नीतू गुप्ता
पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं। ऐसा नहीं है कि पहले महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न नहीं होता था पर इतना कम कि लोगों को अधिक पता नहीं चल पाता था। आधुनिक समय में कामकाजी महिलाओं की संख्या काफी बढ़ी है। उन्हें दोहरी जिन्दगी जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
दिन प्रतिदिन बढ़ती महंगाई के कारण धनार्जन करने के लिए उन्हें बाहर जाना पड़ता है। इसी सक्रियता के कारण उनका दफ्तरों, दूसरे स्थानों में पुरूषों के साथ मेलजोल और तालमेल काफी बढ़ जाता है जिस कारण पुरूष कभी उनकी मजबूरी तो कभी उनकी कमजोरी का फायदा उठाने से नहीं चूकते। जब कभी उनके साथ यौन उत्पीड़न की घटना घटित हो जाती है तो परिवार वाले और पति तक उनका साथ न देकर उन पर उंगली उठाने से नहीं चूकते।
ऐसे में अक्सर महिलाओं को शक की निगाह से देखा जाता है और यह कहा जाता है कि ’ताली दोनों हाथों से बजती है। कुछ हद तक उन्हंें दोषी ठहराने की कोशिश की जाती है। कुछ बातों को ध्यान में रखकर शिकार होने से बचने का प्रयास किया जा सकता है।
यदि आप अधिक पुरूष सहकर्मियों के साथ काम करती हैं तो जहां महिलाओं की संख्या कम हो, वहां पुरूषों के साथ हंसी मजाक सीमित करें। ऑफिस समय के बाद न रूकें, घर जाते समय उनसे लिफ्ट न लें।
किसी पुरूष सहकर्मी के साथ अकेले में किसी केबिन में देर तक न रूकने की स्थिति से बचेें।
तो उन सहकर्मियों की संगति से बचें जो डबल मीनिंग वाले डॉयलाग बोलते हों। उनकी बातों को अनसुना करें। उनके साथ बस काम की ही बात करें। फिर भी वो आपसे बातें करें तो काम का बहाना बना कर वहां से चली जाएं।
पुरूष सहकर्मी की पत्नी को भाभी जी कह कर संबोधित करें और नीयत भी वैसी ही रखें।
त अपना काम ’अप टू डेट‘ रखें ताकि किसी को कुछ कहने का मौका न मिले। बिना मतलब किसी से काम में मदद की ओबलिगेशन न लें। ऐसे में पुरूष सहकर्मी अपना उल्लू साधने की ताक में लगे रहते हैं।
जल्दी जाने या देर से आने जैसे छोटे-छोटे प्रतिफलों के लालच में पुरूष बॉस के साथ आत्मीयता न बढ़ायें। प्रमोशन के लालच में रंगीन मिजाज सहकर्मी या बॉस की कम्पनी से बचें। कुछ गलत करने पर उनकी भर्त्सना करें। उसको छिपाएं नहंीं। अपने घर अपने पति या माता-पिता, भाई से बात करें।
त ऑफिस टाइम से न तो पहले पहुंचंे और न ही बाद में रूकें। अपने काम को समय सीमा में ही पूरा करें।
यदि पुरूष सहकर्मी आपकी सुंदरता की प्रशंसा करे या आपके परिधानों की प्रशंसा करे तो ऐसे वाक्यों से खुश न हों। उन्हें साफ शब्दों में मना करने की हिम्मत रखें नहीं तो रूखाई बरतें ताकि वे समझ जायें कि हमारी इन प्रशंसा भरी बातों का कोई अर्थ नहीं
है।
होली के अवसर पर पुरूष सहकर्मियों से दूर रहें। बस ज़बान से ही होली मुबारकबाद करें। रंग लगाने पर हाथ जोड़ दें या सख्ती से मना कर दें। त पुरूष सहकर्मी और बॉस से दूरी बना कर रखें। उनका विशेष ध्यान न रखें ताकि कहीं वे इसका गलत अर्थ न समझ बैठे।
अपनी बातचीत और हावभाव से उन्हें कभी गलतफहमी न होने दें। बात करते समय ऊंची नजरों से बात करें। दीन हीन बनकर बात न करें ताकि वे आपकी कमजोरी का फायदा न उठा सकें। (उर्वशी)
जनलेख के आलेख और सभी रिपोर्ट्स बेहद खोजपूर्ण, सारगर्भित और संग्रहणीय होते हैं। खासकर स्वामी सहजानंद सरस्वती को लेकर कई नयी तरह की जानकारियां मिली और उनके खिलाफ पूर्व में हुई साजिश से भी अवगत हुआ। मैं उम्मीद करता हूं कि देश-समाज की ज्वलंत समस्याओं पर इसी तरह से आगे भी आपके विचार पढ़ने-जानने के अवसर हमें प्राप्त होते रहेंगे।
मैं संपादक श्री गौतम चौधरी जी और आपकी समस्त टीम को अपनी समस्त शुभकामनाएं और बधाई प्रेषित करता हूं
सादर
देवकुमार पुखराज
न्यूज 18 नेटवर्क
हैदराबाद