चंडीगढ़/ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य एवं हरियाणा कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की लचर कार्यप्रणाली के चलते डीएपी की कालाबाजारी जोरों पर है। प्रदेश की सहकारी समितियों में एक भी डीएपी का बैग नहीं है। अगर इन सोसायटी को खाद उपलब्ध करा दिया जाए तो फिर निजी विक्रेता कालाबाजारी नहीं कर सकेंगे और न ही डीएपी के बैग के साथ किसानों को कीटनाशक व अन्य सामान लेने के लिए बाध्य कर सकेंगे।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि गठबंधन सरकार की निजी विक्रेताओं के साथ मिली भगत और कालाबाजारी में हिस्सेदारी के कारण ही सोसायटी में डीएपी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। पैक्स में खाद आने की कोई सूचना तक किसानों के लिए उपलब्ध नहीं है। ऐसे में उन्हें मजबूरन बाजार का रुख करना पड़ता है और निजी विक्रेताओं के पास जाना पड़ता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन दिनों प्रदेश के कई इलाकों में सरसों की बिजाई जोरों पर चल रही है, जबकि गेहूं के लिए खेत तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। फसल की बिजाई के दौरान डीएपी खाद की सबसे अधिक जरूरत होती है और यही डीएपी अब सहकारी समितियों से गायब है।
कृषि विभाग अपनी कमियां छिपाने के लिए डीएपी उपलब्ध होने को लेकर झूठ बोल रहा है, जबकि सच्चाई प्रदेश के किसान जान चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को पता है कि हर साल डीएपी खाद की जरूरत होती है फिर वह डीएपी वितरण की मजबूत व्यवस्था क्यों नहीं करती क्यों किसानों को हर साल धक्के खाने पर मजबूर किया जाता है या उन्हें ऊंची दरों पर खाद खरीदने और उसके साथ साथ कीटनाशक व अन्य सामान खरीदने के लिए निजी विक्रेता मजबूर करते है यह सब कृषि विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से होता है जिस पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।
कुमारी सैलजा ने कहा कि जब निजी विक्रेताओं के पास किसान डीएपी लेने के लिए जाते हैं तो उन्हें डीएपी का अकेला बैग देने से साफ इंकार कर दिया जाता है। इस एक बैग के साथ 300-400 रुपये और लेकर उन्हें सल्फर की थैली या फिर फूट की थैली जबरदस्ती थमा दी जाती है। इसके अलावा किसानों को कीटनाशक दवाएं भी दी जा रही हैं। किसानों को ये सब मजबूरी में लेना भी पड़ रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रदेश के अलग-अलग कोनों से इस तरह की शिकायतों लगातार मिल रही हैं। ऐसा भी नहीं है कि यह सब गठबंधन सरकार की जानकारी में नहीं है। पर सरकार जानबूझकर चुप है। सरकार में शामिल कुछ लोगों की मिलीभगत के कारण ही पैक्स पर डीएपी नहीं है और सिर्फ निजी विक्रेताओं के पास मौजूद है। ताकि कालाबाजारी कर मोटा माल कमाकर आपस में बंदरबांट की जा सके। किसान अब अच्छी तरह से जान चुका है कि यह भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार उनका शोषण कर रही है, किसान हितेषी होने का सरकार केवल नाटक कर रही है, प्रदेश का यही किसान आने वाले चुनाव में सरकार से सारे हिसाब चुकता करेगा।