सक्सेस कम और फेलियर ज्यादा देखे हैं : आशा नेगी

सक्सेस कम और फेलियर ज्यादा देखे हैं : आशा नेगी


सुभाष शिरढोनकर

छोटे पर्दे के धारावाहिक ’पवित्रा रिश्ता’ से अपनी पहचान बनाने वाली आशा नेगी ने छोटे पर्दे पर 09 साल बिताने के बाद 2019 में एकता कपूर के ’ऑल्ट बालाजी’ की वेब सीरीज ’बारिश’ से ओ.टी.टी. प्लेटफार्म पर दस्तक दी। इसमें वह शरमन जोशी के अपोजिट फीमेल लीड में थी। आशा नेगी बचपन से ही एक्टिंग के प्रोफेशन में आकर एक एक्ट्रेस बनने का सपने देखा करती थीं। जब पहली बार मुंबई आई, उस वक्त आत्म विश्वास से भरी हुई थीं। उन्हें लगता था कि उन्हें सीधे फिल्मों के ऑफर मिलने लगेंगे लेकिन धीरे धीरे सब कुछ समझ में आ गया और जब उन्हें टी.वी. में काम करने का अवसर मिला, तो उन्होंने फौरन लपक लिया। ’बारिश’ (2019) के बाद से लगातार आशा नेगी ओ.टी.टी. पर नजर आती रही हैं। वह जिमी शेरगिल के साथ एक थ्रिलर फिल्म ’कॉलर बॉम्ब’ कर रही हैं। इसके अलावा वे एक वेब सीरीज ’ख्वाबों के परिंदे’ में नजर आएंगी। इस सीरीज का ज्यादातर फिल्मांकन आस्ट्रेलिया की बेहद खूबसूरत लोकेशन्स पर किया गया है।

प्रस्तुत हैं आशा नेगी के साथ की गई बातचीत के मुख्य अंश : –

वेब सीरीज ’ख्वाबों के परिंदे’ में आप किस तरह का किरदार निभा रही हैं?

इसमें बिंदिया नाम की लड़की का किरदार निभा रही हूं। एक ऐसी लड़की, जो काफी बिंदास है और बिना सोचे समझे, अपनी जिंदगी के अहम फैसले ले लेती है। यह किरदार मेरी रियल लाइफ पर्सनेलिटी के साथ काफी मेल खाता है। रियल लाइफ में मैं भी बिंदिया की तरह हूं।

आस्ट्रेलिया में फिल्म की शूटिंग का एक्सपीरियंस कैसा रहा?

जब मैं शूटिंग के लिए आस्ट्रेलिया जाने वाली थी, मेरी फ्रंेडस, जो पहले आस्ट्रेलिया होकर आई हैं, उन्होंने मुझे बताया कि यदि वहां जाना है तो ड्राइविंग आना बेहद जरूरी है। इसलिए वहां जाने के पहले मैंने ड्राइविंग सीखी। जो वहां मेरे बहुत काम आई। इसके बाद मेरे अंदर सोलो ट्रेवेलिंग का कान्फिडेंस आ चुका है। अब मैं कहीं भी अकेली जा सकती हूं।

लाइफ के फेलियर्स से आप डिप्रेशन में आ गई थीं। लेकिन अब जबकि फिर सब कुछ ठीक ठाक हो चुका हैं, कैसा महसूस हो रहा है?

मैंने अपनी लाइफ में सक्सेस कम और फेलियर ज्यादा देखे हैं। लेकिन हमेशा अपने फेलियर से कुछ न कुछ सीखने की कोशिश की है। मेरा पहला शो सुपर हिट हुआ। लेकिन उसके बाद मेरे शो लगातार फ्लॉप होते रहे। इसकी वजह से मैं डिप्रेशन में आ गई थी। लेकिन अब एक अच्छे फेज में हूं। अब मैं पूरी तरह संतुष्ट हूं। लेकिन यह बात अच्छे से समझ चुकी हूं कि अच्छा वक्त बीतते भी देर नहीं लगेगी। इसलिए अपनी ओर से पूरी सावधानी रखने की कोशिश कर रही हूं कि यह दौर लंबा चलता रहे।

आपको किस तरह के किरदार निभाना ज्यादा अच्छा लगता है?

मैंने एक टिपीकल अच्छी लड़की वाले किरदार काफी निभा लिए हैं। इसलिए अब मैं इस तरह के किरदार नहीं करना चाहती। मैं चाहती हूं कि मुझे निगेटिव किरदार मिले क्योंकि मुझे लगता है कि इनमें मैं खुद को ज्यादा बेहतर साबित कर सकती हूं।

क्या वजह है कि अब आप लीड एक्ट्रेस से इतर छोटे छोटे किरदार करने में भी दिलचस्पी दिखा रही हैं?

मैंने कहा न कि मैं टिपिकल एक जैसे रोल करना नहीं चाहती। चाहती हूं कि जो रोल करूं, वह चैलेंजिंग हों। रोल ऐसा हांे, जिसके बारे में कम से कम एक बार, मन में यह सवाल अवश्य उठे कि क्या मैं इसे कर सकूंगी ? यह जरूरी नहीं कि वह लीड रोल ही हो। वह किसी भी ग्रेड का हो, चलेगा।

टी.वी. से ओ.टी.टी. की ओर रूख करने की असल वजह क्या रही?

दरअसल मैं अपना धैर्य खो चुकी थी। मुझे लगता था कि 2-3 साल कोई टी.वी. शो करने से बेहतर होगा कि ओ.टी.टी. के लिए अलग अलग काम करूं। मैं मानती हूं कि आर्थिक सुरक्षा के लिए टी.वी. एक सुरक्षित माध्यम है। लेकिन मैं कुछ नया करना चाहती थी, इसलिए मैंने इसे चुना।

टी.वी. और ओ.टी.टी. के बीच आपको मुख्य फर्क क्या महसूस होता है?

टी.वी. के लिए बहुत जल्दी जल्दी काम करना पड़ता है। जिसकी वजह से परफॉरमंेस पर फोकस नहीं हो पाता। जबकि ओ.टी.टी. के साथ ऐसा नहीं है। अपन केरेक्टर को समझने और उसकी रिक्वायरमेंट को पूरा करना के लिए एक एक्टर के पास काफी वक्त होता है।

(अदिति)

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