नयी दिल्ली/ भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने अमेरिका में एक सिख अलगाववादी की हत्या की साजिश रचने का एक भारतीय नागरिक पर जो आरोप लगाया है वह चिंता का विषय है। भारत ने जोर देकर कहा कि एक उच्च स्तरीय समिति इस मामले के सभी पहलुओं की जांच करेगी।
भारत सरकार ने जल्द ही इस प्रकार की एक समिति गठित करने की बात कही है। सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश से जुड़े आरोपों की जांच के लिए भारत ने एक जांच दल बनाया है। ऐसा माना जाता है कि पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की नागरिकता है।
अमेरिका ने इस मामले में बुधवार को भारतीय नागरिक, निखिल गुप्ता पर आरोप लगाए। कोर्ट में पेश दस्तावेजों के मुताबिक उन्हें भारत सरकार के एक कर्मचारी से निर्देश मिले थे।
कथित साजिश में किस अलगाववादी को निशाना बनाया जाना था, अभियोजन पक्ष ने उनके नाम की जानकारी नहीं दी है लेकिन कोर्ट में पेश दस्तावेजों में कहा गया है कि टार्गेट हरदीप सिंह निज्जर के सहयोगी थे। निज्जर की 18 जून को कनाडा में हत्या कर दी गई थी।
अमेरिका के इन आरोपों पर भारत सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति इस मामले से संबेधित सभी पहलुओं पर जांच करेगी।
इसके पहले ब्रितानी अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि अमेरिकी जमीन पर एक सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश को नाकाम किया गया है और इस साजिश में शामिल होने की चिंताओं के मद्देनजर भारत सरकार को जानकारी दी गई है।
सिख अलगाववादी नेता पन्नू अमेरिकी-कनाडाई नागरिक हैं और भारत में आतंक से जुड़े कई मामलों में वांछित हैं। इस पर बुधवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि भारत ने इस मामले को लेकर एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है।
इसके पहले कनाडा ने भी भारत पर सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर आरोप लगाए थे। भारत ने कनाडा के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था और तभी से भारत और कनाडा के संबंधों में खटास आ गई।
इधर अमेरिका के द्वारा भारत को आगाह करने के बाद जब कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली से पत्रकारों ने सवाल पूछे तो उन्होंने अमेरिकी अटॉर्नी की ओर से लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। हालांकि, ब्रसेल्स में उन्होंने दावा किया कि कनाडा अपने विश्वसनीय आरोपों पर कायम है कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट शामिल थे।
अमेरिका ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर कथित ‘योजना के तहत पैसे लेकर हत्या’ का आरोप लगाया है। अभियोजन पक्ष का आरोप है कि ये साजिश भारत में रची गई। कोर्ट में जो दस्तावेज पेश किए गए हैं, उसमें कथित टार्गेट (जिस व्यक्ति के खलिाफ साजिश रची गई) का नाम जाहिर नहीं किया गया है।
इसके पहले भारत सरकार ने कहा था कि उसने अमेरिका की ओर से सुरक्षा मामले में जाहिर की गई चिंता को लेकर जांच शुरू कर दी है। अभियोग लगाए जाने की जानकारी मिलने के कुछ देर बाद अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाइट हाउस ने कहा कि उसने ये मामला भारत सरकार के सामने रखा है।
अभियोजन पक्ष की ओर से लगाए गए आरोप के मुताबिक, गुप्ता ड्रग्स और हथियारों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तस्करी में शामिल था। उसके बाद मई में भारत के एक सरकारी अधिकारी ने उन्हें कथित तौर पर टार्गेट की हत्या करने के काम पर रखा।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि उस अधिकारी ने गुप्ता को निर्देश दिया कि वो हत्या की संभावित योजना को लेकर अमेरिका में एक सहयोगी से संपर्क करें। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया है कि गुप्ता ‘हिटमैन’ से मिलने वाले थे जो कि न्यूयॉर्क में हत्या को अंजाम देता।
कोर्ट में पेश दस्तावेजों में कहा गया है कि उस व्यक्ति ने खुद को एक अंडरकवर अधिकारी बताया और कहा कि वो एक लाख डॉलर (करीब 80 लाख रुपये) लेकर टार्गेट की हत्या करेगा। गुप्ता ने नौ जून को एक सहयोगी के मार्फत उसे 15 हजार डॉलर दिए। निखिल गुप्ता को चेक रिपब्लिक के अधिकारियों ने 30 जून को गिरफ्तार किया था।
यह मामला बेहद पेंचीदा होता जा रहा है। पहले कनाडा, फिर अमेरिका अप्रत्यक्ष रूप से इस बात को लेकर भारत पर आरोप लगा रहा है कि भारत ने खालिस्तान समर्थक नेताओं को निवटाने की योजना बनया। इसमें मितनी सत्यता है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन फिलहाल यह रहस्य बना हुआ है कि जिस पर अमेरिकी प्रशासन आरोप लगा रहा है वह लंबे समय से ड्रग के कारोबार में शामिल था और अमेरिका में रह कर नशली दवा व घातक हथियारों का अवैध धंधा करता था। कथित एजेंट गुप्ता किसके लिए काम करता था, वह अमेरिकी खुफिया एजेंसी का एजेंट या या फिर भारतीय गुफिया एजेंसी के काम करता था, इस बात का अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है।
अमेरिकी प्रशासन द्वारा गंभीर उद्भेदन से इतना तो साफ हो चुका है कि अमेरिका और कनाडा में संगठित रूप से खालिस्तान समर्थक काम कर रहे हैं। खालिस्तानी यदि अमेरिका और कनाडा रह कर काम कर रहे हैं तो ऐसा संभव नहीं है कि वे वहां के प्रशासन की नजरों में नहीं होंगे। इससे अमेरिका और पश्चिमी दुनिया बेनकाब हो गया है। इससे यह साबित हो गया है कि भारत को अस्थिर करने की साजिस रचने वालों का पनाहगाह अंततह यूनाइटेड किंग्डम या संयुक्त राज्य अमेरिका ही है।
अमेरिका यह पहले से करता रहा है। अमेरिका ने अपने खास दोस्त और नाटो के सदस्य देश तुर्कीय में भी वहां की वर्तमान आर्दोआन सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए साजिस रचने वालों को पनाह दिया था।