हैदराबाद/ अखिल भारतीय सूफी सज्जादा नशीं परिषद ने तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में सूफीवाद पर आधारित स्कूल स्थापित करने का निर्णय लिया है। भारत में यह अपनी तरह का पहला शिक्षण संस्थान होगा।
सूफीवाद के स्कूल का मुख्य उद्देश्य दरगाहों से जुड़े युवाओं को सूफीवाद की शिक्षाओं से लैस करना है। याद रहे कि सूफीवाद की मूल शिक्षा शांति और प्रेम का उपदेश है। संस्थान में सूफीवाद की शिक्षाओं के अलावा अरबी, फारसी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा भी पढ़ाई जाएगी।
इस योजना के प्रबंधकों का कहना है कि बाद में और भाषाएं जोड़ी जाएंगी। इसके तहत ‘कानून का पंद्रह दिवसीय सत्र‘ भी आयोजित किया जा रहा है, जिसमें छात्रों को भारत के बुनियादी दंड कानूनों और नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
साथ ही संस्था में हर रविवार देशभक्ति पर विशेष क्लास लगेगी। यह जानकारी स्कूल ऑफ सूफीवाद के प्रभारी मीर फरास्त अली शुतारी ने दी।
बता दें कि राजस्थान के अजमेर शरीफ में दरगाह ख्वाजा साहिब के आध्यात्मिक प्रमुख हजरत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती की अध्यक्षता में दीवान सैयद जैनुल आबिदीन अली खान के संरक्षण में अखिल भारतीय सूफी सज्जादा नशीं परिषद की बैठक हुई, जिसमें इसको लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया।
इसके अनुसार, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय कार्यालय खेला जाएगा। अस्ताना औलिया रिजविया, मुगलपुरा, हैदराबाद, के मीर फरासत अली शोतारी, प्रभारी और सैयद लियाकत हुसैन रिजवी संयुक्त प्रभारी होंगे। यह निर्णय शनिवार की एक बैठक में ली गयी।