डॉ. नीरज भारद्वाज
महान व्यक्तियों का व्यक्तित्व पढ़ते हैं तो उसकी अलग ही अनुभूति होती है। मस्तिष्क की चेतना में नई ऊर्जा का संचार हो जाता है। भारतवर्ष के स्वतंत्रता संग्राम को जब पढ़ते, समझते हैं तो उसमें एक नाम सबसे ऊपर आता है, वह है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी। गुजरात की पवित्र भूमि में जन्मा एक साधारण बालक कब मोहनदास करमचंद से महात्मा गांधी बन गए यह विचार करने की ही बात है। महात्मा गांधी व्यक्ति से विचार कैसे बन गए, यह सोचने-समझने-जानने की जरूरत है। हर एक युग में एक अवतार पैदा होता है। हर एक युग में भक्त, संत, सेवक आदि पैदा होते हैं, जो राष्ट्र को नवजीवन देकर चले जाते हैं। बस बाद में उनके विचार और कार्यशैली रह जाते हैं, जिनका हम चिंतन-मनन करते हैं।
गांधी जी अपने युग अर्थात भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के युग अवतार कहे जाते हैं। देशवासियों को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्रता दिलाई और भूलोक की अपनी यात्रा पूरी करके वापस अपने धाम चले गए। संविधान लागू होना, उसमें क्या हुआ, नहीं हुआ, यह सभी कुछ गांधी जी के जाने के बाद ही हुआ। गांधी जी समय, काल, परिस्थिति के साथ लोहा लेने वाले सच्चे व्यक्तित्व रहे हैं। एक धोती और एक लाठी के सहारे पूरे भारतवर्ष की पैदल यात्रा करना किसी साधारण व्यक्ति का काम नहीं है। हर व्यक्ति के दिल में अपने लिए जगह बना लेना, कोई साधारण व्यक्तित्व नहीं हो सकता।
उस दौर के विश्व के बड़े-बड़े दार्शनिक, चिंतक, विचारक, लेखक, राजनेता आदि गांधी जी से मिलना चाहते रहे और समय-समय पर गांधी जी उनसे मिलते भी रहे। आज के दौर के दार्शनिक, चिंतक, विचारक, लेखक आदि उनको पढ़ना चाहते हैं और पढ़ते भी हैं। इतना ही नहीं गांधी जी के विचारों को अपने लेखों में लिखते रहते हैं। गांधी जी सर्वस्व देश को न्योछावर करके चले गए। विचार करें तो एक व्यक्ति में इतने सारे गुण कैसे हो सकते हैं। गांधी जी लोगों की सेवा करने से कभी पीछे नहीं हटे अर्थात सच्चे समाज सेवक के रूप में जाने जाते हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी बात करें तो गांधी जी ने हरिजन, हरिजन बंधु आदि समाचारपत्र चलाए। वह सफल पत्रकार और एक सफल संपादक रहे। स्वयं का अध्ययन क्षेत्र इतना बड़ा रहा कि अपने विचारों को पुस्तक रूप में लिखते रहे- हिन्द स्वराज, मेरे सपनों का भारत, ग्राम स्वराज आदि यहां कितनी ही पुस्तकों के नाम लिए जा सकते हैं। गांधी जी लोगों को देश सेवा के लिए प्रेरित करते रहे। अपने भाषणों से लोगों में देश प्रेम की भावना जागते रहे, सभी को एकजुट कर आगे बढ़ाते चले गए। स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े जननायक गांधी जी ही रहे। पूरे भारतवर्ष की पैदल यात्रा और देश-विदेश में स्वतंत्रता के लिए होने वाले कार्यों में जाकर अपने विचार रखना, बिना किसी भय के बात को स्पष्ट रूप से कहना गांधी जी की सबसे बड़ी विशेषता रही। गांधी जी की जितनी लोकप्रियता भारतवर्ष में रही उतनी ही लोकप्रियता विदेशों में रही।
गांधी जी भाषाई दृष्टिकोण से भी कला सिद्ध रहे। गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी और अन्य देसी-विदेशी भाषाओं के साथ लोगों से सीधा संवाद करते रहे। वह व्यक्ति के भाव को समझते थे, लोगों से सीधे जुड़ जाते थे। लोग उनकी एक झलक पाने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते थे। गांधी जी मंच से नहीं, देश की मिट्टी से जुड़े थे। गांधीजी धन से नहीं, देश के मन से जुड़े थे। गांधी जी जन के हल और बल से सीधे जुड़े थे। गांधी जी पर जितना लिखा जाए और जितना चिंतन किया जाए उतना ही कम लगता है।
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई सरोकार नहीं है।)