नयी दिल्ली/ सर्वोच्च न्यायालय में नागरिकता पर बहस के दौरान वरिष्ट अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने असम को म्यांमार का हिस्सा बता दिया। इस पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने सिब्बल को आड़े हाथों लिया और कहा कि उन्हें इतिहास की जानकारी नहीं है।
वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल के असम को म्यांमार का हिस्सा बताने पर हंगामा हो गया है। असम के सीएम हिमंता बिस्व सरमा ने कपिल सिब्बल पर पलटवार करते हुए कहा है कि अगर उन्हें इतिहास की जानकारी नहीं है तो उन्हें नहीं बोलना चाहिए।
बीते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा था कि पलायन को रोका नहीं जा सकता। अगर आप असम के इतिहास को देखें तो आपको समझ आएगा कि कौन कब आया, इसका पता लगाना असंभव है। सिब्बल ने कहा कि असम असल में म्यांमार का हिस्सा था। साल 1824 में जब ब्रिटिश ने लडाई जीती तो संधि के तहत असम पर ब्रिटिश शासन का राज हो गया था।
कपिल सिब्बल के बयान पर असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने पलटवार किया है। पत्रकारों से बात करते हुए असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन्हें असम के इतिहास की जानकारी नहीं है उन्हें नहीं बोलना चाहिए। असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं था।
बता दें कि नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने असम को लेकर उक्त बात कही थी। यह विवाद ऐसे समय सामने आया है, जब मणिपुर में अवैध प्रवासियों का मुद्दा हिंसा का कारण बन रहा है। मणिपुर में कुकी और मैतई जनजातियों के बीच जातीय हिंसा चल रही है। कुकी जनजाति के बारे में दावे किए जाते हैं कि वह म्यांमार से पलायन कर मणिपुर आए और अंग्रेजी शासन के दौरान उन्हें ब्रिटिश प्रशासन के सह पर ईसाई मिशनरियों ने बसा दिया। फिलहाल कुकी जनजाति मणिपुर में अलग प्रशासन की मांग कर रही है।