रांची/ हजारीबाग जिले के चैपारण थाना अंतर्गत ग्राम कारमा में विगत दिनों कथित रूप से पुलिस की पिटाई के कारण मारे गए अनुसूचित जाति के छक्कन भुइंया (उम्र करीब 40 वर्ष) के गांव जाकर सीपीआई एमएल की झारखंड इकाई द्वारा गठित जांच समिति ने जांच की। जांच समिति द्वारा जांच में कई तथ्य उद्घाटित हुए हैं। जांच समिति ने पार्टी को बताया कि छक्कन भुइंया की हत्या पुलिस ने की है।
सीपीआई एमएल के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि अखिल भारतीय किसान सभा के झारखड राज्य सचिव पूरन महतो के नेतृत्व में यह जांच टीम बनाई गयी थी। जांच टीम आज यानी 06 मई 2021 को दिन में करीब 12 बजे मृतकों के गांव पहुंची। जांच टीम ने मृतक छक्कन भईंया की विधवा बबिता देवी, उनके बड़े पुत्र सूरज भुइंया, सम्बन्धी विफर भुईंया, पड़ोसी सन्नी भुइंया, पड़ोसी विजय भुइंया सहित वहां उपस्थित कई लोगों से मुलाकात की एवं गांव की महिलाओ से घटना के बाबत पूछताछ कर घटनास्थल का जायजा लिया।
प्रसाद ने बताया कि मृतक छक्कन भुइंया दिनांक 28 अप्रैल को शाम करीब 6.30 बजे अपनी पत्नी बबिता देवी व भाई शंकर भुईंया को अपने मोटर सायकिल पर लेकर पास ही ग्राम मानगढ़ कोयली अपनी मौसी के यहां जाने के लिए निकले। मौसेरी बहन की शादी थी। कारमा में अपनी मोटर सायकिल में स्थानीय पेट्रोल बिक्रेता से पेट्रोल लेने लगे। उसी दौरान दो वहन में चैपारण थाना की पुलिस वहां पहुंची और मौजूद सभी लोगों को लाठी डंडा से पीटने लगी। सभी लोग भागने लगे। पुलिस की लाठी खाकर शंकर भुईंया भी डर कर भाग गया। फिर मृतक और उसकी पत्नी को पुलिस पीटने लगी। मृतक अपनी सफाई में शादी में जाने की बात कहता रहा पर पुलिस पर असर नही हुआ। पुलिस की लाठी खाकर मृतक छक्कन सड़क के किनारे बालू के ढेर पर गिर गए। इसके बावजूद पुलिस लाठी से उसे बेरहमी पीटती रही। इसी पिटाई में छक्कन की मौत हो गई। पत्नी बबिता देवी जख्मी हो गई। इसके बाद पुलिस वाले वहां से भाग खड़े हुए। मृतक की लाश वहां घटना स्थल पर कई घण्टों तक पड़ी रही। उसी रात करीब 11.30 बजे बरही एसडीओ व डीएसपी पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे और लाश को बरामद कर पोस्ट मार्टम के लिए भेज दिया गया।
अगले दिन यानी 29 अप्रैल को अपराह्न करीब 4 बजे पोस्ट मार्टम के बाद मृतक छक्कन भईंया का शव पुलिस गांव मचला कारमा पहुंचा कर परिजनों को सौप दिया। परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया। मृतक के परिजनों ने जांच कमिटी को बताया कि स्थानीय विधायक ने मृतक के आश्रितों को मदत के तौर पर दस हजार रुपए दिए।
मृतक के आश्रितों ने यह भी बताया कि चैपारण थाना प्रभारी ने उन्हें यानी आश्रितों को पचास हजार रुपये मदत के नाम पर दिया और एक कागज पर मृतक छक्कन के भाई शंकर भुईंया से हस्ताक्षर करा लिया। कागज में क्या लिखा हुआ था, यह परिजनों को नहीं मालूम।
जांच टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि चैपारण पुलिस बेजा शख्ती बरती। मृतक को शादी में जाने नहीं देना था तो उसे घर ही जाने दे दिया गया होता तो यह जान लेवा घटना नहीं होती। पुलिस ने बर्बरतापूर्वक पिटाई की, जिससे मृतक छक्कन भईंया की मौत हुई। बाद में पुलिस अपने अपराध को छिपाने के तिकड़म के जरिये मृतक के भाई से किसी कागज पर दस्खत कर लिया जो प्रथम दृष्टया आपराधिक कार्रवाई है।