मौजूदा संविधान हटा कथित हिन्दू राष्ट्र का संविधान लागू करने की योजना में केन्द्र सरकार : CPI

मौजूदा संविधान हटा कथित हिन्दू राष्ट्र का संविधान लागू करने की योजना में केन्द्र सरकार : CPI

लखनऊ/ कल 26 जनबरी को जब सारा देश आजाद भारत के संविधान को लागू करने का दिवस- ‘गणतन्त्र दिवस’ मनाने जा रहा है, उसके ठीक पहले मौजूदा संविधान को हटा कर एक अलग ‘हिन्दू राष्ट्र का संविधान’ लागू करने की साजिशें अब खुल कर सामने आ गयी हैं। यदि लोकतान्त्रिक और संविधान समर्थक ताक़तें अब भी सावधान न हुयीं तो जल्दी ही मौजूदा धर्मनिरपेक्ष और लोकतान्त्रिक राज्य प्रणाली को अपदस्थ कर कथित तौर पर धर्म आधारित सामंती प्रणाली को देश के ऊपर थोप दिया जायेगा। और यह राज्य पूरी तरह एक फासिस्टवादी राज्य बन जायेगा। उक्त बातें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. गिरीश ने कही है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. गिरीश ने एक प्रेस बयान में आरोप लगाया कि राष्ट्रीय और सांस्कृतिक एकता के प्रतीक ‘महाकुंभ’ को भाजपा और संघ परिवार ने अपनी घ्रणित विभाजनकारी राजनीति का अखाड़ा तो बना ही दिया है, अब वहाँ से मौजूदा संविधान को हटा कर कथित हिन्दू राष्ट्र का संविधान लागू करने की तैयारियों संबंधी खबरें सामने आयी हैं।

एक प्रमुख हिन्दी दैनिक में प्रकाशित विस्तृत समाचार के अनुसार “अखंड हिन्दू राष्ट्र का पहला संविधान तैयार हो चुका है।“ महाकुंभ में इसे तीन फरबरी को वसंत पंचमी के दिन देश की जनता के सामने रखा जायेगा और चारों पीठ के शंकराचार्यों की सहमति के बाद इसे केन्द्र सरकार को भेजा जायेगा। 501 पन्नों के संविधान को मनुस्मृति और सामंतकालीन अन्य ग्रन्थों के आधार पर तैयार किया गया है।

इस कथित संविधान के निर्माण से जुड़े उच्च पदस्थ संत के अनुसार 2035 तक हिन्दू राष्ट्र की घोषणा का लक्ष्य रखा गया है। कथित संविधान के कुछ अंशो के सामने आने पर ही स्पष्ट हो जाता है कि यह देश पर धर्म आधारित तानाशाही लादने का प्रयास है। इसमें एक सदनात्मक व्यवस्थापिका होगी, सदन का नाम हिन्दू धर्म संसद होगा, सांसद का नाम धर्म सांसद होगा, धर्म सांसद के लिये न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष तथा मतदाता के लिये 16 वर्ष निर्धारित की जायेगी।

इतना ही नहीं सभी स्तरों के विद्यालयों व विश्वविद्यालयों को गुरुकुलों में बदल दिया जायेगा और राष्ट्राध्यक्ष का चुनाव इन गुरुकुलों से ही होगा जिसमें सामान्य नागरिक के लिये कोई स्थान नहीं होगा। हिन्दू राष्ट्र में हिन्दू न्याय व्यवस्था लागू की जायेगी। सभी स्तर के न्यायधीश राष्ट्राध्यक्ष के नियंत्रण में होंगे। अनुमान लगाया जा सकता है कि जब न्यायपालिका स्वतंत्र है तब भी सरकार न्याय को प्रभावित करती है, तो जब वह राष्ट्राध्यक्ष के अधीन होगी तो उसका क्या हाल होगा।

और भी मदरसे बंद किए जायेंगे। मनु एवं याज्ञवल्क्य की स्मृतियों को लागू किया जायेगा। पिता की मृत्यु के बाद श्राध्द कर्म करने वाला ही उसकी संपत्तियों का उत्तराधिकारी होगा। इस संविधान में कोई संशोधन भी नहीं किया जा सकेगा। आदि आदि।

डॉ. गिरीश ने कहा कि मंदिर आंदोलन की भी इसी प्रकार रूपरेखा तैयार की गयी थी। जिसका परिणाम सबके सामने है कि भाजपा देश के सत्ताशिखर पर काबिज है और लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं को मनमाने तरीके से रौंद रही है। बहुत संभव है कि आगामी दिनों में भाजपा द्वारा साधु- संतों को आगे कर इस कथित संविधान को लागू करने का अभियान चलाया जाये और उसके फासिस्टी मंसूबों को परवान चढ़ाया जाये।

यही वजह है कि संविधान की मर्यादाओं को किनारे कर प्रधान मंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और डबल इंजन सरकार ने कुम्भ को भाजपा और संघ की राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है।

यदि भाजपा और संघ का इस कथित संविधान से कोई संबंध नहीं तो उन्हे स्पष्टीकरण देना चाहिये। और उनकी डबल इंजन सरकार को कुम्भ के परिसर को संविधान विरोधी ऐसी किसी गतिविधि से मुक्त रखने को ठोस कदम उठाने चाहिये। उसके मौन को उसका समर्थन माना जायेगा।

लोकतान्त्रिक शक्तियों और आमजन को संविधान और लोकतन्त्र को बचाने के लिये भाजपा और संघ के मंसूबों को विफल करना होगा, डा. गिरीश ने कहा।

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