नयी दिल्ली/ चरमपंथी नेता व वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। खुफिया जानकारी के अनुसार, अमृतपाल सिंह को भारत आने से पहले जॉर्जिया में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ट्रेनिंग दी थी। इतना ही नहीं उसके सिख फॉर जस्टिस के साथ भी अच्छे संबंध हैं। ये दावे ऐसे समय में आए हैं जब पंजाब पुलिस ने खालिस्तान के समर्थक अमृतपाल सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। अमृतपाल सिंह ने खालिस्तान को भारत से अलग करने की बात का खुले तौर पर समर्थन किया है। ये सब पाकिस्तानी साजिश का हिस्सा है, जो सीमा से लगे हुए राज्य में उग्रवाद को फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहा है।
खुफिया सूत्र ने खुलासा किया है कि खालिस्तान की साजिश को अमृतपाल सिंह ने दुबई में रचा था। दुबई आईएसआई एजेंटों का एक केंद्र है, जहां अमृतपाल सिंह को पंजाब में उग्रवाद को फिर से जीवित करने के बदले मोटी रकम का ऑफर दिया गया। इसके बाद भारत वापस जाने से पहले उसे आईएसआई ने ट्रेनिंग के लिए जॉर्जिया भेजा।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमृतपाल सिंह का एसएफजे से भी संबंध है। उसने सोशल मीडिया पर अपनी एक्टिविटी का कैंपेन भी चलाया, जिसमें खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नून को अमृतपाल सिंह के करीबी के रूप में पहचाना गया। पन्नून को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत भारत सरकार द्वारा एक आतंकवादी घोषित किया गया है।
एजेंसियों को जांच में पता चला है कि अमृतपाल सिंह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से भारत में ड्रग्स की तस्करी का नेटवर्क चला रहा था। इतना ही नहीं वो पंजाब के नशा मुक्ति केंद्रों में पाकिस्तान से खरीदे गए हथियार इकट्ठा कर रहा था। वह सितंबर 2022 में भारत आया था और उसी समय से सीमा पार से ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के लिए भारत में ड्रोन की घुसपैठ बढ़ गई।
ड्रग्स और हथियारों से संबंधित अपनी एक्टिविटी के बारे में बताते हुए एजेंसी के अधिकारी ने कहा, अमृतपाल लखबीर सिंह रोडे (जो पाकिस्तान में है) के भाई जसवंत सिंह रोडे के साथ-साथ ब्रिटेन में अपने मुख्य हैंडलर अवतार सिंह खांडा और के परमजीत सिंह पम्मा के माध्यम से भारत में ड्रग्स की आपूर्ति करता था।
इस अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा उसके कुछ अन्य लोगों के नाम का भी खुलासा हुआ है। उसके ग्रुप में बिल्ला, बिलाल और राणा नाम के लोगों के बारे में पता चला है, जो सीमा पार ड्रग तस्करी का काम करते हैं। कहा जाता है कि अमृतपाल सिंह जिस मर्सिडीज कार से पंजाब में सफर करने के लिए इस्तेमाल करता है उसे एक ड्रग डीलर रवेल सिंह ने उपलब्ध कराया है।
एक अधिकारी ने खुलासा किया है कि वारिस पंजाब दे जिन नशा मुक्ति केंद्र को चलाने का दावा करते हैं, वो निजी मिलिशिया के अड्डे बन गए हैं। अमृतपाल सिंह के सहयोगी यहां लोगों में कट्टरपंथी विचार भर रहे थे। उन्होंने कहा, इन नशामुक्ति केंद्रों में हथियारों का स्टॉक किया जा रहा था। इन केंद्रों पर कैदियों की नशे पर निर्भरता को बढ़ाने के लिए अमृतपाल घटिया किस्म की सस्ती एंटीडोट खरीद रहा था।
एजेंसियों के अनुसार, उनके द्वारा बनाई गई आनंदपुर खालसा फौज (एकेएफ) खालिस्तान के नाम पर पैसों की हेराफेरी कर रही थी। उनके चाचा हरजीत सिंह इस गबन में मदद करता था। आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की साजिश के तहत, सिंह और उनके समर्थक न केवल हथियारों के खुले प्रदर्शन पर सरकारी आदेशों की अवहेलना कर रहे थे, बल्कि युवाओं को गन कल्चर के प्रति प्रोत्साहित कर रहे थे।