अर्जुन शर्मा
लगता है पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का भीतरी कामेडियन फिर से जाग उठा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री के साथ अति गंभीर व महत्वपूर्ण बैठक के दौरान उन्होंने वो तर्क दे डाला जिसका आज से पहले कभी किसी ने जिक्र भी नहीं किया। सतलुज-यमुना लिंक नहर बनाने का फैसला दशकों पहले हुआ था। केद्र सरकार से लेकर अदालतों में चलता रहा ये मसला आखिरकार पंजाब सरकार के पाले आया। इसी मुद्दे में पंजाबियत, पंजाब की फसलों व नसलों जैसे शब्दों का तड़का लगा कर जब जज्बाती रंग में रंगा गया तो पंजाब के आतंकवाद वाले दौर में कट्टरपंथिंयों के हाथ में ये मुद्दा भी बड़ी शिद्दत से रहा।
अब सतलुज के पानी से हरियाणा को हिस्सा देने वाले मुद्दे पर सर्वोच्चय अदालत ने दोनों राज्यों को आपस में मिल कर इस मामले का हल निकालने का जौ मौका दिया गया, उस बैठक में पंजाब व हरियाणा के दोनों मुख्य मंत्रियों के बीच जो बैठक हुई उसमें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि सतलुज के पानी की बात छोड़िये और हरियाणा प्रदेश के कर्णधार पंजाब को यमुना नदी से पंजाब का बनता हुआ हिस्सा देने की बात करें। कारण! पंजाब का भूमिगत जल ब्लैक जोन में पहुंचा हुआ है व सतलुज में पानी है ही नहीं। इन दोनों बहानों के पीछे पंजाब सरकार की वो कथित कार्यकुशलता का मान साहिब प्रकटीकरण कर गए कि हमारे प्रदेश के किसानों ने धान की फसल को बेतहाशा बीज कर पंजाब के भूजल का सत्यानाश कर दिया व सरकारी मशीनरी ने दरियाओं से सिल्ट (वो मिट्टी जो दरियाओं के पानी को भूजल में रीचार्ज करने के सारे रास्ते रोक देती है) को निकालने के बजट से पार्टी-शार्टी करके पैसा हड़प लिया जिसके कारण जमीन में पानी रीचार्ज होने के बजाए बह कर पाकिस्तान को जा रहा है। किसानों को हम समझा नहीं सकते कि पानी की कम खपत वाली फसल उगा लें। अफ्सरों का कहा मानना पड़ेगा कि छोड़िए कौन देखता है कि सिल्ट निकली या नहीं, आप प्लेट आगे करें और कश्मीर का रोगन जोश नौश फरमाएं।
मसला देसी भाषा में कुछ ऐसा है कि पंजाब सिंह नामक व्यक्ति की जायदाद का बटवारा हुआ तीन हिस्सों में। सबसे छोटे बेटे का नाम हिमाचल था जिसके पास पानी के निरंतर उत्पादन की क्षमता थी पर पानी रोक लेने की क्षमता थी। उसका पानी उफनता हुआ पहुंचा पंजाब सिंह के बड़े बेटे पंजाब सिंह जूनियर की धरती पर पहुंचता है। वो कानून की किताब उठा कर अपनी धरती पर बहने वाले पानी को अपनी जायदाद करार देता है। उसके पास भी उस अथाह पानी को संभालने का साधन नहीं है और पानी साथ के पड़ोसी पाकिस्तान चाचा की धरती को सींचने लगता है जिसकी पुरखों से ही पंजाब सिंह के परिवार के साथ शरीकेबाजी और दुश्मनी है। वो पानी पंजाब सिंह अपने भाई हरियाणा को न देकर शरीक की तरफ भेज भी रहा है व शरीक की पानी बंद करो वाली धमकियां भी सुन रहा है।
पंजाब में आजकल जैसे हालात बन रहे हैं व जिस प्रकार की कट्टरपंथी शक्तियां उभर रही हैं, भगवंत सिंह का बयान पकड़ कर वे पंजाब को फिर से आग लगाने वाले मंसूबों में जुट सकते हैं कामेडियन महोदय, जरा होश से काम लें।
(युवराज)
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई सरोकार नहीं है।)