चंडीगढ़/ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने लोगों से ‘मिशन तंदुरुस्त पंजाब’ के अंतर्गत पंजाब को हरा-भरा और प्रदूषण मुक्त बनाने का आह्वान करते हुए सुरक्षित और साफ-सुथरे वातावरण के लिए निर्धारित किए हुए लक्ष्यों की पूर्ति के लिए सभी सम्बन्धित विभागों के दरमियान तालमेल बनाने की जरूरत पर जोर दिया।
बताने योग्य है कि मुख्यमंत्री ने नये रूप में बनाए गए ‘मिशन तंदुरुस्त पंजाब’ का राज्य स्तर पर आगाज करते हुए मिशन के पहले चरण की सफलता को आगे बढ़ाते हुए 115 करोड़ रुपए की लागत के विकास प्रोजेक्टों की शुरुआत की जिससे राज्य के विभिन्न विभागों के नेतृत्व में 10 उप-मिशनों को अमल में लाकर दूसरे चरण पर और ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जा सके। इन उप-मिशनों में सुरक्षित भोजन, साफ पानी, हरा-भरा पंजाब, सड़क सुरक्षा, पालन-पोषण, अवशेष प्रबंधन, खेलो पंजाब, भू सुरक्षा, साफ हवा और निवारक स्वास्थ्य शामिल हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने उम्मीद जाहिर की है कि यह प्रयास पंजाब सरकार, अनुसंधान संस्थानों, उद्योग, गैर-सरकारी संस्थाओं और आम लोगों जैसे सभी भागीदारों के दरमियान बेहतर तालमेल करने में सहायक होगा जिससे विकास के टिकाऊ और पर्यावरण समर्थकीय माॅडल को यकीनी बनाया जा सके।
गुरू साहिब जी के महान फलसफे ‘पवन गुरू, पानी पिता, माता धरत महत’ को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कुदरत और मानवता के बीच आपसी अंतर्निहित संबंध की महत्ता बताई।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि गुरू साहिब के फलसफे की भावना को कायम रखने की जरूरत है जिससे आने वाली पीढ़ियों को पर्यावरण प्रदूषण के कारण फैलती घातक बीमारियों से बचाया जा सके जैसे कि मौजूदा समय में वायु प्रदूषण आँखों और फेफड़ों की बीमारियों का कारण बना हुआ है।
मुख्यमंत्री ने सभी से अपील करते हुए कुदरत और कुदरती स्रोतों के संरक्षण की अपील की जिससे पंजाब को गुरू साहिब के फलसफे अनुसार साफ सुथरा, हरा भरा और प्रदूषण मुक्त रखा जा सके। इसलिए उन्होंने भूजल के अपेक्षित प्रयोग करने, पानी की कम खपत वाली फसलें पैदा करने, पराली न जलाने और रासायनिक खादों के कम प्रयोग पर जोर दिया। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘हम सभी का यह फर्ज बनता है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़े स्तर पर पौधे लगाऐं।’’
मुख्यमंत्री ने मिलावटी दूध और डेयरी वस्तुओं के अस्वास्थ्यकर रुझान की रोकथाम के लिए ‘मिशन तंदुरुस्त’ के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि लोगों को मानक और सुरक्षित भोजन / डेयरी उत्पाद मुहैया करवाना हमारा फर्ज बनता है जिससे उनकी अच्छे स्वास्थ्य और सफाई को यकीनी बनाया जा सके।
नदियों के प्रदूषण सम्बन्धी चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि संत बलबीर सिंह सीचेवाल और नामधारी संप्रदाय के प्रमुख बाबा उदय सिंह जैसे पर्यावरणविदों के निरंतर यत्नों की वजह से काली वेईं के पानी और बूढ़ा नाला जो सतलुज नदी में जाकर मिलता है, में वर्णनयोग्य सुधार हुआ है। उन्होंने इस नेक कार्य के लिए अनय एन.जी.ओज से भी पूर्ण सहयोग करने की माँग की।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने डिजीटली तौर पर जालंधर शहर में 35 करोड़ रुपए की लागत वाले वरयाना डम्प साइट रिमेडिएशन प्लांट के नींव पत्थर के साथ-साथ फाजिल्का (14.68 करोड़ रुपए), अजनाला और गोराया (6.25-6.25 करोड़ रुपए) और गढ़दीवाला (3.14 करोड़ रुपए) में सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एस.टी.पी.) का नींव पत्थर रखा। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने अमृतसर और गुरदासपुर के 54 आर्सेनिक प्रभावित गाँवों में 4.85 करोड़ रुपए की लागत से घरेलू जल शुद्धीकरण का उद्घाटन किया जिससे 72000 गाँव वासियों को लाभ होगा, अमृतसर शहर में एक एस.टी.पी. (32.23 करोड़ रुपए), जालंधर शहर में फ्लाईओवरों के नीचे ग्रीन एरिया डिवेल्पमेंट प्रोजैक्ट (3.90 करोड़ रुपए) और जालंधर शहर में ग्रीन एरिया पार्क्स डिवेल्पमेंट प्रोजैक्ट अधीन विकसित किये सात पार्कों (8.84 करोड़ रुपए) का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने मिशन तंदुरुस्त पंजाब संबंधी एक ऐप भी लांच की।