ने लिखा कि इनमें से कोई भी कायर उन खालिस्तान समर्थकों का नाम लेने की हिम्मत नहीं करता, जो हिंसा कर रहे हैं। वे कुछ मतदाताओं को नाराज करने से डरते हैं। कनाडा के पूर्व मंत्री उज्जल दोसांझ ने कहा कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सामाजिक और राजनीतिक रूप से मूर्ख हैं। वह यह कभी भी समझ नहीं पाए कि ज्यादातर सिख धर्मनिरपेक्ष हैं और खालिस्तान से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
कनाडा में हिन्दू मंदिर पर हमला कनाडा सरकार समर्थित खालिस्तानी तत्वों द्वारा एक सोची समझी साजिश के तहत किया गया है। कनाडा में अगले वर्ष होने वाले चुनावों को देखते हुए आशंका है कि ऐसे हमले अभी जारी रहेंगे। वोट बैंक की राजनीति के लिए ही जस्टिन ट्रुडो बिना प्रमाण के ही वहां मारे गए आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर मढ़ रहे हैं।
कनाडा की ट्रूडो सरकार भारत विरुद्ध जो नीति अपनाकर चल रही है वह कनाडा के लिए आत्मघाती साबित होगी। ट्रूडो अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए कनाडा के हितों से खिलवाड़ कर रहे हैं जिसका परिणाम कनाडावासियों को भविष्य में भुगतना पड़ेगा। इसके लिए उन्हें पाकिस्तान से सबक लेना चाहिए जो भारत में आतंकवाद निर्यात करते-करते खुद ही इसका शिकार हो कर रह गया।
(लिखक के विचार निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई सरोकार नहीं नहीं है।)