नयी दिल्ली/ एक समाचार माध्यम को दिए साक्षात्कार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक विवाद बेकार है। थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित विश्व हिन्दू कांग्रेस के केंद्रीय सत्र के दौरान आरएसएस के एकता के दृष्टिकोण पर जवाब देते हुए होसबले ने कहा, ”पारसियां भारत में एक बहुत छोटा अल्पसंख्यक समूह है। उनके साथ कोई समस्या है क्या? होसबले ने कहा कि क्या उन्होंने अपने धर्म एवं आस्था में विश्वास करते कभी कोई समस्या उठाई है? यहां तिब्बती हैं। उनके साथ भी कोई समस्या नहीं है। हिन्दू कई देशों में अल्पसंख्यक हैं लेकिन वहां भी उन्होंने कोई विवाद खड़ा नहीं किया है। न ही कभी अलग से कोई मांग रखी है।”
आरएसएस के सरकार्यवाह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केवल एकता के प्रति प्रतिबद्ध व वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमारे साथ होमोजेनाइजेशन नहीं है। होमोजेनाइजेशन पश्चिमी अवधारणा है। उन्हें समानता लाना चाहिए। भारत में इतने प्रकार की विविधता देखें। भारत ने कभी भी विविधता को नष्ट नहीं किया है। उसने हमेशा इसका स्वागत किया है।
आयोध्या में श्रीराम मंदिर के उद्घाटन के बारे में अपने भावनाओं के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा, “यह भावना के बारे में नहीं है, यह श्रद्धा है, हमारे संस्कृति के साथ हमारे संबंध के बारे में है। यह हमारे व्यक्तित्व, हमारी अस्मिता, हमारी आत्म-सम्मान, हमारी पहचान के बारे में है। मैं इसके बारे में क्या कह सकता हूं? यह किसी से अपनी माँ के बारे में कैसा आपसी संबंध है यह पूछने जैसा है।”
जब उनसे विश्व हिन्दू कांग्रेस का आयोजन करने के कारण पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “हमारी हिन्दू जनता की संभावना को मजबूत किया जाना चाहिए। इस प्रकार की कांग्रेस से ऐसी प्रेरणा आती है। सज्जनशक्ति, उदार लोग, वे कहीं भी नहीं आए हों, लेकिन उन्हें इससे जोड़ना और सहयोग करना है। हमें उनसे संबंध बनाए रखना है और उनके साथ काम करना है। हम उन्हें आवश्यक साधन प्रदान कर रहे हैं। इसके बारे में जागरूकता होनी चाहिए, यह अहसास होना चाहिए कि दूसरे भी मेरे साथ हैं। मैं अकेला नहीं हूँ।”