शांति के लिए घातक है हमास, इसके खिलाफ पूरी दुनिया को गोलबंद होना होगा

शांति के लिए घातक है हमास, इसके खिलाफ पूरी दुनिया को गोलबंद होना होगा

मध्य-पूर्व एक बार फिर से अशांत हो गया है। लाखों लोगों का जीवन अधर में लटक गया है। हजारों लोगों की जान चली गयी है जबकि लाखों की संख्या में स्थानीय लोग वहां से पलायन कर रहे हैं। यह सब क्यों हो रहा है? इसके पीछे का कारण क्या है, तो उसका जवाब एक ही है आतंकवाद! आतंकवादी और इस्लामिक चरमपंथी संगठन हमास के कारण मध्य-पूर्व एक बार फिर से अशांत हो गया है। लाखों लोग पलायन करने को मजबूर हैं जबकि हजारों लोगों की जान जा चुकी है। इस पीड़ा के बीच, एक द्वेषपूर्ण शक्ति उभर कर सामने आयी है। हमास उसका चेहरा बनकर उभरा है। इस संगठन ने अरब में लगातार शांति पहलों को विफल किया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने को स्थापित करने के लिए लाखों लोगों की जिंदगी को दाव पर लगा दिया है।

वर्ष 2007 में फिलिस्तीन की चुनी हुई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार को हमास नामक आतंकवादी संगठन ने उखाड़ फेंका और उसके स्थान पर अपनी सत्ता वहां स्थापित कर ली। यह एक अक्षम्य अत्याचार था। इस गैरकानूनी तख्तापलट के कारण फिलिस्तीन में 450 लोगों की नाहक मृत्यु हुई। इस दौरान वैध फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सत्ता से बेदखल कर दिया गया। इस भयावह कृत्य ने न केवल आंतरिक फिलिस्तीनी संघर्ष को प्रज्वलित किया, बल्कि एक शत्रुतापूर्ण माहौल को भी जन्म दिया, जिसके कारण यह क्षेत्र जो धीरे-धीरे शांति की ओर बढ़ रहा है फिर से अशांत हो गया। हमास ने शांति के सारे द्वार बंद कर दिए और अपनी आतंकी शक्तियों को संगठित करने की दिशा में पहले प्रारंभ किया। अरब लीग के द्वारा 1982, 2002 और 2023 की शांति समझौतों पर हमास लगातार पानी फेरता रहा है। हमास ने सारे कूटनीतिक समाधान निरस्त कर दिए और ताकत से मुकाबला करने का प्रयास प्रारंभ किया। एक तरफ इजरायल जैसा ताकतवर देश दूसरी ओर फिलिस्तीन की जनता, हमास यह जानता है कि इजरायल से वह जीत नहीं सकता और समाधान दो देश के सिद्धांतों पर ही संभव है लेकिन वह मानने को तैयार नहीं है। गैरजिम्मेदार दो इस्लामिक देश लेबनान और ईरान के दम पर वह फिलिस्तीनियों को युद्ध की आग में ढ़केल रहा है। हमास को इस्लाम से भी कुछ लेनादेना नहीं है।

अरब लीग के देश और संयुक्त राष्ट्र ने स्पष्ट रूप से फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) को फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी है। इसके विपरीत, हमास एक बाहरी और आतंकवादी संगठन बना हुआ है, जो शांति के लिए पीएलओ के चार्टर का समर्थन करने से इनकार कर रहा है और अरब लीग, पीएलओ तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित अंतरराष्ट्रीय निकायों द्वारा समर्थित दो-राज्य समाधान को खारिज कर रहा है।

हमास के कार्या विनाशकारी साबित हो रहे हैं। उनकी हिंसक रणनीति और सह-अस्तित्व की अस्वीकृति ने पूरी दुनिया के लिए व्यापक अस्थिरता पैदा कर दी है, जिससे फिलिस्तीनियों और इजरायलियों दोनों के लिए शांतिपूर्ण जीवन एक सपना बन गया है। 2007 में फिलिस्तीनियों का नरसंहार और उसके बाद 2023 में इजरायलियों पर हमले इस संगठन की मानव जीवन के प्रति घोर उपेक्षा की याद दिलाते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, हमास घोषित रूप से एक गैरकानूनी संगठन है। यह अरब लीग और व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों को बेरहमी से कुचलता रहा है। स्थापित शांति समझौतों को खारिज करता रहा है। जानकारी में रहे कि हमास एक घोषित आतंकवादी संगठन है। इसलिए जो लोग हमास का समर्थन कर रहे हैं वे किसी न किसी रूप में आतंकवाद का समर्थन कर रहे हैं। यह संगठन फिलिस्तीनी मुसलमानों के लिए भी हितकर नहीं है क्योंकि इसने सेंकड़ों ुिफलिस्तीनियों को मौत के घाट उतारा है।

हमास ने पहले इजरायली नागरिकों पर हमला किया। इसके बाद निर्दोष नागरिकों को बंधक बना लिया। यदी हमास प्रभावशाली होता और इस्लाम के वसूलों को के साथ जी रहा होता तो निर्दोष नागरिकों की वह हत्या नहीं करता। हमास को इजरायली सैन्य प्रतिष्ठान पर हमला करना चाहिए था लेकिन हमास मानवता का विरोधी आतंवादी संगठन है। इसलिए उसने आम और निर्दोष यहूदियों पर हमला किया, जिसका नजारा पूरी दुनिया ने देखा। इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान दो देशों का सिद्धांत है। इसे हमास को मानना ही पड़ेगा।

हमास की नापाक हरकतें क्षेत्र में स्थायी शांति के रास्ते पर काली छाया डाल रही हैं। सीमा के दोनों ओर नागरिकों के जीवन पर हमास के गहरे नकारात्मक प्रभाव को स्वीकार करना चाहिए और शांति में उन बाधाओं को खत्म करने के लिए अथक प्रयास करना चाहिए जिनका यह संगठन प्रतिनिधित्व करता है। केवल अटूट प्रतिबद्धता, सार्थक संवाद और सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से ही इस क्षेत्र में स्थायी शांति संभव है। इसके लिए हमास को खत्म करना ही एक मात्र रास्ता है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को भी प्रयास करना चाहिए साथ ही अरब लीग को हमास के खिलाफ गोलबंद होना चाहिए। इस्लाम को मानने वालों को भी हमास पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

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