लखनऊ/ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरित क्रांति पर नकारात्मक टिप्पणी की है। साथ ही उन्होंने इसके कारण उपज बढ़ने के दावे का खंडन करते हुए कहा कि यह आधा सच है। आदित्यनाथ ने कहा कि हरित क्रांति से कृषि उत्पादन जरूर बढ़ा, मगर यह एक अधूरा सच है। उन्होंने कहा कि उर्वरक की अधिकता के कारण एक धीमा जहर हमारी धमनियों में प्रवेश कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के एक राज्य में कृषि कार्य में अत्यधिक उर्वरक के उपयोग का हश्र ये हुआ कि आज वहां से कैंसर ट्रेन चलानी पड़ रही है। कैंसर ट्रेन से मुख्यमंत्री का इशारा अबोहर (पंजाब का शहर) से जोधपुर जाने वाली विशेष ट्रेन से था।
उन्होंने कहा कि ये दुष्प्रभाव केवल मनुष्यों पर ही नहीं पड़ा है, बल्कि पशु-पक्षी भी इससे बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। आदित्यनाथ ने कहा कि देश में कई इलाके ऐसे भी थे जहां प्राकृतिक ढंग से कृषि करने पर भी उत्पादन अधिक था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को राजधानी लखनऊ में प्राकृतिक खेती के विज्ञान पर केंद्रित क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत थे। वहीं, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी वहां मौजूद थे।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, हरित क्रांति का लाभ अन्न उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में हुआ है, मगर ये अधूरा सच है। हमें 17वीं और 18वीं सदी के भारत के उन प्रांतों में प्राकृतिक खेती से होने वाले उत्पादन दर को भी देखना होगा जब धरती अपने प्राकृतिक स्वरूप में थी और अन्न उत्पादन भी ज्यादा था।
योगी ने कहा कि हरित क्रांति के बाद जब खेती में उर्वरक का उपयोग हुआ तो कुछ समय तक उत्पादन तो बढ़ा, मगर आज एक ‘धीमे जहरश् के रूप में वह हमारी धमनियों में प्रवेश कर रहा है। उर्वरक का दुष्प्रभाव केवल मनुष्यों में ही नहीं देखने को मिल रहा बल्कि पशु-पक्षी भी इससे प्रभावित हो रहे हैं।
अमरोहा में निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल में 12 से 14 गाय अचानक मर गई, लेकिन जब वहां विशेषज्ञ भेजे गये तो पता लगा कि चारा उगाने में बड़े पैमाने पर उर्वरक का इस्तेमाल किया गया था जिसके कारण उनकी मौत हुई। यह समझना होगा कि जब गाय अत्यधिक उर्वरक को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं हैं तो मनुष्य की स्थिति क्या होगी।
आदित्यनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री राहत कोष से इलाज के लिए बड़ी संख्या में लोग धन की मांग करते हैं, लेकिन इसमें सर्वाधिक मामले कैंसर के होते हैं। आज से कुछ साल पहले इतनी भयावह स्थिति नहीं थी, लेकिन आज गांव-गांव में युवाओं में कोई किडनी, कोई हृदय तो कोई कैंसर से पीड़ित है।
इसका कारण यह है कि हमारा खानपान कहीं न कहीं प्रभावित हुआ है जिससे नई-नई बीमारियां हो रही हैं। इससे बचाव का नया मंत्र देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्राकृतिक खेतीश् को अपनाने का सुझाव दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीज से लेकर बाजार तक कृषि उत्पादों के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखना होगा और उप्र में इसके लिए बड़ी संभावना है। उन्होंने कहा कि उप्र में देश की 12 प्रतिशत भूमि है जिस पर देश की 17 प्रतिशत आबादी रहती है।
उन्होंने कहा कि उप्र देश के खाद्यान का 20 प्रतिशत उत्पादन करता है और राज्य में पर्याप्त जल संसाधन हैं। उन्होंने कहा कि आज की आवश्यकता के अनुरूप उस गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा जो लोगों के खुशहाली सूचकांक (हैपिनेस इंडेक्स) को ऊंचाई पर ले जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि उप्र सरकार ने इस दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में अभी चार कृषि विश्वविद्यालय हैं और पांचवां बनने जा रहा है, जबकि 89 कृषि विज्ञान केंद्र के अलावा दो केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय भी राज्य में स्थित हैं। हमने कहा है कि प्राकृतिक खेती से जो भी उत्पाद आता है उसके प्रमाणीकरण के कार्यक्रम को तेज गति से आगे बढ़ाना है।
बीज से इसकी शुरुआत हो और बाजार तक पहुंचने पर अच्छा दाम मिल सके, ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं हम। हमने प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों से कहा है कि प्रमाणीकरण प्रयोगशाला का उन्नयन किया जाए, धन सरकार देगी।