गौतम चौधरी
तेज़ तकनीकी विकास और भौतिक उन्नति के इस युग में, विडंबना यह है कि दुनिया मूल मानव मूल्यों में तीव्र गिरावट का सामना कर रही है। करुणा को स्वार्थ ने ढक दिया है, सच्चाई को गलत जानकारी ने धुंधला कर दिया है और जीवन की पवित्रता को सत्ता की भूख ने कुचल दिया है। नफ़रत के अपराधों, शोषण और युद्धों में वृद्धि से लेकर बढ़ते व्यक्तिवाद और नैतिक उदासीनता तक—ऐसा लगता है कि मानवता अपनी नैतिक दिशा भूल गया है।
इस वैश्विक नैतिक क्षरण की केवल आलोचना करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसके लिए एक सामूहिक व तीव्र प्रतिक्रिया की आवश्यकता है, जो ईमानदारी और धार्म सुधारकों, नबियों, महान संदेश वाहकों के द्वारा बताए गए मूल्यों पर धारित हो। मुसलमानों के लिए यह ज़िम्मेदारी बहुत स्पष्ट है कि वे पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लाहु अलैहि वसल्लम की शाश्वत शिक्षाओं को पुनर्जीवित करें और अपनाएं, जिनका जीवन शांति, न्याय, दया और मानव गरिमा का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है।
हज़रत मुहम्मद सल्लाहु अलैहि वसल्लम केवल एक धार्मिक नेता नहीं थे अपितु एक सुधारक, शासक, पारिवारिक व्यक्ति और समस्त सृष्टि के लिए रहमत थे। उनके द्वारा नाजिल, इस्लाम के पवित्र ग्रंथ में कहा गया है: “और हम ने तुम्हें सारे संसारों के लिए केवल रहमत बनाकर भेजा है।” उनका संदेश केव सार्वभौमिक ही नहीं सर्वकालिक और मानवीय चरित्र के उत्थान के लिए है। उन्होंने व्यापार में ईमानदारी, नेतृत्व में करुणा, कठिनाइयों में धैर्य, सत्ता में क्षमा और सभी—मुस्लिम या गैर-मुस्लिम, अमीर या गरीब—के अधिकारों का सम्मान करना सिखाया है।
आज के समय में मानव मूल्यों में गिरावट अन्याय, भ्रष्टाचार, पारिवारिक विघटन और नैतिक भ्रम के रूप में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। सहानुभूति की जगह उदासीनता ने ले ली है। सत्य को अक्सर स्वार्थ के लिए त्याग दिया जाता है। सोशल मीडिया आत्म-सुधार की जगह आत्म-प्रदर्शन को बढ़ावा देता है। यहां तक कि पवित्र संस्थान भी लालच और पाखंड से दूषित हो चुके हैं। यह केवल सामाजिक नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक संकट है। यदि आस्था और उद्देश्य पर आधारित मजबूत मूल्य न हों, तो मानवता अराजकता में डूब सकती है। दुनिया इस्लाम की ओर देख रही है। इस्लाम के पास एक मजबूत संगठन और व्यवस्थित तंत्र है। इस संगठन और तंत्र का सदुपयोग कर आज की परिस्थितियों से मानवता को निजात दिला सकता है।
इस अंधकार में, पैगंबर मोहम्मद का जीवन और उनकी विरासत उन सभी के लिए प्रकाशस्तंभ है जो रोशनी की तलाश में हैं। मुसलमान केवल इस्लाम के अनुयायी नहीं हैं, वे मोहम्मद के प्रकाश के वाहक भी हैं। अज्ञानता और शत्रुता के बढ़ते दौर में, उनका कर्तव्य है कि वे इस्लाम का प्रतिनिधित्व केवल शब्दों से नहीं, बल्कि अपने चरित्र और आचरण से भी करें।
पैगंबर मोहम्मद ने कहा, “मुझे केवल अच्छे आचरण को पूर्ण करने के लिए भेजा गया है।” अब यह मिशन उम्मत की जिम्मेदारी है। व्यापार में ईमानदारी, रिश्तों में दया, निर्णयों में न्याय और वाणी में सच्चाई—ये सभी दावत (इस्लाम का संदेश देना) के रूप हैं। पैगंबर ने तो यहां तक कहा कि एक मुस्कान भी सदक़ा (दान) है।
मुसलमानों को अपने समुदायों में उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए—जातिवाद, अन्याय और असमानता के विरुद्ध खड़े होकर, सद्भाव, सेवा और सभी के प्रति सम्मान को बढ़ावा देना चाहिए। उन्हें अपने बच्चों को विनम्रता, धैर्य, आभार और सच्चाई जैसे मूल्य केवल किताबों से नहीं, बल्कि अपने दैनिक व्यवहार से सिखाने चाहिए।
पैगंबर (स.अ.) ने लोगों के दिलों को ज़ोर-ज़बरदस्ती से नहीं, बल्कि अपने बेदाग चरित्र से जीता। उनका संदेश दुनिया तक उनकी विश्वसनीयता, करुणा और शांति व न्याय के लिए किए गए अथक प्रयासों से पहुँचा। इस विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए मुसलमानों को क़ुरआन से जुड़ना होगा, सीरत (पैगंबर का जीवन) का अध्ययन करना होगा, और शिक्षा, मीडिया, राजनीति तथा पारिवारिक जीवन जैसे हर क्षेत्र में नबी की शिक्षाओं को प्रतिबिंबित करना होगा।
मुसलमानों को केवल इबादत में नहीं, बल्कि उद्देश्य में भी एकजुट होना चाहिए—शांति और मानवता के दूत बनने के लिए। ऐसा करके वे अपने रसूल (स.अ.) की शिक्षाओं के सच्चे अनुयायी बनते हैं और दुनिया को वह प्रदान करते हैं जिसकी उसे सख्त ज़रूरत है: सत्य, गरिमा और ईश्वरीय दया की ओर वापसी।
मानव मूल्यों का पतन अपरिहार्य नहीं है; इसे सच्चे विश्वास और कर्म से रोका जा सकता है। हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद (स.अ.) ने एक ऐसा जीवंत उदाहरण छोड़ा है जो हर युग के लिए मार्गदर्शन करता है। अब यह मुसलमानों का कर्तव्य है कि वे इस संदेश को केवल प्रचार करके नहीं, बल्कि जीकर निभाएं। ऐसा करके वे इस उम्मीद के भूखे संसार के लिए रोशनी की किरण बन सकते हैं।
नोट : यह आलेख मुफ्ती अब्दुल्ला कासमी साहब के सहयोग से लिखा गया है। पवित्र ग्रंथ की आयतों का तर्जुमा एवं रसूल के विचार उन्हीं के माध्यम से प्राप्त हुए हैं।